श्रीनाथजी प्राचीन मंदिर : घसियार (उदयपुर)

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घसियार श्री नाथजी मंदिर: राष्ट्रीय राजमार्ग ७६ सड़क के किनारे शांतिमय व हरेभरे वातावरण में गोकुंदा पहाड़ी पर स्थित हैं। यह मंदिर एक हवेली शक्ल में हैं, और इसकी सभी की दीवारे सफ़ेद रंग से पुती हुई हैं। घसियार नाथद्वारा मंदिर श्री गोवर्धन धरण प्रभु श्रीनाथजी का सुन्दर मंदिर हैं और मंदिर के अन्दर तक जाने के लिए सीढियों बनी हुई हैं। मंदिर के मुख्य दरवाज़ा सूरज पोल पर दोनों तरफ की दीवारों पर हाथी व अन्दर की अन्य दो दरवाजो पर घोड़े और सिंह की की सुन्दर चित्रकारी से की हुई  हैं।


घसियार मंदिर में घोड़े की सुन्दर चित्रकारी से सजा द्वार।


यह मंदिर श्री गोवर्धन धरण प्रभु श्रीनाथजी (नाथद्वारा) का पूर्व निवास निवास स्थल था,  इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान श्री नाथ जी की प्रतिरूप एक बहुत बड़ी तश्वीर लगी हुई, जिसकी पूजा सेवा यहाँ पर नाथद्वारा मदिर के द्वारा नियुक्त पुजारी के द्वारा होती हैं। बहुत समय पहले पिंडारियो ने नाथद्वारा पर आक्रमण किया था, नाथद्वारा में काफी लोग मारे गए और मंदिर की संपत्ति को उनके द्वारा लूटा जाने लगा था और इससे भगवान श्री नाथ प्रभु जी पूजा और सेवा में बिघ्न पड़ने लगा, तब नाथद्वारा मंदिर के गुसाई जी ने प्रभु जी कही अन्यंत ले जाने का विचार बनाया और घसियार क्षेत्र के वियाबान और दुर्गम स्थान पर किलेनुमा मंदिर का निर्माण कराया और घसियार मंदिर का निर्माण पूरा होने तक पहले प्रभु जी को उदयपुर ले जाकर कुछ महीनो तक वहां एक मंदिर में उनकी सेवा व पूजा की, उसके बाद मंदिर निर्माण पूरा हो जाने के बाद प्रभु श्री नाथ जी को घसियार मंदिर ले आये।  कई वर्षो बाद मंदिर के गुसाई जी को लगा की घसियार का हवा, पानी प्रभु श्री नाथ जी सेवा लायक नहीं हैं,  और अब नाथद्वारा में भी शांति और खुशहाली का वातावरण हो गया था, तो प्रभु जी कुछ महीने उदयपुर और उसके बाद कुछ वर्ष घसियार वास करने के पश्चात वापिस नाथद्वारा ले गए और वही पर प्रभु श्री नाथ जी सेवा, पूजा होने लगी।

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