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Скачать или смотреть 153. विपरीत परिस्थिति का धैर्य से सामना करना प्रसंग श्री शशिकांत रुइया

  • SocialViews सामाजिक विचार
  • 2024-12-12
  • 247
153. विपरीत परिस्थिति का धैर्य से सामना करना   प्रसंग श्री शशिकांत रुइया
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विपरीत परिस्थिति का धैर्य से सामना करना - प्रसंग श्री शशिकांत रुइया Facing adverse situations with patience - Prasanga Shri Shashikant Ruia
किसी भी प्रकार की विपरीत स्थिति संकट के समय घबराना नहीं, धैर्य से उसका सामना करना, परिस्थितियां बदलेंगी, संकट दूर हो जाएगा, सब कुछ को अनुकूल करने में सफलता मिलेगी।
आज की यह चर्चा दैनिक भास्कर के 27 नवंबर 2024 के संस्करण के कालम 'स्मृति शेष' में उद्योगपति शशिकांत रुइया जी से संबंधित है।
श्री शशिकांत रुइया जी एस्सार समूह के सह संस्थापक थे। उन्होंने 1969 में स्थापित छोटे से कंस्ट्रक्शन कारोबार को एस्सार समूह में बदल दिया। उनके नेतृत्व में समूह ने इंफ्रास्ट्रक्चर, मेटल, टेलीकम्युनिकेशन, तेल और गैस जैसे क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई। पांच दशक में उनका कारोबार विश्व के 35 देशों में फैल गया था।
श्री शशिकांत रुइया जी एक जुझारू प्रवृत्ति के व्यक्ति थे और लड़ाई को अंतिम समय तक लड़ने में भरोसा रखते थे। एक बार वह व्यापार की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित थे। स्टील की कीमतों में वैश्विक गिरावट और उनके प्रोजेक्ट में देरी के कारण उन पर लगभग 2 लाख करोड रुपए का कर्ज था। परिवार की प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही थी। हर किसी को लग रहा था कि एस्सार समूह खत्म हो गया। उनके छोटे भाई रवि ने उनसे कहा आप चिंता ना करें, हम डूबेंगे नहीं क्योंकि हमारी संपत्ति देनदारी से कहीं ज्यादा है। शशि जी कहते थे इस बात ने मुझे आने वाले कई वर्षों तक बहुत ताकत दी।
इस बात से यह सबक मिलता है की कर्ज लेते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की विपरीत परिस्थितियों में हम कर्ज को चुकाने में सक्षम होंगे या नहीं।
शशिकांत जी ने कर्ज चुकाने का एक मैप तैयार किया और उन्होंने अपनी संपत्ति बेचना शुरू कर कर्ज चुकाना प्रारंभ किया। रुइया जी ने अपनी जान लगा दी, वह भागे नहीं और उन्होंने फिर कर्ज मुक्त एस्सार की नींव रखी।
उन्होंने दो काम एक साथ किए। नया कारोबार शुरू किया और अपने मौजूदा बिजनेस को मजबूत किया। कर्ज चुकाने के लिए अपनी संपत्ति बेची। उनके ईमानदारी इरादों से वह सभी बाधाओं को पार कर पुनः स्थापित हो गए।
वह ऐसा इसलिए कर पाए क्योंकि उन्होंने अपने धन को विदेशी बैंकों में जमा नहीं किया बल्कि उसका उपयोग देश में विश्व स्तरीय एसेट्स बनाने के लिए किया जो संकट के समय उनकी कर्ज मुक्ति का आधार बना।
2022 में एस्सार के कर्ज मुक्त होने के बाद शशि के बेटे प्रशांत में संदेश लिखा था -'चुनौती पूर्ण दौर का अंत। पीछे मुड़कर देखें तो, मैं अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने से खुश हूं। साथ ही नए अध्याय की शुरुआत।'
इस संक्षिप्त प्रेरणात्मक प्रसंग से यह प्रेरणा मिलती है की अपनी योजना को बनाते समय विपरीत परिस्थितियों के लिए भी प्रावधान होना चाहिए कर्ज चुकाने की क्षमता के आधार पर ही कर्ज लिया जाना चाहिए और अतिरिक्त धन को विदेशी बैंक में जमा करने के स्थान पर देश में ही निवेश करना चाहिए और सबसे अंत में परिस्थितियों चाहे कितनी ही विपरीत क्यों ना हो धैर्य से उनका सामना करने पर उन पर विजय प्राप्त की जा सकती है। बहुत धन्यवाद।

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