मनै जाण दे रे रुक्मण जा लण दे मेरा भगत बुलावे मनै जा लण दे ।। सरोज घणघस ।।

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टेक:- मनै जाण दे रे रुक्मण जा लण दे मेरा भगत बुलावे मनै जा लण दे ।।

1. वो तो बूढ़े बैल जोड़ रहा से, वो तो गाड़ी का धुर्रा तोड़ रहा से, मनै जा के ठीक करा लेण दे ।।

2. उसके धोरे ना पैसा धेला से, वो तो मेरे नाम पे डट रहा से, मनै जा के धीर बंधा लण दे ।।

3. वो तो कृष्ण कृष्ण कर रहा से, वो तो मेरे नाम ने रट रहा से, मनै जा के दर्श दिखा लेण दे ।।

4. हरनंदी की सास कलिहारी से, हरनंदी ने घणा सत्ता रही से, मनै जा के धीर बंधा लेण दे ।।

5. मनसा का कुनबा भारा से, हरनंदी ने घणा सता रहा से, मनै जा के मान बढ़ा लेण दे ।।

6. हरनंदी पाटड़ा बिछा री से, आरते का थाल सजा रही से, मनै जा के चुंदडी उढ़ा लेण दे ।।

7. इन भगता की होड़ कोई कर ना सके, ऐसा भर दूँगा भात, कोय भर ना सके, ऐसी घाल दूँगा माला कोए घाल ना सके, रे भाई का फर्ज निभा लेण दे ।।

#कृष्णाभजन #सरोजघणघस

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