भारत के शहरी क्षेत्रों में निर्बाध पानी की आपूर्ति कैसे की जाती है।—Hindi Information

Описание к видео भारत के शहरी क्षेत्रों में निर्बाध पानी की आपूर्ति कैसे की जाती है।—Hindi Information

कुएं भूजल एकत्र करते हैं और बारिश से भी भर जाते हैं । यहाँ सामान्य कुएँ और हैंडपंप भी हैं। इसके अलावा ये नदियों पर भी निर्भर रहते हैं. नगरपालिका द्वारा उपयोग किए जाने वाले पानी की खपत दो आंकड़ों पर निर्भर करती है, सबसे पहले पानी की खपत की दर और पानी की मात्रा है जिसकी आपूर्ति आबादी के लिए की जाती है।
.
.
शहरों में निर्बाध पानी की आपूर्ति बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने अगले कुछ दशकों तक की जरूरत को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देशों को नए सिरे से तैयार किया है जो शहरों की समस्त आबादी को 24 घंटे पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।1999 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर इस विषय को सतह पर लाया गया है। इससे निपटने के लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने अगले कुछ दशकों तक की जरूरत को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देशों को नए सिरे से तैयार किया है, जो शहरों की समस्त आबादी को 24 घंटे पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

पानी की आपूर्ति मीटर प्रणाली के जरिये होनी चाहिए
1999 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर इस विषय को सतह पर लाया गया है, क्योंकि तेजी से और अक्सर बेलगाम तरीके से हो रहे शहरीकरण में पानी की उपलब्धता को लेकर विशेषज्ञों ने अपनी चिंताएं भी व्यक्त की हैं। इस मैनुअल में जितना जोर पानी के संसाधनों के संरक्षण, उसके उपयोग की दक्षता बढ़ाने की वकालत की गई है, उतना ही जोर इस पर भी दिया गया है कि हर स्तर पर पानी की आपूर्ति मीटर प्रणाली के जरिये ही होनी चाहिए।

मैनुअल के अनुसार शहरी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति अमृत योजना के जरिये बहुत सुधरी है। 90 प्रतिशत से अधिक शहरी इलाके पाइप्ड वाटर सप्लाई के दायरे में आ गए हैं, लेकिन यह आपूर्ति निर्बाध नहीं है। ज्यादातर इसकी अवधि दो से छह घंटे की है और कई ऐसे इलाके भी हैं जहां पानी इससे भी कम अवधि के लिए उपलब्ध हो पाता है।

नीतिगत परिवर्तन की जरूरत
यह छिटपुट आपूर्ति कई समस्याओं को जन्म देती है। जैसे जब पानी की आपूर्ति न हो रही हो तब इसके वितरण नेटवर्क में जल के प्रदूषित होने का सबसे अधिक खतरा होता है। इसके साथ ही रुक-रुक कर होने वाली आपूर्ति बड़े पैमाने पर गैर राजस्व जल यानी वह पानी जिसकी कोई कीमत नहीं हासिल हो पाती, को जन्म देती है। इसका साफ मतलब है कि पानी या तो बर्बाद हो जाता है या फिर उसका कोई हिसाब-किताब नहीं होता। मैनुअल के अनुसार इन मसलों के समाधान के लिए नीतिगत परिवर्तन की जरूरत है।

परंपरागत केंद्रीकृत योजनाओं की जगह विकेंद्रीकृत नजरिया अपनाना होगा। आपरेशन जोन (ओजेड) और डिस्टि्रक्ट मीटर्ड एरिया (डीएमए) के विचारों को अमल में लाना होगा। आपरेशन जोन यानी नेटवर्क का सबसे अंदरूनी इलाका और डीएमए यानी जिले जैसी इकाई में पानी का संपूर्ण प्रबंधन।

शहरी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति
शहरी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति के लिए ऑपरेशन जोन तथा डिस्टि्रक्ट मीटर्ड एरिया को भारतीय मानक ब्यूरो ने भी परिभाषित किया है और इनके संदर्भ में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह परिवर्तन या रूपांतरण शहरी क्षेत्रों में सभी निवासियों के लिए भरोसेमंद और सभी की पहुंच वाली जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बहुत जरूरी है।

शहरी गतिशीलता में सुधार और जीने में आसानी को लेकर संगठित शहरी बस सेवा को मजबूत करने के लिए पहाड़ी/यूटी/उत्तर पूर्वी राज्य की राजधानियों (कुल – 111) सहित पांच लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 20,000 से ज्यादा सिटी बसों को लगाने की एक योजना है। योजना के घटकों में शहर में संचालन के लिए स्वच्छ ईंधन के साथ सभी प्रकार की नई बसों (भारी उद्योग विभाग की फेम योजना के तहत पहले से शामिल हाइब्रिड/बैटरी इलेक्ट्रिक बसों को छोड़कर) की खरीद, संबंधित बुनियादी ढांचा और खरीद के बाद पांच साल तक की अवधि के लिए समर्थन शामिल हैं। इस योजना के लिए लगभग 15,000 करोड़ रुपये का परिव्यय रखा गया है। यह ऑटोमोबाइल उद्योगों को बढ़ावा देगा, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगा और कोविड-19 दिशानिर्देशों के बीच शहरों को शहरी परिवहन में सामाजिक दूरी के पालन करने की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा यह योजना सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देगी और भीड़, प्रदूषण एवं दुर्घटनाओं को कम करने के साथ इन शहरों में स्वच्छ हवा की बढ़ोतरी होगी।

हरित शहरी गतिशीलता
यह योजना हरित और स्वच्छ शहरी गतिशीलता परियोजनाओं का गति प्रदान करने का संकल्प रखती है। यह जलवायु परिवर्तन को कम करने और टिकाऊ लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है। इस योजना का ध्यान नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट (एनएमटी) संबंधी बुनियादी ढांचे में सुधार, शहरी परिवहन के प्रकारों में नवाचार को बढ़ावा देना, इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आईटीएस) की सुविधा को मजबूती देना, ऊर्जा दक्षता/स्वच्छ ईंधन के लिए रेट्रोफिटिंग बसें एवं अन्य प्रकार और हरित शहरी परिवहन के लिए दूसरी तकनीकी एवं नवाचार उपायों के लिए है। इस योजना के तहत परियोजनाओं के लिए लगभग 3,000 करोड़ रुपये का परिव्यय रखा गया है। इन परियोजनाओं को हरित शहरी गतिशीलता प्रतिस्पर्धा के जरिए चुना जाएगा। यह योजना यात्रा करने के तरीकों में परिवर्तन लाकर, शहरी गतिशीलता संबंधित बुनियादी ढांचे और पैदल यात्री/साइकिल मार्गों जैसी सेवाओं में सुधार, अंतिम स्थान तक कनेक्टिविटी, सूचना प्रौद्योगिकी एप्लीकेशनों को बढ़ावा और शहरी गतिशीलता परियोजनाओं के कार्यान्वयन एवं वित्त पोषण में नवाचारों को अपनाने में सहायता करेगा।
.
.
20 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों/शहरी समुदायों के लिए प्रदर्शन आधारित अनुदान (मिलियन प्लस सिटीज चैलेंज फंड) के तहत 38,196 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इनमें से 12,139 करोड़ रुपये वायु गुणवत्ता में व्यापक सुधार के लिए और 26,057 करोड़ रुपये पेय जल, स्वच्छता और ठोस कचरा प्रबंधन के लिए आवंटित है।

Комментарии

Информация по комментариям в разработке