करम पर्व की पूजा-पद्धति II Karma Parv pooja-paddhati II Girdhari Ram Ganjhu

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करम पर्व की पूजा-पद्धति
करम पर्व भादो महीने की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. इस पर्व में पूजा पद्धति का खास महत्‍व होता है.
भाई अपनी नवविवाहिता बहन को ससुराल से विदा कराकर मायके ले आता है.
घर की कुंवारी बहनें करम से 7 दिन पहले 'करम जावा' उठाती हैं.
करम जावा में सात प्रकार के अनाजों (धान, गेहूं, मकई, चना, उड़द, कुर्थी और बोदी आदि) को मिलाकर, नयी टोकरी में बालू भरकर उसे बोती हैं और हर शाम उसे हल्‍दी के पानी से सींचती हैं.
सातवें दिन उसमें सुनहरे पौधे निकल आते हैं, यही करम जावा हैं. करम के दिन बहनें उपवास करती हैं और वह भाई भी उपवास करते हैं जो करम की डाली काटने जाते हैं.
ढोल-मांदर के साथ गांव के लोग जंगल की ओर जाते हैं. करम पेड़ की पूजा करते हैं और फिर उसकी तीन छोटी डालियां काटते हैं.
एक भाई पेड़ पर चढ़ता है और बाकी भाई उस डाल को पकड़ने के लिए नीचे खड़े रहते हैं. ऐसी मान्‍यता है कि डाल एक ही प्रहार में टूटनी चाहिये.
इसके बाद ढोल-नगाड़ों के साथ करम डाल को गांव में लेकर आते हैं और इसे सबसे पहले घर की छत पर रखा जाता है.
इसके बाद पाहन (पुजारी) विधिवत पूजा करते हुए तीनों डालियों को अखरा में गाड़ता है. उपवास की हुई बहनें पूजा की थाली लेकर आती हैं जिसमें कई तरह के पकवान होते हैं, खीरा होता है जिसे बेटे के प्रतीक के रूप में माना जाता है.
इस दौरन पाहन करम की कहानी बताते हैं.
सारी रात गांव के लोग करम को घेरकर नाचते-गाते हैं. पुरुष कानों में और महिलाएं अपने जूड़े में जावा खोंसते हैं.
अगले दिन सुबह ही करम के विसर्जन का समय होता है. करम की डाल को सबके घर में घुमाने के बाद उसे नदी में विसर्जित कर दिया जाता है.
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#pooja-paddhati
#Jharkhand

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