हनुमान सेतु मंदिर लखनऊ | यहाँ भक्त भेजते हैं हनुमान जी को चिट्ठी | बाबा नीम करोरी | 4K | दर्शन 🙏

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भक्तों नमस्कार! प्रणाम और हार्दिक अभिनन्दन भक्तों आज हम आपको यात्रा करवाने जा रहे हैं लखनऊ में गोमती नदी के तट पर स्थित हनुमान सेतु मंदिर की. इस मंदिर का निर्माण हनुमान जी के अवतार कहे जाने वाले प्रसिद्ध संत नीम करौरी बाबा ने करवाया था. इस मंदिर में विराजमान हनुमान जी ग्रेजुएट हनुमान जी के नाम से विख्यात हैं क्योंकि ये अपने भक्तों की समस्या का समाधान उनकी चिट्ठी पढ़कर कर देते हैं तो आइये हमारे साथ, चलते है हनुमान सेतु मंदिर में विराजमान ग्रेजुएट हनुमान जी के दर्शन को.

मंदिर के बारे में:
भक्तों हनुमान सेतु मंदिर, एक सुप्रसिद्ध और बहुचर्चित मंदिर है जो उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के तट पर अवस्थित है। यह मंदिर गोमती नदी पर बने एक पुल के पास बना है। यही कारण है कि इस पुल को हनुमान सेतु एवं इस मंदिर को हनुमान सेतु मंदिर कहा जाता है। चूंकि इस मंदिर का निर्माण नीम करौरी बाबा ने करवाया था अतः इस मंदिर से लगा बाबा नीम करौरी का भी एक मंदिर बना है।

मंदिर निर्माण की कहानी:
भक्तों हनुमान सेतु मंदिर के निर्माण की रोचक कहानी के अनुसार - पहले इसी स्थान पर स्वामी मौनानंद जी का आश्रम था। आश्रम के पास ही गोमती नदी के तट पर हनुमान जी का छोटा सा मंदिर था. इसी मंदिर में हनुमान जी के अवतार कहे जाने वाले प्रसिद्ध संत बाबा नीम करौली जी रहा करते थे। यहीं लखनऊ विश्वविद्यालय और हजरतगंज को जोडने वाला अंग्रेजों के समय का एक पुल था जिसे मंकी ब्रिज कहा जाता था. सन् 1960 में गोमती नदी में आई भयंकर बाढ़ से स्वामी मौनानंद जी का आश्रम तो क्षतिग्रस्त हुआ ही, गोमती नदी पर बना मंकी ब्रिज भी ढह गया।
पुल का नवनिर्माण कार्य मुम्बई के प्रसिद्ध पुल निर्माण विशेषज्ञ एस बी जोशी की देखरेख में प्रारंभ हुआ. लेकिन अनेकों प्रयास के बाद भी पुल का पिलर नदी में नहीं रुक रहा था। तब लोगों ने एस बी जोशी को बाबा नीम करौरी से सहायता मांगने को कहा. लोगों की सलाह पर एस बी जोशी ने बाबा से सहायता मांगी और बाबा ने पुल बनने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि “कि हनुमान जी ने तो भगवान् राम की कृपा से समुद्र पर भी पुल का निर्माण करा दिया था. आप यह प्रतिज्ञा करो कि पुल बनने के बाद हनुमान बाबा के भव्य मंदिर का निर्माण कराएंगे. फलस्वरूप पुल बनकर तैयार हो गया। तब एस बी जोशी ने हनुमान जी के इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। 26 जनवरी 1967 को इस मंदिर में हनुमान जी की दिव्य मूर्ति को प्रतिष्ठित कर भक्तों को दर्शन की अनुमति प्रदान कर दी गयी।

भक्त भेजते हैं हनुमान जी को पत्र:
भक्तों लखनऊ स्थित हनुमान सेतु मंदिर न केवल लोगों की गहरी आस्था का केंद्र है बल्कि एक ऐसा चमत्कारी धाम भी है जहां से कोई खाली हाँथ नहीं जाता. मंदिर तक न पहुँचने वाले भक्त, हनुमान जी को अपनी समस्या पत्र में लिखकर भेज देते हैं. साथ ही कुछ भक्त स्वयं हनुमान जी के चरणों में अपना पत्र रख कर चले जाते हैं, इस प्रकार हनुमान सेतु मंदिर में भक्तों के लाखों पत्र आते हैं.

ग्रेजुएट हनुमान:
सेतु मंदिर में विराजमान अंजनीनन्दन हनुमान जी को चिट्ठी वाले बाबा और ‘ग्रेजुएट हनुमान’ जी भी कहा जाता है. इस नाम के पीछे का कारण यह है कि देश और विदेश के लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं और समस्याएं पत्र पर लिखकर मंदिर के पते पर भेजते हैं. प्रतिवर्ष हनुमान जी के दरबार में भक्तों द्वारा भेजे लगभग तीन लाख पत्र आते हैं.
मान्यता है कि ग्रेजुएट हनुमान जी सभी भक्तों के पत्र पढ़कर उनके दुखों का शमन करते हैं इसलिए मंदिर में आए सभी पत्रों को पहले हनुमान जी को समर्पित किया जाता है. फिर पट बंद होने के बाद पुजारी हनुमान जी के श्री चरणों में बैठकर सभी चिट्ठियों को पढ़ कर उनको सुनाते भी हैं. तत्पश्चात उन्हें भूमि विसिर्जित कर दिया जाता है।

मनोरथ पूर्ण होने पर करवाते हैं श्रृंगार:
भक्तों लखनऊ के हनुमान सेतु मंदिर में विराजमान हनुमान जी की कृपा से जिन भक्तों के मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं, वो हनुमान सेतु मंदिर आकर हनुमान जी का दर्शन पूजन करते हैं और श्रृंगार करवाते हैं. यहाँ हनुमान जी के तीन प्रकार के श्रृंगारों का विधान है. पहला श्रृंगार पुष्प का होता है,उसमें हनुमान जी समेत पूरे मंदिर को पुष्पों से सजाया जाता है. दूसरा वस्त्र श्रृंगार होता है, इसमें हनुमान जी को वस्त्र अर्पित किए जाते हैं. इसके अलावा लाइट श्रृंगार में हनुमान जी के पूरे मंदिर को लाइटों से सजाया जाता है. इसके लिए मंदिर प्रबंधन की ओर से 6000 रुपये की रसीद दी जाती है.

हनुमान जी के अतिरिक्त:
भक्तों लखनऊ स्थित हनुमान सेतु मंदिर में हनुमान जी के अतिरिक्त भगवान शिव, श्रीराम दरबार, दुर्गा दरबार, गायत्री माता, सरस्वती माता, गणेश जी और नीम करोली बाबा जी की मूर्तियाँ विराजमान हैं, जिनकी भक्त श्रद्धा भक्ति से पूजा करते हैं.


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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

श्रेय:
लेखक - रमन द्विवेदी

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