Does age gap or age matter in relationship or marriage or not? | रिलेशनशिप या मैरिज में ऐज गैप या ऐज मैटर करती या नहीं?
Credited by Lead India @apanijodi
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1. कोर्ट मैरेज के बाद पुलिस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि किसी व्यक्ति को कोर्ट मैरेज के बाद किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उत्पीड़ित किया जाता है, तो वह पुलिस की मदद ले सकता है। पुलिस उस व्यक्ति की सुरक्षा के लिए कार्रवाई करेगी और उसे कानूनी सलाह देगी।
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शादी सभी की जिंदगी का एक मह्त्वपूण हिस्सा होता है। सभी चाहते है की उनकी शादी बहुत अच्छे से हो जाये और शादी के बाद किसी प्रकार की परेशानियां उन्हें ना घेरें। अगर कोई कोइ तामझाम और सभी झंझट से दूर होकर शादी करना चाहता है, तो वो कोर्ट मैरिज का रास्ता अपना सकता है। कोर्ट मैरिज कोर्ट में लड़के और लड़की की सहमति से होती है। आज हम इसी पर बात करेंगे कि कोर्ट मैरिज करने से फायदा होता है या नुकसान।
कोर्ट मैरिज के फायदे
(1) इसका पहला सकारात्मक प्रभाव है की कोर्ट मैरिज पूरी तरह से लीगल होती है। इसमें अलग अलग लीगल डाक्यूमेंट्स बनते है जो की शादी को पूरी तरह मान्यता प्राप्त कराते है।
(2) कोर्ट मरीज के बाद स्पाउस वीसा बहुत आसानी से मिल जाता है जबकि अरेंज मैरिज करने पर इसमें बहुत ज्यादा समय लगता है और परेशानिया भी आती है।
(3) कोर्ट मरीज में कपल की ख़ुशी को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। कपल की पसंद और इच्छाओं का पूरा सम्मान होता है। जबकि अरेंज मैरिज में कई बार इसका अभाव रहता है।
(4) कोर्ट मैरिज बहुत कम समय में होने वाली मैरिज है। जिस वजह से इसे समझदारों और शिक्षितों की शादी भी कहा जाता है।
(5) कोर्ट मैरिज में किसी तरीके का कोई दिखावा नहीं किया जाता है। ये शादी एकदम सरल और दिखावे से बिल्कुल दूर होती है।
(6) कोर्ट मैरिज में परम्पराओं के नाम पर शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करना,नशेखोरी, बेकार के आडम्बर, ये सब नहीं होता है।
(7) दुर्भाग्यवश अगर किसी व्यक्ति के पति या पत्नी की मृत्यु हो जाती है। तो बीमा, नौकरी, या कोई भी कानूनी अधिकार लेने में समस्या नहीं आती है। पीड़ित व्यक्ति को उसके अधिकार आसानी से मिल जाते है।
(8) किसी भारतीय और विदेशी की भी कोर्ट मैरिज हो सकती है। ये पूरी तरह से लीगल हैं।
(9) लिव-इन में रह रहे कपल के लिए वरदान है कोर्ट मैरिज। बिना घरवालों की रजामंदी के ऐसे कपल को पति पत्नी होने का कानूनी दर्जा मिल जाता है।
कोर्ट मैरिज के नुकसान
(1) सामाजिक शादियों के मुकाबले कोर्ट मैरिज करने के बाद संबंधों को सामाजिक स्तर पर पहचान मिलने में ज्यादा समय लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोर्ट मैरिज में सिर्फ 2 गवाह या कपल के कुछ करीबी लोग ही शामिल होते है। तो जाहिर सी बात है की सबको एक साथ पता नहीं चल पाता है।
(2) कोर्ट मैरिज में सभ्यता और संस्कारों की कमी रहती है। और साथ ही धर्मों की मान्यताएं भी लगभग गायब हो जाती है।
(3) सामाजिक शादियों में कपल के परिवारों का मिलना-जुलना होता है। जिससे नए रिश्ते जैसे देवर, ननद, सास-ससुर, आदि को जल्दी पहचान मिल जाती है। सभी एक दूसरे को जानने-पहचानने लगते है। एक नया सामाजिक समूह बन जाता है। कोर्ट मैरिज करने के बाद इस पहचान को बनाने में थोड़ा समय लगता है।
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