अनोखा तथा चमत्कारी नवग्रह शनि मंदिर, यहाँ भगवान शिव के रूप में होती है शनिदेव की पूजा | 4K | दर्शन 🙏

Описание к видео अनोखा तथा चमत्कारी नवग्रह शनि मंदिर, यहाँ भगवान शिव के रूप में होती है शनिदेव की पूजा | 4K | दर्शन 🙏

श्रेय:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - याचना अवस्थी

भक्तों नमस्कार,, आप सभी का हमारे यात्रा कार्यक्रम दर्शन में हार्दिक अभिनन्दन...हम आपको अपने इस यात्रा कार्यक्रम की श्रंखला में विभिन धार्मिक, ऐतिहासिक तीर्थ स्थानों एवं मंदिरों की यात्रा करवाते आये हैं..जिनमें से कुछ स्थल अपने चमत्कारिक तथा कुछ अपने पौराणिक महत्त्व की वजह से हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर को पूरे विश्वास में गौरवान्वित कर रहे हैं.. इसी श्रंखला में आज हम आपको जिस मंदिर के दर्शन करवाने जा रहे हैं वो मंदिर है मध्य प्रदेश में महाकाल की प्रिय नगरी अवन्ती अर्थात उज्जैन में शिप्रा नदी के त्रिवेणी तट पर स्थित “नव ग्रह शनि मंदिर” जहाँ विराजते हैं सभी ग्रहों के साथ न्यायप्रिय देव भगवान् शनि !

मंदिर के बारे में:
मध्य प्रदेश का प्राचीन एवं पौराणिक तीर्थ स्थल कहीं जाने वाली नगरी उज्जैन में इंदौर रोड पर त्रिवेणी संगम के किनारे स्थित नवग्रह शनि मंदिर कर्म फलदाता शनिदेव व अन्य्र ग्रहों को समर्पित अति प्राचीन मंदिर है उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य द्वारा स्थापित ये शनि मंदिर विश्व का पहला ऐसा मंदिर है जहां शनिदेव शिव के रूप में अन्य ग्रहों के साथ विराजित है इसके अतिरिक्त सभी मंदिरों में शनि देव शिला के रूप में विराजमान हैं. यही एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ दशा पूजन का महत्व रहा है. यहां के अलावा किसी अन्य मंदिर में दशा पूजन नहीं की जाती है यहां आने वाले सभी भक्तों के कष्ट शनिदेव के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं। इस मंदिर के साथ ही विश्व के सबसे वैज्ञानिक कैलेण्डर विक्रम संवत का इतिहास भी जुड़ा है. कहते हैं इसी मंदिर की स्थापना के बाद राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत की थी.. नवग्रह शनि मंदिर एक ऐसा मंदिर जहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को शनिदेव अपने साक्षात् स्वरूप में दर्शन देते हैं।

मंदिर की स्थापना:
भक्तों नवग्रह शनि मंदिर की स्थापना के विषय में कहा जाता है की इस मंदिर की स्थापना लगभग ढाई हज़ार वर्ष पहले उज्जैन के महान सम्राट विक्रमिदित्य द्वारा उनके ऊपर आये कष्टों से अवगत होने बाद की गयी थी...उसके बाद समय समय पर मंदिर का जीर्णोधार होता गया..

मंदिर का गर्भग्रह:
नवग्रह शनि मंदिर के गर्भग्रह में प्रवेश करते ही आपको शनिदेव शिव रूप में साढ़े साती व एक तरफ गणेश जी दूसरी ओर ढैया की दशा तथा साथ ही विराजित हनुमान जी के भी दर्शन होते है. लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां तेल चढ़ाते हैं. जिन लोगों पर शनि की ढय्या का प्रभाव होता है, वे ढय्या शनि को तेल चढ़ाते हैं. शनि की साढ़ेसाती और अन्य समस्याओं के लिए शनिदेव की मुख्य प्रतिमा की पूजा की जाती है. यहां राजा विक्रमादित्य को शनिदेव ने आशीर्वाद दिया था कि जो भी भक्त इस मंदिर में दर्शन को आएगा उसके सभी कष्टों का निवारण होगा, इसलिए यहां बड़े हर्ष उल्लास के साथ भक्त पहुँचते हैं और शनिदेव की कृपादृष्टि और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

शनिदेव और विक्रमादित्य की कथा:
भक्तों, नवग्रह शनि मंदिर की स्थापना के पीछे राजा विक्रमिदित्य से जुड़ी हुई एक सुप्रसिद्ध कथा के अनुसार – एक बार उज्जैन के राजा विक्रमादित्य पर शनि की साढ़े साती का प्रकोप हुआ जिसकी वजह से उनका पूजा राज पाठ चला गया, उन्हें एक तेली के घर काम करके अनेक कष्ट भोगने पड़े इस दौरान उनपे चोरी का आरोप भी लगा और उनके हाँथ पैर कटवा दिए गए.. तब तक विक्रमादित्य को साढ़े साती के बारे में कोई ज्ञान नहीं था पर जब धीरे धीरे साढ़े साती का समय समाप्त होने लगा और उनकी दशा सुधरने लगी तब राजा विक्रमादित्य को शनिदेव की साढ़े साती के बारे में ज्ञान हुआ और फिर उन्होंने उज्जैन आकर इस जगह पर पूजन कर सभी नौ ग्रहों का आह्वान किया तब सभी ग्रहों ने आकर राजा विक्रमादित्य को दर्शन दिए और यहीं स्वयंभू रूप में विराजमान हो गए जिनका विक्रमादित्य ने उन सभी की दशाओं के अनुसार पूजन किया... और इस तरह से इस नवग्रह शनि मंदिर की स्थापना हुई...

मंदिर परिसर:
नवग्रह शनि मंदिर परिसर के बाहर ही एक छोटी सी मार्केट है जहाँ पूजा सामग्री, भोग प्रसाद, फूल माला, तेल दिए, दान की जाने वाली वस्तुओं आदि की दुकाने हैं श्रद्धालु यहाँ से अपनी श्रध्नुसार शनिदेव को अर्पित करने के लिए पूजा सामग्री लेकर मंदिर में प्रवेश करते हैं... मंदिर परिसर बहुत विशाल है जिसमे अलग अलग कई सभाग्रह बने हुए हैं.. जहाँ विशेष अवसरों पर धार्मिक आयोजन किये जाते हैं.. शनिश्चरी अमावस्या या शनिवार के दिन यहाँ भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है... परिसर की दीवारों पर चारो ओर सुंदर कलाकृति के जंगले लगे हुए जिनसे आती हुई शीतल हवा भक्तों को संतुष्टि का अनुभव देती है परिसर में गर्भ ग्रह में मुख्य प्रतिमाओं के अलावा परिक्रमा मार्ग है जिसमे अलग अलग अन्य आठ ग्रहों के गर्भ ग्रह बने हुए हैं..

भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव, तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏

इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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