Karm Pragyapti | Hum bhed gyan pragtaye

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सुपरिज्ञातकर्मा आचार्य प्रवर श्री रामलाल जी म.सा. के दिव्य ज्ञानालोक से आलोकित एवं उपाध्याय प्रवर श्री राजेश मुनि जी म.सा. की जिनागम-परिकर्मित-मति से अनुप्राणित एक अलौकिक ग्रंथ है - *कर्म प्रज्ञप्ति*। कर्मों के स्वरूप का और कर्मों पर विजय प्राप्त करने की प्रक्रिया का रोचक वर्णन कर्म प्रज्ञप्ति में किया गया है।

हम कर्म और चेतन की भिन्नता का बोध प्राप्त करके, पुण्य और पाप के स्वरूप को समझकर, राग और द्वेष रुपी अंधकार को दूर करके शाश्वत धाम को प्राप्त करने का पुरुषार्थ करें - यही कर्म प्रज्ञप्ति का सार है।

कर्म प्रज्ञप्ति के इसी सार को महापुरुषों ने एक भजन के रूप में पिरोया है। अध्ययन से पूर्व मन को इन्हीं भावों से भावित करें और आत्मिक स्वरूप में रमण करने का आनंद लेवें।

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