कार्तवीर्यअर्जुन या सहस्रार्जुन या सहस्त्रबाहु स्तुति प्रयोग ऐवम प्रच्लित मंत्र #कार्तवीर्यअर्जुनबीजमंत्र #कार्तवीर्यअर्जुनस्तवन
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भगवान विष्णु के 24वें अवतार थे भगवान कार्तवीर्यार्जुन सहस्त्रार्जुन सहस्रबाहु, कार्तवीर्य अर्जुन के हैहयाधिपति, दषग्रीविजयी, सुदशेन, चक्रावतार, सप्तद्रवीपाधि, कृतवीर्यनंदन, राजेश्वर आदि कई नाम होने का वर्णन मिलता है। दत्तात्रेय के शिष्य : कार्तवीर्यार्जुन ने अपनी अराधना से भगवान दत्तात्रेय को प्रसन्न किया था। भगवान दत्तात्रेय ने युद्ध के समय कार्तवीर्याजुन को हजार हाथों का बल प्राप्त करने का वरदान दिया था, जिसके कारण उन्हें सहस्त्रार्जुन कहा जाने लगा। इन्हें ही सहस्रबाहु अर्जुन कहा गया।भार्गवों से शत्रुता : भार्गववंशी ब्राह्मण इनके राज पुरोहित थे। भार्गव प्रमुख जमदग्नि ऋषि (परशुराम के पिता) से कृतवीर्य के मधुर संबंध थे। परशुराम का जिन क्षत्रिय राजाओं से युद्ध हुआ उनमें से हैहयवंशी राजा सहस्त्रार्जुन इनके सगे मौसा थे। जिनके साथ इनके पिता जमदग्नि ऋषि का इनकी माता रेणुका और कपिला कामधेनु गाय को लेकर विवाद हो गया था। इसी के चलते भगवान पराशुराम ने सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया था। पराशुरामजी का हैहयवंशी राजाओं से लगभग 36 बार युद्ध हुआ था। क्रोधवश उन्होंने हैहयवंशीय क्षत्रियों की वंश-बेल का विनाश करने की कसम खाई। इसी कसम के तहत उन्होंने इस वंश के लोगों से 36 बार युद्ध कर उनका समूल नाश कर दिया था। तभी से यह भ्रम फैल गया कि परशुराम ने धरती पर से 36 बार क्षत्रियों का नाश कर दिया था।भगवान सहस्त्रार्जुन का पूजन करने की विधि :- विधान शक्रवार का दिन सहस्त्रबाह भगवान के पजा के लिए निर्धारित किया गया है। आप किस दिन उपवास कर सकते हैं। पूजन विधि- चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान श्री का चित्र-मूर्ति लाल फल-फूल आदि सामग्री उपयोग करें, पश्चिम में स्थापित कर साधक-साधिका लाल वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा मे मुखकर शुद्ध घी या तिल-तेल का कि प्रज्वलित कर-लाल कमल या जूही के पुष्प चढ़ाकर भगवान श्री सहस्रार्जुन कथा का वाचन करने पश्चात हवन 'बीज मंत्र -ॐ फ्रों ही क्लीं कार्तवीर्यार्जुनाय नमः” बोलते हुए 108 आहुति छोड़ने से अपार ऐश्वर्या और-संपत्ति का स्वामी होता है। तत्पश्चात आरती कर प्रसाद वितरण करे। विशेष दिन -तृतीया,पंचमी,सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी पूर्णिमा है। रोहिणी, कृतिका, पुनर्वस, पुष्प, पूर्वाफाल्गुनी, श्रवण, अभिजीत नक्षत्र में दीपदान करें। प्रतिदिन पूजा करने से नवग्रह की पीड़ा शांत, असाध्य बीमारियां ठीक, जटिल समस्याओं का समाधान, सभी कार्यों में सफलता, विजय श्री मिलती है। उद्यापन कर-मंत्र जाप करें 'नमोस्तु कार्तवीर्यार्जुन' के मंत्र की 11 माला प्रतिदिन जाप करें। देवी-देवताओं की तरह ही सभी हिंदुओं को भगवान श्री राजराजेश्वर श्री सहसार्जुन जी की नियमित पूजन करना चाहिए।
1-ऐश्वर्य शक्ति प्रजा पालन के योग्य हो, किन्तु अधर्म न बन जावे।2- दूसरो के मन की बात जानने का ज्ञान हो।3- युद्ध में कोई समानता न कर सके।4- युद्ध के समय सस्त्र भुजाएं प्राप्त हो, उनका तनिक भी भार न लगे।5-पर्वत, आकाश, जल, पृथ्वी और पाताल में अव्याहत गति हो।6-मेरी मृत्यु अधिक श्रेष्ठ के हाथो से हो। 7-कुमार्ग में प्रवृत्ति होने पर सन्मार्ग का उपदेश प्राप्त हो।8-श्रेष्ठ अतिथि नी निरंतर प्राप्ति होती रहे।9-निरंतर दान से धन न घटे।10-स्मरण मात्र से धन का आभाव दूर हो जाये एवं भक्ति बनी रहे।
पाठक गण को चाहिये की प्रत्येक पूजा अराधाना ऐवम प्रयोग के पशच्यात इन अराधनओ मै हुइ त्रुटियों के लिये इष्ट देव, देवियो से छमा याचना अनिवार्य तोर पर दुहराये, अन्यथा हो सकता है कि "लेने के देने" कि नौबत आ जाये ।
पाठक गण को चाहिये की प्रत्येक पूजा अराधाना ऐवम प्रयोग के पशच्यात, उप्युक्त शांति पाठ अवश्यमेव करे जिससे कि जो वातावरण मै आई अनावश्यक बद्लाव, जो आपकि अराधना से उत्पन्न हुये है, वो शांत हो जाये ।
यहां मुहैया सूचना सिर्फ सर्वजनिक माध्यमों ऐवम आधारो पर निर्भर है , मान्यताओं और आधारो पर संकलित इन जानकारियों की सत्यता, सटीकता ओर प्रमानिकता पर पाठक गण अपने खुद के विवेक, ग्यान ऐवम विशेषज्ञ से सलाह पर ही प्रयोग मै लाये । यहां यह बताना जरूरी है कि 'इस "आजकेहुनरबाज़ कलकेसरताज चैनल"किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्यमेव लें
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