पविते पर्वाचे महत्व!!मीराताई मानेकर प्रवचन!!pavite parv!! miratai manekar pravachan!!mahanubhav lila

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पविते पर्वाचे महत्व!!मीराताई मानेकर प्रवचन!!pavite parv!! miratai manekar pravachan!!mahanubhav lila
पविते पर्वाचे महत्व

पविते पर्व का साजरे केले जाते
(सर्वज्ञ लीळा चिंतन)

श्री चक्रधर स्वामी।। (leela chintan)
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abaisa Mata(#आबाइसा माता)
ausa Mata (आउसा माता)
sadha Mata (साधा माता)
दररोज एक लीळा( चक्रधर स्वामी लीळा 1250)

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लीळा अनुवाद :-
पर्व के दिन स्वामीजी की पूजा की तयारी शुरू हुई, स्वामीजी को मर्दनमादणे किया गया । उपाध्य जी ने दादोस जी के यहाँ खाना रखा था वो लाने के लिये गए । खाना लेके आने के बाद बाइसा ने पूछा "आप दादोस के यहाँ क्यू गए थे ?", उपाध्य जी बोले "जी हा गया था, दादोस जी के यहा पे पर्व चालु था" । फिर बाइसा जी ने स्वामीजी से कहा "देखिये स्वामीजी दादोस जी को आपके होते हुए खुद की पूजा करवा रहे है"।
फिर स्वामीजी कहते है "देखिये जिव के पास थोडा ज्ञान हुआ या उसे मानने वाले लोग तयार हुए, तो जिव को तुरंत अहंकार आ जाता है" ।
फिर बाइसा जी ने उपाध्य से पूछा " दादोस जी के यहाँ पर्व शुरू था तो तुम कैसे आये ?"
इसपर स्वामीजी बोले "बाई चागो (चांगदेओ) और ये हमारे है, ये वहां क्यू जायेंगे" ।
फिर बाइसा जी, चागदेओभट जी, उपाध्य जी और पदुमनाभी जी ने स्वामीजी चरणी पर्व किया ।।

मतीतार्थ :-
पविते पर्व कि शुरुवात स्वामीजी के समय से हि होता था, उसे उस वक्त कैसा मनाया गया है ये बताया गया है ।
देखिये जिव के पास थोडा ज्ञान हुआ या उसे मानने वाले लोग तयार हुए तो जिव को तुरंत अहंकार आ जाता है ।

आज के समय मे हम इसे स्थान, मंदिर, या गुरु ( क्यूकी गुरु स्वामीजी के बताये हुए मार्ग को दिखाने का प्रयंत्न करते है ) को समर्पित कर सकते है।

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