पाबूजी की फड़,(भाग-13)🙏🏻

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राजस्थान के लोक देवता पाबूजी राठौड़ का जन्म 1296 ई॰ में फलौदी के पास कोलू नामक गाँव में हुआ था। पाबूजी के पिता का नाम धाँधल राठौड़ था। धाँधल एक दुर्गपति थे। तथा माता का नाम कम‌लादे था अमरकोट के राजा सुरजमल सोढ़ा की पुत्री सुप्यारदे से विवाह के समय जीन्दराव खींची से देवल चारणी की गाये छुड़ाते हुए वीर गति को प्राप्त हुए यह राठौड़ों के मूल पुरुष राव सीहा के वंशज थे । इनकी घोड़ी का नाम केसर कालमी घोड़ी एवं बायीं ओर झुकी पाग के लिए प्रसिद्ध हैं। हाल ही में राजस्थान सरकार ने कोलूमण्ड फलौदी में पाबूजी के पैनोरमा की स्थापना की है। इनके दो भाई थे जिनका नाम था बुडोजी था। इनकी दो बहने थी जिनका नाम है का नाम सोनल बाई तथा दूसरी का नाम पेमलबाई था। ऊंट के बीमार होने पर पाबूजी की पूजा की जाती है ऐसा माना जाता है कि राजस्थान में सर्वप्रथम ऊंट पाबूजी ने ही लाया थापाबूजी राजस्थान के लोक-देवता हैं। वे १४वीं शताब्दी में राजस्थान में जन्मे थे। पाबु जी को पशु-प्रेमी परम् गौभक्त तथा प्लेग रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसी भी मान्यता है की राजस्थान में ऊँटो के बीमार होने तथा ऊँटो के देवता के रूप में पाबूजी की पूजा होती है।

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