@Vedicdharaindia
@LOVEUCHANDIGARH देवी चंडी की महिमा से जन्मा चंडीगढ़,पांडवों- कौरवों की कुलदेवी मां जयंती देवी महिमा,मनसा देवी महिमा,माता मनसा देवी महिमा,माँ चंडी देवी सिद्धपीठ,मां जयंती देवी की मान्यता,माँ मनसा देवी की चमत्कारी कथा,chandigarh ka ithass,@loveuchandigarh,chandi mandir,chandigarh,chandigarhkanam,naming of chandigarh,माँ चंडी,chandigarh city,love chandigarh,कैसे रखा चंडीगढ़ का नाम,चंडीगढ़ का नामकरण,dr rajinder prshadचंडी मंदिर ” के साथ जुड़ा हैं चंडीगढ़ का इतिहास और “पाण्डवों की विजय का राज़ ।
मान्यता है कि यहाँ सच्चे मन से माँगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। चंडीगढ़ घूमने आने वाले पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करने ज़रूर आते हैं ।
मंदिर में आज भी पुराना छोटा भवन मौजूद है जिस में माता की प्राचीन मूर्ति विराजमान है यहां परम्परागत ढंग से पूजा अर्चना की जाती है । मंदिर की दीवारों पर दर्ज पौराणिक इतिहास के अनुसार ये मंदिर पाँच हज़ार वर्ष से भी ज़्यादा पुराना है । यहाँ महिषासुर मर्दिनी माँ चंडी राक्षस का वध कर उस के ऊपर खड़ी हैं। अपने 12 सालों के वनवास के समय पांडव जंगलों में भटकते हुए यहाँ आये थे और उन्होंने इस स्थान पर देवी चंडी की आराधना की थी जिनमें से अर्जुन ने पेड़ की शाखा पर बैठ कर कठिन तपस्या की थी जिस से प्रसन्न हो कर देवी चंडी ने उन्हें एक तेजस्वी तलवार और जीत का आशीर्वाद दिया था। कहा जाता है कि इसी शक्ति के बल पर पाण्डवों ने महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त की थी।
भारत के राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद उन्नीस सौ पचास के दशक में इस चंडी मंदिर के दर्शन के लिए आए थे। तब चंडीगढ़ शहर का निर्माण कार्य चल रहा था। इस धार्मिक दौरे के दौरान उन्होंने देवी चंडी की महिमा को जाना और माँ चंडी के सम्मान में इस शहर का नाम 'चंडीगढ़' रखने का प्रस्ताव दिया। चंडीगढ़ का अर्थ है "चंडी का किला”।
“आदि शक्ति माँ चंडी देवी की जय ”।
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