ककसाड़ – स्वर्ग से सुन्दर हमारा अबूझमाड़ और यहां की संस्कृति | Dk808

Описание к видео ककसाड़ – स्वर्ग से सुन्दर हमारा अबूझमाड़ और यहां की संस्कृति | Dk808

स्वर्ग से सुन्दर हमारा अबूझमाड़ और यहां की संस्कृति |Dk808

क्या है ककसाड़?

'ककसाड़' तथाकथित विकसित सभ्यता में अल्प-परिचित लगभग अप्रचलित है। 'ककसाड़' (जतरा या पूजा यात्रा) शब्द व्यापक अर्थ में जनजातियों के द्वारा की जाने वाली लोक देवी और लोक देवताओं की आराधना है। इसे नृत्य-प्रधान पर्व के रूप में मनाया जाता है। बस्तर में एक निश्चित परिधि में निवास करने वाले अबूझमाड़ इलाके का यह एक गोत्र पर्व है जहाँ गोंड जनजाति के युवक-युवती, आबाल-वृद्ध सभी एक नियत गाँव में जुटते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। इसमें युवक-युवतियों की प्रमुख भूमिका होती है। गायता, सिरहा, गुनिया एवं गाँव के पुजारी इस पूजा को संपन्न कराते हैं। मांदर, ढोल, नगाड़ा, तुड़मुड़ी, मोहरी आदि लोक-वाद्ययंत्रों की संगत में नृत्य की प्रस्तुति प्रारंभ हो जाती है। ककसाड़-पर्व मनाने की कोई खास तिथि निश्चित नहीं रहती। अलग-अलग गाँवों का ककसाड़ अलग-अलग समय में मनाया जाता है। ककसाड़-पर्व के साथ ही आदिवासी कबीलों में शादी-विवाह की विधिवत शुरुआत होती है।

#kakshad #ककसाड़ #bastar #narayanpur #chhattisgarh #dk808

Комментарии

Информация по комментариям в разработке