18 दिन अंतरिक्ष में | Subhanshu Shukla का ऐतिहासिक सफ़र 🇮🇳" ( @dilseinspired )
🚀 25 जून – उड़ान का उद्घोष
फ़्लोरिडा की धरती से उठा जब Falcon 9 का रॉकेट,
केनेडी स्पेस सेंटर ने कहा — "भारत का बेटा रॉकेट!"
एक्सिओम-4 का सफ़र, अंतरिक्ष की ओर बढ़ा,
शुभांशु ने तिरंगा थामा, हर भारतवासी का दिल गढ़ा।
🌐 26 जून – इतिहास की दस्तक
दोपहर के चार बजे, ISS से जुड़ गया स्वप्न,
पहली बार भारत का नागरिक पहुँचा उस ब्रह्म।
पैगी व्हिटसन ने पहनाया पिन, गूँजा मिशन कमांड,
"ये 634वां यात्री नहीं, ये भारत की नई उड़ान!"
🔬 26 जून – 14 जुलाई: विज्ञान का यज्ञ
मांसपेशियों पर अध्ययन, मायोजेनेसिस से नया ज्ञान,
टार्डिग्रेड्स ने बताया, जीवन कहाँ-कहाँ हैवान।
बीजों से अंकुर फूटे — मैथी, मूंग, चना भी हरा,
और साइनोबैक्टीरिया ने गाया – "ऑक्सीजन अभी मरा नहीं!"
🛰️ जनसंपर्क के उजाले
अठ्ठाइस जून – प्रधानमंत्री से संवाद का क्षण,
बच्चों से रेडियो कॉल – विज्ञान बना अपनापन।
छह जुलाई को ISRO से संवाद, बना आत्मीय सेतु,
विज्ञान और संकल्प की गूंज थी, जैसे रच रहा हो वेदों का वेतु।
🧘♂️ शून्यता में स्थिरता
वीडियो में दिखी जब शून्य में गति की कहानी,
शरीर ने बताया — माइंडफुलनेस ही असली रवानी।
हर हलचल में एक सागर था, हर चुप्पी में तूफ़ान,
अंतरिक्ष में भी मन को साधना — यही सच्चा विज्ञान।
🌊 14-16 जुलाई – पृथ्वी की वापसी
चौदह को अनडॉकिंग, और सागर ने किया स्वागत,
पंद्रह जुलाई दोपहर, ड्रैगन ने किया स्प्लैशडाउन का समागत।
580 पाउंड डेटा, और 31 देशों की मिसाल,
साथ लाया वो अनुभव जो बना मिशन की ढाल।
🏡 16 जुलाई – भारत का अभिमान
राष्ट्रपति ने कहा – "भारत ने नया इतिहास रचा",
प्रधानमंत्री बोले – "एक अरब सपनों को दिशा दी सच्चा।"
रक्षा मंत्री ने पिता को सराहा, सरकार ने भेजे शुभकामनाएँ,
हर दिल में गूँजा – “ये तो है देश की नई तरंगें पुरानी।”
🎥 19-20 जुलाई – आत्मचिंतन की कहानी
19 को वीडियो वायरल – शून्य में ध्यान की झलक,
दर्शकों ने कहा — "शांति ऐसी जैसे ब्रह्म की लयबद्ध ललक!"
20 को खुद ने कहा – “स्थिरता थी मेरी ढाल,
माइंडफुलनेस ने बनाया, हर चुनौती को आसान हाल।”
🏁 समापन, पर नहीं अंत
ये बस एक मिशन नहीं था, ये था आत्मबल का निर्माण,
भारत के लिए खोला रास्ता – Gaganyaan का सम्मान।
NASA, ISRO, AXIOM ने दिया साथ,
विज्ञान की साझेदारी में जुड़ी नई बात।
🇮🇳
"अब जब कोई बच्चा कहे — मुझे चाँद छूना है,
तो माँ मुस्कुरा कर कहे — 'शुभांशु जैसा बन, बेटा तूना है!'
गगन को जीतने निकले हैं हम, अब न सीमाएँ रोकेंगी,
भारत की उड़ान अब धरती नहीं — तारे आँकेंगे!"
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