Argala Stotram || Durga Saptshati || Om Jayanti Mangala Kali || Madhvi Madhukar Jha

Описание к видео Argala Stotram || Durga Saptshati || Om Jayanti Mangala Kali || Madhvi Madhukar Jha

अर्गला स्तोत्रम - हिंदी अर्थ सहित

मार्कण्डेयजी कहते हैं – जयन्ती मंगला, काली, भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री, स्वाहा और स्वधा इन नामों से प्रसिद्ध देवी! तुम्हें मैं नमस्कार करता हूँ, हे देवी! तुम्हारी जय हो। प्राणियों के सम्पूर्ण दुख हरने वाली तथा सब में व्याप्त रहने वाली देवी! तुम्हारी जय हो, कालरात्रि तुम्हें नमस्कार है, मधु और कैटभ दैत्य का वध करने वाली, ब्रह्मा को वरदान देने वाली देवी! तुम्हें नमस्कार है। तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। महिषासुर का नाश करने वाली तथा भक्तों को सुख देने वाली देवी तुम्हें नमस्कार है।

तुम मुझे सुन्दर स्वरुप दो, विजय दो और मेरे शत्रुओं को नष्ट करो। हे रक्तबीज का वध करने वाली! हे चण्ड-मुण्ड को नाश करने वाली! तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे शुम्भ निशुम्भ और धूम्राक्ष राक्षस का मर्दन करने वाली देवी! मुझको स्वरूप दो, विजय दो, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो। हे पूजित युगल चरण वाली देवी! हे सम्पूर्ण सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी! तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो।

हे देवी! तुम्हारे रूप और चरित्र अमित हैं। तुम सब शत्रुओं का नाश करने वाली हो। मुझे रूप जय यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो, पापों को दूर करने वाली चण्डिके! इस संसार में जो भक्ति से तुम्हारा पूजन करते हैं उनको तुम रूप तथा विजय और यश दो तथा उनके शत्रुओं का नाश करो।

रोगों का नाश करने वाली चण्डिके! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारी पूजा करते हैं उनको तुम रूप विजय और यश दो, तथा उनके शत्रुओं का नाश करो। हे देवी! जो मुझसे बैर रखते हैं, उनका नाश करो और मुझे अधिक बल प्रदान कर रूप, जय, यश दो और मेरे शत्रुओं का संहार करो। हे देवी! मेरा कल्याण करो और मुझे उत्तम सम्पत्ति प्रदान करो, रूप, जय, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे देवता तथा राक्षसों के मुकुट रत्नों से स्पर्श किए हुए चरणों वाली देवी! हे अम्बिके! मुझे स्वरुप दो, विजय तथा यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो, हे देवी! अपने भक्तों को विद्वान, कीर्तिवान और लक्ष्मीवान बनाओ और उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो, और उनके शत्रुओं का नाश करो।

हे प्रचण्ड दैत्यों के अभिमान का नाश करने वाली चण्डिके! मुझ शरणागत को रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो। हे चार भुजाओं वाली! हे ब्रह्मा द्वारा प्रशंसित परमेश्वरि! मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे क्रोध आदि शत्रुओं को नष्ट करो। निरन्तर भक्ति से भगवान विष्णु से सदा स्तुति की हुई हे अम्बिके! मुझे रूप, यश, जय दो और मेरे शत्रुओं को नष्ट करो। हिमाचल कन्या पार्वती के भगवान शंकर से स्तुति की हुई हे परमेश्वरी! मुझे रूप, जय, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो। इन्द्राणी के पति (इन्द्र) के द्वारा सद्भाव से पूजित होने वाली परमेश्वरी! मुझे तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम, क्रोध आदि शत्रुओं को नष्ट करो। प्रचण्ड भुदण्ड से दैत्यों के घमण्ड को नष्ट करने वाली! मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो।

हे देवी! तुम अपने भक्तों को सदा असीम आनन्द देती हो। मुझे रूप, जय, यश दो और मेरे काम क्रोध आदि शत्रुओं को नष्ट करो। हे देवी! मेरी इच्छानुसार चलने वाली सुन्दर स्त्री मुझे प्रदान करो, जो कि संसार सागर से तारने वाली तथा उत्तम कुल में उत्पन्न हुई हो, जो मनुष्य पहले इस स्तोत्र का पाठ करता है वह सप्तशती संख्या के समान श्रेष्ठ फल को प्राप्त होता है और उसके साथ ही उसे प्रचुर धन भी प्राप्त होता है।

Argala Stotram
Voice : Madhvi Madhukar Jha
Music Label - Subhnir Productions
Music Director : Nikhil Bisht,Rajkumar, Pramod Kumar

Комментарии

Информация по комментариям в разработке