द्वारी माता दिवारा यात्रा 2024 भूमियाल रावल और गोरिल ( गौरेया गोलू देवता ) का मनमोहक नृत्य

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ग्राम लांखी, जो कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है, एक छोटा सा गाँव है। यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहाँ द्वारी माता की पूजा की जाती है और स्थानीय लोग उनकी आराधना करते हैं। द्वारी माता की पूजा के साथ-साथ इस क्षेत्र में अन्य स्थानीय देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है। चमोली जिले की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता इस क्षेत्र की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

द्वारि माता, जिन्हें उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पूजा जाता है, एक स्थानीय देवी हैं जिनकी पूजा विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है। उनकी पहचान और कहानी स्थानीय परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं पर निर्भर करती है।

कुछ मान्यताओं के अनुसार, द्वारि माता को पांडवों की बहन मानते हैं, लेकिन यह मान्यता विशेष रूप से क्षेत्रीय है और इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। द्वारि माता को आमतौर पर एक रक्षा देवी के रूप में पूजा जाता है, जो गाँव और उसके लोगों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए जिम्मेदार मानी जाती हैं। उनकी पूजा स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार होती है।

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