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Скачать или смотреть जामवंत कितने शक्तिशाली थे क्या वो रावण को हरा सकते थे | Jambavan Ke Bare Mein Jankari Hindi Me

  • Robin Bhakti 96
  • 2025-08-26
  • 26
जामवंत कितने शक्तिशाली थे क्या वो रावण को हरा सकते थे | Jambavan Ke Bare Mein Jankari Hindi Me
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Описание к видео जामवंत कितने शक्तिशाली थे क्या वो रावण को हरा सकते थे | Jambavan Ke Bare Mein Jankari Hindi Me

जामवंत कितने शक्तिशाली थे क्या वो रावण को हरा सकते थे | Jambavan Ke Bare Mein Jankari Hindi Meदोस्तों यूँ तो रामायण में कई किरदार ऐसे हुए हैं जिन्होंने लोगों के दिमाग में अलग अलग छवि बना रखी है हिंदु धर्म में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने रामायण और रामायण के किरदारों को न पसंद किया हो कई लोग हनुमान जी को बलशाली मानते हैं तो कई लोगों का कहना है की बाली भी शक्तिशाली थे तो वहीं कईयों के हिसाब से रामायण में कुछ पल के लिए आने वाले जटायु सबसे ज्यादा शक्तिशाली थे जो कि रावण से युद्ध के दौरान लड़ते लड़ते वीर गति को प्राप्त हुआ लेकिन इन सब में एक जो सबसे ज्यादा ताकतवर किरदार था जिसके बारे में आप सब ने सोचा तक नहीं होगा हम आज आपको उस किरदार के बारे में बताने वाले हैं जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे हैं वीर जामवंत की जामवंत वही थे जो एक यानि की भालू के रूप में श्रीराम के साथ साथ लग गए थे दोस्तों जामवंत इतने शक्तिशाली थे कि वे अपनी एक छलांग से समुद्र के पार से सीधे लंका कूद सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया बताते हैं आपको आगे विडियो में तो बने रहिये इस विडियो में हमारे साथ अंत तक दोस्तों जामवंत को र्पाती कहा जाता है जिसका मतलब होता है रो का राजा यानि की भालुओं का राजा जामवंत एक भालू मानव थे और कहा जाता है कि जामवंत आज भी जीवित है पुराणों के अध्ययन से यह बात साफ़ साफ़ पता चलती है की महर्षि विश्वमित्र दुर्वासा और विभीषण की तरह जामवंत भी इस युग में है और वो एक गुफा में अपनी भक्ति में लीन है जामवंत के बारे में कहा जाता है की जामवंत एक चतुर बुद्धि होशियार रक्ष थे उन्हें सारे उपनिषद और वेद याद थे परशुराम और हनुमान के बाद जामवंती एक ऐसे आराध्य हैं जिनका तीनों युगों में होने का वर्णन मिलता है वहीं पुराणों और धर्म ग्रंथों की माने तो कहा जाता है की वो आज भी जीवित है जामवंत के बारे में बात और कही जाती है कि जामवंत की आयु हनुमान जी से भी ज्यादा है क्योंकि जामवंत का जन्म राजा बलि के काल में हुआ था उस समय सतयुग चल रहा था जिस वजह से जामवंत की आयु पर श्रम की आयु और हनुमान जी की आयु से भी लम्बी है दोस्तों जिस तरह हनुमान जी और पांडव भ्राता भीम को पवन पुत्र माना गया है उसी तरह जामवंत को अग्नि पुत्र कहा गया है जी हाँ दोस्तों जामवंत की माता एक गंधर्व कन्या थी और जामवंत के पिता एक देव थे कई लोगो के ये सवाल थे की जब जामवंत की माता एक कन्या थी और पिता एक देव थे तो जामवंत रक्ष कैसे हो सकते है तो उसे और कई लोगों की मान्यता है और पुराणों में भी यह बात लिखी है की एक बार जब ब्रह्मा जी तप में लीन थे उन्हें जमाई आ गयी और उससे ही प्रथम रक्ष का जन्म हुआ उनकी जमाई से जन्म लेने के कारण उनका नाम जामवंत पड़ा विष्णु पुराण के अनुसार जब ब्रह्मा जी से मधु और कैटभ नामक दो दैत्य ने जन्म लिया तो समय ब्रह्मा जी के पसीने से जामवंत का जन्म हुआ लेकिन कई जगहों पर ऐसा भी वर्णित है की जब श्री हरी का युद्ध मधु अर्क दो राक्षसों से हो रहा था तो जामवंत प्रसन्नता पूर्वक ताली बजा रहे थे अंत में जब श्री हरी ने दोनों राक्षसों का वध किया तो जामवंत अत्यंत प्रसन्न हुए दोस्तों जब जामवंत का जन्म हुआ था उस समय वामन अवतार नहीं हुआ था कहते हैं कि जामवंत ने अपने सामने ही वामन अवतार देखा था दोस्तों कहते है की जब श्री राम माता सीता को खोज रहे थे उस समय भी माता सीता की खोज में जामवंत का प्रमुख सहयोग रहा श्री राम की सेना में जामन सबसे वृद्ध और बुद्धिमान थे और इसी कारण श्रीराम भी उनका बड़ा सम्मान करते थे और अपने हर छोटे बड़े फैसले पर उनकी सलाह लिया करते थे दोस्तों जामवंत का कार बहुत विशाल बताया गया है पुराणों की माने तो जामवंत का कार कुंभकरण ऐसे थोड़े ही छोटा था जब लक्ष्मण को शक्ति बांध लगी तो उन्होंने ही हनुमान को चार दुर्लभ बूटियों के बारे में बताया था जिनमे से एक संजीवनी बूटी भी थे दोस्तों जब सीता माता को ढूंढने के लिए सुग्रीव ने वानर सेना को चारों दिशाओं में भेजा तो अंत के साथ में हनुमान और कई वानर सुग्रीव ने विशेष रूप से जामवंत को अंक के साथ भेजा ताकि वो अपने अनुभव से का सुरक्षित नेतृत्व कर सके सीता माता को खोजते खोजते जब जामवंत हनुमान और सुग्रीव अपनी वानर सेना के साथ सागर तट पर पहुँचे तो कुस बड़े समुद्र को देख कर सब हताश हो गए क्यूँकि समुद्र को देख कर सबको यही लग रहा था कि समुद्र को कौन पार करेगा तो समय जामवंत जी ने हनुमान जी को उनकी शक्तियों के बारे में याद दिलाया था इसके बाद हनुमान जी ने अपनी शक्तियों को पहचाना और अपने पिता पवन को प्रणाम किया और भगवान राम का आशीर्वाद लेकर समुद्र को पार किया भागवत पुराण और विष्णु पुराण में जामवंत की शक्ति के विषय में बताया गया है की उनकी शक्ति एक करोड़ शेरों की शक्ति के बराबर थी राम चरित्र मानस के अनुसार जब वानर दल समुद्र पार करने के लिए परामर्श कर रहा था तब सभी अपनी अपनी क्षमता द्वारा उस समुद्र को पार करने की बात कर रहे थे उस समय सबने जामवंत से यह प्रार्थना की की सबसे बड़े होने के कारण वही उस समुद्र को पार करने का कोई उपाय बताए तब जामवंत ने सबको अपने बल के बारे में बताया जामवंत ने कहा की इस समय में अत्यंत बूढ़ा हो गया हूँ फिर भी मैं एक बार में दस योजन तक छलांग लगा सकता हूँ जब मैं जवान हुआ करता था तो मैंने समुद्र मंथन देखा था उस समय मुझ में इतना बल था कि देवों और दैत्यों के थक जाने पर मैंने अकेले ही पूरे मंदराचल पर्वत को घुमा दिया था उसे देख कर स्वयं मेरे पिता ब्रह्मा ने मेरी प्रशंसा की थी यह सब सुनकर अन्य वानरों ने रिछराजजाममंऐसी पूछा की अगर आप इतने बलशाली थे तो फिर आपका बल इतना कम कैसे हो गया तब जामवंत बोले की जब भगवान बामन अपने पैरों से धरती नाप रहे थे तब मैं भी बहुत तेज गती से धरती की परिक्रमा कर रहा था मेरी सारी परिक्रमा लगभग खत्म.

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