राजाबली मुझे तो दान में तीन पग भूमि ही चाहिए | राजा बलि की कथा | विष्णु वामन अवतार कथा |

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राजाबली मुझे तो दान में तीन पग भूमि ही चाहिए | राजा बलि की कथा | विष्णु वामन अवतार कथा | #shivleela

Vishnu Puran Serial Ep 46

भगवान विष्णु का वामन अवतार (Vaman Avatar Of Vishnu In Hindi)
जब राजा बलि अपने गुरु शुक्राचार्य के साथ सौवें यज्ञ का आयोजन करने ही जा रहा था कि वहां भगवान विष्णु एक छोटे कद वाले ब्राह्मण के अवतार में आये तथा दान मांगने की इच्छा प्रकट की। चूँकि राजा बलि अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध थे, इसलिये उन्होंने यज्ञ शुरू करने से पहले उस बटुक ब्राह्मण को दान करने का निश्चय किया। इसी प्रयोजन से वे अपने आश्रम के द्वार पर आये तथा उस बटुक ब्राह्मण से भेंट की।

भगवान विष्णु के वामन अवतार ने उनसे कुछ मांगने से पहले संकल्प लेने को कहा कि वे जो भी मांगेंगे वह राजा बलि को देना ही होगा। राजा बलि को अपने धन, संपत्ति तथा शौर्य पर अहंकार था तथा इसी मद में वे संकल्प लेने लगे।

जैसे ही वे संकल्प लेने लगे उसी समय उनके गुरु शुक्राचार्य वहां आ गए और उन्होंने वामन अवतार में भगवान विष्णु को पहचान लिया। उन्होंने अपने शिष्य बलि को चेतानवी दी कि वह यह संकल्प न ले तथा यज्ञ की शुरुआत करे। किंतु राजा बलि अपने अहंकार में चूर था तथा वह अपनी दानवीरता से भी पीछे नही हट सकता (Vaman Avatar Story Of Lord Vishnu In Hindi) था।

उसने अपने गुरु से कहा कि वह अपने द्वार पर आये किसी ब्राह्मण को खाली हाथ नही भेज सकता। इसी के साथ यदि स्वयं तीनों लोकों के स्वामी भगवान विष्णु उसके द्वार पर एक याचक के रूप में आये है तो वह कैसे उन्हें मना कर सकता हैं। यह कहकर राजा बलि ने संकल्प ले लिया।

वामन अवतार के तीन पग (Vaman Avatar 3 Peg Bhoomi)
राजा बलि के संकल्प लेने के पश्चात उसने उस बटुक ब्राह्मण से अपने लिए कुछ मांगने को कहा। वामन अवतार ने अपने लिए तीन पग धरती मांगी जिसे राजा बलि ने स्वीकार कर लिया। राजा बलि के स्वीकार करते ही भगवान विष्णु के वामनावतार ने अपना रूप अत्यधिक विशाल कर लिया तथा संपूर्ण ब्रह्मांड में फैल गए।
वामन भगवान ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप दिया तथा दूसरे पैर से स्वर्ग लोक को। अब तीसरा पग रखने के लिए कोई जगह शेष नही बची थी क्योंकि वे राजा बलि की संपूर्ण संपत्ति, भूमि इत्यादि ले चुके थे। इसलिये उन्होंने राजा बलि से पूछा कि अब तुम अपना वचन कैसे पूरा करोगे। यह सुनकर राजा बलि का अहंकार चूर हो गया तथा तीसरा पग रखने के लिए उन्होंने अपना मस्तक आगे कर दिया।

भगवान वामन ने अपना तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखकर उसका मान भंग किया तथा यह सिद्ध किया कि उनके सामने कोई भी बड़ा नही है। इसके साथ ही भगवान वामन राजा बलि से अत्यधिक प्रसन्न हुए तथा उन्हें भविष्य में इंद्र लोक प्रदान करने का वरदान दिया। इसके पश्चात उन्होंने राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया तथा स्वर्ग का शासन इंद्र देव को सौंपकर श्रीहरि में समा गए।

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