Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть राजकुमार राकेश से उनकी आत्मकथा ' प्रतिज्ञान की धरती' पर कवि एवम् उपन्यासकार रश्मि भारद्वाज की बातचीत

  • The Good Hub by IndiLit
  • 2024-01-07
  • 192
राजकुमार राकेश से उनकी आत्मकथा ' प्रतिज्ञान की धरती' पर कवि एवम् उपन्यासकार रश्मि भारद्वाज की बातचीत
Rajkumar RakeshRashmi BhardwajAadhar PrakashanThe Good Hub
  • ok logo

Скачать राजकुमार राकेश से उनकी आत्मकथा ' प्रतिज्ञान की धरती' पर कवि एवम् उपन्यासकार रश्मि भारद्वाज की बातचीत бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно राजकुमार राकेश से उनकी आत्मकथा ' प्रतिज्ञान की धरती' पर कवि एवम् उपन्यासकार रश्मि भारद्वाज की बातचीत или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку राजकुमार राकेश से उनकी आत्मकथा ' प्रतिज्ञान की धरती' पर कवि एवम् उपन्यासकार रश्मि भारद्वाज की बातचीत бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео राजकुमार राकेश से उनकी आत्मकथा ' प्रतिज्ञान की धरती' पर कवि एवम् उपन्यासकार रश्मि भारद्वाज की बातचीत

25% discount on this book. Preorder - https://aadharprakashan.com/booksList...

आधार प्रकाशन 2024
विश्व पुस्तक मेले की तैयारी / एक

प्रतिज्ञान की धरती (आत्मकथा ) / राजकुमार राकेश

किताब, जो मुझे नहीं लिखनी थी / राजकुमार राकेश

जीवन में दुश्वारियों का वहन करते हुए भी मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि मैं किसी आदर्शवादी फ़िल्म का हीरो हूं और बाक़ी का संसार विलेन है। इसलिए आत्मकथा लिखने का विचार मन में कभी नहीं आया। लेकिन उस रोज़ जब मैंने अपने जीवन के उनहत्तर बरस पूरे किए तो अचानक मन मैं आया कि अब पीछे मुड़कर देखने और उस कथा को कहने का मौक़ा आ चुका है, जो अन्यथा मेरे साथ ही विलीन हो जाने के लिए अभिशप्त होगी। वह सत्तरवाँ जन्मदिन था। जब फ़ेसबुक हमारे जीवन में अवतरित नहीं हुआ था तब तक मुझे याद नहीं है, कभी मैंने जन्मदिन की इतना मुबारकें ली हों। अब यह होने लगा है, और यह हर व्यक्ति के साथ आम है, कि जैसे ही आठ नवम्बर की सुबह हुई आपके फ़ेसबुक, मेसेंजर, एसएमएस, फोनकाल, और जो भी माध्यम सहज उपलब्ध हो तो मुबारकें आने लगती हैं। अधिकांश तो फ़ेसबुक पर। और हम लोग एक पूरा दिन उन्हें आते देखने के बाद अगली सुबह नमूदार होते हैं, उन सब लोगों का शुक्रिया अदा करने के लिए जो एक दिन पहले हमारे लिए उत्साहित थे। तो उस दिन जब मुबारकों का ताँता लगा हुआ था, मैंने दोपहर होने से पहले ही शुक्रिया अदा कर देने का मन बना लिया। और इसी में देश निर्मोही का धन्यवाद करते हुए घोषणा कर डाली कि अभी तो मुझे आत्मकथा भी लिखनी है। अब तक उसी ने मेरा लिखा हर शब्द प्रकाशित किया है, उसके रहते मुझे किसी दूसरे प्रकाशक की तरफ़ देखने की नौबत कभी नहीं आई, तो ज़ाहिर था अगर आत्म की यह कथा सचमुच काग़ज़ पर उतर आती है तो इसे छापने का दायित्व भी स्वाभाविक तौर पर आधार प्रकाशन का ही रहेगा।

तब तक मुझे नहीं था मालूम यह कथा कैसे लिखी जाएगी, लेकिन बाक़ी कामों को स्थगित करके जब सचमुच लिखने लगा तो हैरानी का पारावार न रहा। उस हैरानी को सार्वजनिक तौर पर अभिव्यक्ति देने के लिए ही फ़ेसबुक पर लिख डाला।15 नवम्बर, 2020: आज पूरे सात दिन हुये जब इसे लिखना शुरू किया था। मैंने यूँ ही एक कथा लिखना शुरू कर दिया है, अपनी माँ की मृत्यु के दिन से, लेकिन इस यूँ ही का महत्व तब मालूम नहीं था, अब मालूम पड़ रहा है की किसी दुरूह, दुर्गम और निजी पीड़ाओं से भरी एक यात्रा पर निकलने के लिए हमने एक नन्हा सा पहला कदम उठाना पड़ता है, जिसमें आगे आने वाली दुश्वारियों की कल्पना भी नहीं होती। इन सात दिनों में प्रतीत हो रहा है, जैसे विराट हिमालय के सबसे ऊँचे शिखर से विशाल हिमखंड अनवरत गिर रहे हैं और पृथ्वी की इस सतह पर जहां हम सब जीवित हैं, सतलुज के व्यापक प्रवाह की सी गर्जना करते पूरे अस्तित्व को अपने लपेटे में ले रहे हैं। सतलुज का मेरे जीवन में बहुत महत्व रहा है, इसलिए उसी के प्रवाह की याद आना स्वाभाविक था।

क्या ऐसा सम्भव है कि इतने अरसे बाद एक एक संवाद याद रहे।क्या एक बार फिर हम उस गुज़रे जीवन को वापस जी सकने का साहस कर सकते हैं? या उसे वापस जिया जाना चाहिए?

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]