Visit Tehri। Gangi। The last village of Tehri Garhwal। The Loan Village। Uttarakhand

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The last village of Tehri Garhwal
Gangi Village in Bhilangana Block
Gangi village tehri garhwal
Gangi village distance
Gangi gaon
"गंगी" टिहरी गढ़वाल का आखिरी गांव
The most beautiful village of Uttarakhand

Location- https://maps.app.goo.gl/hRpRFijEXn6X1...

सोमेश्वर होमस्टे गंगी - विजय सिंह नेगी- 9557935280

भारत का अंतिम गांव- द लोन विलेज गंगी
उत्तराखंड की हसीन वादियों में बसा है एक ऐसा गांव है जो कभी उधार देता था। ये सुन कर आपको भी अजीब लग रहा होगा लेकिन ये हकीक़त है। टिहरी जनपद के सीमान्त विकासखंड भिलंगना में स्थित है एक हैरतंगेज गांव... जिसकी अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान है.. इस गांव के लोग दूसरी घाटियों को उधार दिया करते थे। जिसमें केदारघाटी प्रमुख क्षेत्र हुआ करता था। घनसाली से करीब 50 किमी की दूरी पर बसा है गंगी गांव.. समुद्रतल से करीब 2700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगी को प्रकृति ने अनमोल खजाने से नवाजा है।
खेती और पशुपालन ने बनाया गंगी को लोन विलेज
गंगी गांव खेती और पशुपालन के लिए प्रसिद्व है। पूरी भिलंगना घाटी में गंगी ही ऐसा गांव है जहां सबसे अधिक खेती योग्य जमीन है और प्रत्येक घर में आपको बडी संख्या में भेड़, बकरी, गाय और भैंस दिख जाएंगी। गंगी गांव के पूर्वज पहले से कम धनराशि में अपना जीवन यापन करते थे। बचत के कारण उनके पास जो धनराशि जमा होती गई उसे धीरे धीरे ब्याज पर लोन देना शुरु कर दिया। धीरे धीरे ये गांव लोन विलेज के रुप में विकसित होता गया।
अमूल्य वन संपदा से घिरा है गंगी गांव
गंगी गांव हिमालय की गोद में बसा है। प्राकृतिक सौन्दर्य और चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा ये गांव आलू, चौलाई और राजमा की खेती के लिए ही प्रसिद्व नही है बल्कि यहां की आबोहावा और हिमालय की ठंडी हवाएं आपको अलग की दुनिया में होने का अहसास कराती है। गंगी गांव से लगे जंगल में बांज, बुरांश, खर्सू, मोरु, थुनेर, पांगर, राई और मुरेंडा सहित कई प्रजाति के पेड जंगलों में पाए जाते है। जीव जन्तुओं के लिए भी ये इलाका किसी स्वर्ग की भांति है। जहां काला भालू, भूरा भालू, हिमालयन थार, कस्तूरी मृग, मोनाल, भरल, सांभर और बारहसिंघा जंगलों में पाए जाते है। इसके अलावा यहां कई जड़ी बूटियों का खजाना भी छुपा है। यहां खेती की जमीन केवल गंगी गांव में ही नही है बल्कि कई तोक में फैली है। गंगी गांव के लोग रीह, नलाण, देवखुरी और ल्वाणी तोक में भी खेती करते है और यहां पर उनकी छानियां मौजूद है। भेड़ पालन के कारण वे अस्थाई रुप से वर्ष भर इनमें रहते है या यूं कहे कि धुमन्तु जीवन जीते है।
केदारघाटी में सबसे ज्यादा उधार
गंगी गांव के लोगों ने सबसे अधिक धनराशि लोन के रुप में केदारघाटी में दी है। केदारनाथ से लेकर गौरीकुंड, सोनप्रयाग, त्रिजुगीनारायण, सीतापुर और गुप्तकाशी जैसे बाजारों में कई होटल, ढाबे, घोडे़ खच्चर और छोटे बडे व्यवसायी गंगी गांव से उधार लेते आए है। उधार देने की प्रक्रिया भी अजीबोगरीब है। यहां केवल सोमेश्वर भगवान ही गवाह होता है। केदारघाटी ही नही बल्कि गंगोत्री और भिलंगना घाटी में भी इस गांव के लोगों ने उधार दिया है। गंगी के ग्रामीण बताते हैं कि केदारनाथ त्रासदी के बाद अब अधिकतर लोग ब्याज पर ली गई धनराशि को देने से मुकर रहे है। कई लोगों की धनराशि जगह जगह फंसी हुई है। गंगी गांव का केदारघाटी से सदियों पुराना नाता है। गंगी गांव से त्रिजुगीनारायण और केदारनाथ के लिए आज भी पैदल मार्ग है साथ ही गंगी से खतलिंग ग्लेशियर होते हुए गंगोत्री घाटी में जा सकते है। गंगी गांव के ग्रामीण पूर्व में तिब्बत से भी व्यापार करते थे।
ना कोई खाता ना कोई लिखा-पढ़ी सिर्फ...
गांव के बीचोबींच भगवान सोमेश्वर का प्राचीन मंदिर स्थित है। उधार देने से पहले इसी मंदिर के प्रांगण में एक दिया जलाकर भगवान सोमेश्वर को साक्षी मान उधार दिया जाता है। केदारनाथ त्रासदी से पहले सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन उसके बाद इस गांव की पूरी तस्वीर बदल गई। सालों से पूर्वजों ने केदारघाटी के व्यवसाईयों को उधार दिया था लेकिन जलजले में कई लोगों के होटल, लाज, घोडे खच्चर सब कुछ खत्म हो गये। अब गंगी के साहूकारों का मूलधन और ब्याज सब रुक गया। साहूकार कई बार केदारघाटी में अपने पैसों के लिए गये लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पडा था। 2013 में केदारघाटी में तबाही के बाद गंगी के ग्रामीण भी सीधे प्रभावित हुए। बताया जाता है कि गंगी के लोग पहले से ही केदारघाटी से जुडे हुए थे। ना सिर्फ व्यापारिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक रिश्तों से गंगी उस घाटी से जुडा हुआ था लेकिन आपदा के बाद वे भी उधार लौटाने के लिए आनाकानी कर रहे है।

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