कृष्ण प्राप्ति के तीन मार्ग || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)

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वीडियो जानकारी: 29.11.19, अद्वैत बोध शिविर, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत

प्रसंग:
~ कृष्ण को कैसे प्राप्त करें?
~ कृष्ण में स्थित कैसे रहें?
~ क्या भोक्ता में परिवर्तन आने से कर्म में परिवर्तन आ जाएगा?
~ कृष्ण प्राप्ति के तीन मार्ग कौन से हैं?
~ कृष्ण में स्थापित होने का क्या अर्थ है?


अथ चित्तं समाधातुं न शक्रोषि मयि स्थिरम् ।
अभ्यासयोगेन ततो मामिच्छाप्तुं धनञ्जय ॥

भावार्थ : यदि तू मन को मुझमें अचल स्थापित करने में समर्थ नहीं है, तो अर्जुन ! अभ्यासयोग के द्वारा मुझको प्राप्त होने की इच्छा कर ॥
~ भगवद्गीता, अध्याय १२, श्लोक ९

अभ्यासेऽप्यसमर्थोऽसि मत्कर्मपरमो भव ।
मदर्थमपि कर्माणि कुर्वन्सिद्धिमवाप्स्यसि ॥

भावार्थ : अगर तू इस अभ्यास में भी असमर्थ है, तो केवल मेरे लिए कर्म करने के ही परायण हो जा। इस प्रकार मेरे निमित्त कर्मों को करता हुआ भी मेरी प्राप्ति रूप सिद्धि को ही प्राप्त होगा ॥
~ भगवद्गीता, अध्याय १२, श्लोक १०


संगीत: मिलिंद दाते
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