सफला एकादशी व्रत कथा | Safla Ekadashi Vrat Katha | Safla Ekadashi Ki Katha | Ekadashi 2022

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► Album - Safla Ekadashi Vrat Katha
► Song - Safla Ekadashi Vrat Katha
► Singer - Shalini Singh
► Lyrics - Traditional
➤ Label - Vianet Media
➤ Sub Label - Ambey
➤Parent Label(Publisher) - Shubham Audio Video Private Limited
➤ Trade Inquiry - [email protected]
9306-DVT_VNM

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👉Safla Ekadashi Vrat Katha Lyrics In Hindi:👇

चम्पावती नगरी में एक महिष्मान नाम का राजा राज्य करता था। उसका बड़ा बेटा लुम्पक बड़ा दुराचारी था। वह मांस, मदिरा, परस्वी गमन, वेश्याओं का संग इत्यादि कुकर्मों से परिपूर्ण था पिता ने उसे अपने राज्य से निकाल दिया। वन में एक पीपल का वृक्ष था जो भगवान को भी प्रिय था । सब देवताओं की क्रीड़ा-स्थली भी बहीं थी। ऐसे पतित पावन वृक्ष के सहारे लुम्पक भी रहने लगा। परंतु फिर भी उसकी चाल टेढ़ी ही रही। पिता के राज्य में चोरी करने चले जाता तो सैनिक पकड़कर छोड़ देते थे | एक दिन पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी की रात्रि को उसने लूट-मार एवं अत्याचार किया तो सैनिक ने उसके वस्त्र उतारकर वन को भेज दिया। वह बेचारा पीपल की शरण में आ गया। इधर हेमगिरि पर्वत की पवन भी वहाँ आ पहुँची। लुम्पक पापी के सब अंगों में गठिया रोग ने प्रवेश किया। हाथ-पाँव अकड़ गए। अतः सूर्योदय होने के बाद कुछ दर्द कम हुआ, पेट का गम लगा। जीवों को मारने में आज वह असमर्थ था वृक्ष पर चढ़ने की शक्ति भी उसमें नहीं थी। वह नीचे गिरे हुए फल बीन लाया और पीपल की जड़ में रखकर कहने लगा- 'हे प्रभु। वन फलों का आप ही भोग लगाइए। मैं अब भूख हड़ताल करके शरीर छोड़ दूँगा। मेरे इस कष्ट भरे जीवन से मौत भली।' ऐसा कहकर वह प्रभु के ध्यान में मग्न हो गया। उसे रातभर नींद न आई। वह भजन- कीर्तन, प्रार्थना करता रहा परंतु प्रभु ने उन फलों का भोग न लगाया।प्रातःकाल हुआ तो एक दिव्य अश्व आकाश से उतरकर उसके सामने प्रकट हुआ और आकाशवाणी द्वारा नारायण कहने लगे- 'तुमने अनजाने में सफला एकादशी का व्रत किया है। उसके प्रभाव से तेरे समस्त पाप नष्ट हो गए। अग्नि को जान के या अनजाने में हाथ लगाने से जल जाते हैं। वैसे ही एकादशी भूलकर रखने से भी अपना प्रभाव दिखाती है अब तुम इस घोड़े पर सवार होकर पिता के पास जाओ। तुम्हें राज मिल जाएगा। सफला एकादशी सर्व कार्य सफल करने वाली है।'प्रभु आज्ञा से लुम्पक पिता के पास आया। पिता उसे राजगद्दी पर बैठाकर स्वयं तप करने वन को चला गया। लुम्पक के राज्य में प्रजा एकादशी व्रत विधि सहित किया करती थी। सफला एकादशी की कथा सुनने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।

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