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Скачать или смотреть दीपावली पूजन की सम्पूर्ण विधि 2022 ॥ Easy Dipawali Pujan Vidhi 2022/दीवाली लक्ष्मी पूजन विधि Diwali

  • Grand Dharma Sanmarg
  • 2021-11-03
  • 32221
दीपावली पूजन की सम्पूर्ण विधि 2022 ॥ Easy Dipawali Pujan Vidhi 2022/दीवाली लक्ष्मी पूजन विधि Diwali
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Описание к видео दीपावली पूजन की सम्पूर्ण विधि 2022 ॥ Easy Dipawali Pujan Vidhi 2022/दीवाली लक्ष्मी पूजन विधि Diwali

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पूजन
खुद को व आसन को शुद्ध करें-
ऊं अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥
इस मंत्र से खुद पर और आसन पर 3-3 बार कुशा व पुष्पादि से छीटें लगाएं।

विधिवत लक्ष्मी पूजन विधि...
ध्यान (Dhyana): Laxmi Pujan की विधि के पहले चरण के तहत ध्यान (Dhyana) लगाया जाता है और मां को याद किया जाता है। ध्यान लगाने से पहले आप अपने सामने लक्ष्मी मां की मूर्ति रख लें और मां का ध्यान करें।
मां लक्ष्मी का आह्वान (Aavahan)
मां लक्ष्मी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वान किया जाता है। आवाहन करते समय हम मां को आने का निमंत्रण देते हैं। मां लक्ष्मी का आवाहन करते समय उनकी मूर्ति पर फूल अर्पित करें और इस मंत्र को बोलें:-
आगच्‍छ देव-देवेशि! तेजोमय‍ि महा-लक्ष्‍मी !
क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते !
।। श्रीलक्ष्‍मी देवीं आवाह्यामि ।।
पुष्पाञ्जलि आसन (Pushpanjali
मां का आवाहन करने के बाद आप पांच तरह के फूल मां की मूर्ति के सामने रखें और साथ ही इस मंत्र का जाप करते हुए एक-एक फूल को छोड़े।
नाना रत्‍न समायुक्‍तं, कार्त स्‍वर विभूषितम् ।
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्‍यर्थं प्रति-गह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै आसनार्थे पंच-पुष्‍पाणि समर्पयामि ।।
मां लक्ष्मी का स्‍वागत:
मां का आह्वान और उनको फूल चढ़ाने के बाद मां का स्वागत किया जाता है और मां का स्वागत करते हुए ‘श्रीलक्ष्‍मी देवी! स्‍वागतम् मंत्र का उच्‍चारण किया जाता है। इस मंत्र का अर्थ है कि हम मां का सच्चे मन से स्वागत करते हैं।
पाद्य:
लक्ष्मी पूजन (Laxmi Pujan) की विधि के अगले चरण को पाद्य कहा जाता है। इस चरण में मां के पैरों को जल से धोया जाता है और मां के पैर धोते हुए नीचे बताए गए मंत्र को बोला जाता है। ये मंत्र इस प्रकार है।
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !
भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्‍मी ! नमोsस्‍तुते ।।
।। श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै पाद्यं नम:।।
मां लक्ष्मी को अर्घ्‍य:
मां लक्ष्मी (Laxmi Puja) के पैरों को जल से साफ करने के बाद मां को अर्घ्य दी जाती है और अर्घ्य देते समय इस मंत्र को पढ़ा जाता है।
नमस्‍ते देव-देवेशि ! नमस्‍ते कमल-धारिणि !
नमस्‍ते श्री महालक्ष्‍मी, धनदा देवी ! अर्घ्‍यं गृहाण ।
गंध-पुष्‍पाक्षतैर्युक्‍तं, फल-द्रव्‍य-समन्वितम् ।
गृहाण तोयमर्घ्‍यर्थं, परमेश्‍वरि वत्‍सले !
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अर्घ्‍यं स्‍वाहा ।।
Laxmi Puja स्‍नान विधि
मां Laxmi को स्नान कराने के लिए दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण को मिलाकर पंचामृत बना जाता है और इससे मां को स्नान करवाया जाता है। मां पर पंचामृत डालने के बाद शुद्ध जल डाला जाता है और इस मंत्र को बोला जाता है।
गंगासरस्‍वतीरेवापयोष्‍णीनर्मदाजलै: ।
स्‍नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्‍व मे ।।
आदित्‍यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्‍पतिस्‍तव वृक्षोsथ बिल्‍व: ।
तस्‍य फलानि तपसा नुदन्‍तु मायान्‍तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्‍मी: ।
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै जलस्‍नानं समर्पयामि ।।
वस्‍त्र:
लक्ष्मी पूजन की विधि (Laxmi Puja)
वस्त्र दान किये जाते हैं।
मां लक्ष्‍मी को मोली वस्त्र के रूप में अर्पित किया जाता है और मोली को अर्पित करते समय इस मंत्र का जाप किया जाता है।
दिव्‍याम्‍बरं नूतनं हि क्षौमं त्‍वतिमनोहरम् ।
दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ।।
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतो सुराष्‍ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे ।
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै वस्‍त्रं समर्पयामि ।।
आभूषण:
वस्त्र अर्पित करने के बाद मां को आभूषण अर्पित करें
इस मंत्र को बोलें
रत्‍नकंकड़ वैदूर्यमुक्‍ताहारयुतानि च ।
सुप्रसन्‍नेन मनसा दत्तानि स्‍वीकुरुष्‍व मे ।।
क्षुप्तिपपासामालां ज्‍येष्‍ठामलक्ष्‍मीं नाशयाम्‍यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात् ।।
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै आभूषणानि समर्पयामि ।।
सिंदूर:
लक्ष्मी पूजन की विधि (Laxmi Puja) लक्ष्‍मी मां को सिंदूर चढ़ाया जाता है और इस मंत्र को बोला जाता है।
ॐ सिन्‍दुरम् रक्‍तवर्णश्च सिन्‍दूरतिलकाप्रिये ।
भक्‍त्या दत्तं मया देवि सिन्‍दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै सिन्‍दूरम् सर्पयामि ।।
कुमकुम:
मां को कुमकुम चढ़ाते हुए, इस मंत्र को बोलें।
ॐ कुमकुम कामदं दिव्‍यं कुमकुम कामरूपिणम् ।
अखंडकामसौभाग्‍यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै कुमकुम सर्पयामि ।।
अक्षत:
मां को कुमकुम चढ़ाने के बाद साफ और बिना टूटे हुए अक्षत चढ़ाएं और अक्षात चढा़ते समय ये मंत्र बोलें-
अक्षताश्च सुरश्रेष्‍ठं कुंकमाक्‍ता: सुशोभिता: ।
मया निवेदिता भक्‍तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अक्षतान् सर्पयामि ।।
पुष्‍प:
मां को कमल का पुष्‍प समर्पित करें और इस मंत्र का जाप करें।
यथाप्राप्‍तऋतुपुष्‍पै:, विल्‍वतुलसीदलैश्च ।
पूजयामि महालक्ष्‍मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै पुष्‍पं सर्पयामि ।।
अंग पूजन:
अंग पूजन के तहत हाथ में फूल, चावल और चंदन लेकर दाहिने हाथ से मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को रखें और इस मंत्र को बोलें।
ॐ चपलायै नम: पादौ पूजयामि ।
ॐ चंचलायै नम: जानुनी पूजयामि ।
ॐ कमलायै नम: कटिं पूजयामि ।
ॐ कात्‍यायन्‍यै नम: नाभि पूजयामि ।
ॐ जगन्‍मात्रै नम: जठरं पूजयामि ।
ॐ विश्‍व-वल्‍लभायै नम: वक्ष-स्‍थलं पूजयामि ।
ॐ कमल-वासिन्‍यै नम: हस्‍तौ पूजयामि ।
ॐ कमल-पत्राक्ष्‍यै नम: नेत्र-त्रयं पूजयामि ।
ॐ श्रियै नम: शिर पूजयामि ।
मंत्र बोलने के बाद मां के सामने धूप और दीपक जलाएं और मां को भोग अर्पित करें।
अंत में मां लक्ष्‍मी की आरती करें।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ऊँ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।
आराधना “ऊँ कमलवासिन्यै नम:” मंत्र

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