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Скачать или смотреть कर्मवीर ( कविता) || अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध की कविता || Karmveer || Ashok_Marde

  • विश्वभाषा हिन्दी
  • 2023-03-12
  • 704
कर्मवीर  ( कविता)  ||  अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध  की कविता ||  Karmveer  || Ashok_Marde
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कर्मवीर ( कविता) || अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध की कविता || Karmveer || Ashok_Marde
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कर्मवीर का विश्वास कर्म के प्रति है। काम कितना भी कठीन क्यांे न हो वे कभी भी उस काम को देखकर या काम को संपन्न कराते समय थकते नही है। कार्य सिध्दी मे जब भीड होती है तब वे चंचल न बनकर आराम के साथ विचलित न होकर काम करते है। जो भीड को देखकर विचलित होते है वे वीर नहीं होते है। एक ही आन या कसम के साथ कार्य करने से उनके बुरे दिन भी भले हो जाते है। इसका परिणाम यह होता है कि कर्मवीर सब काल में सब जगह वे फूले फले से अर्थात प्रसन्न ओर खुश मिल जाते हैं।

2. कवि के अनुसार कर्मवीर आज का काम आज ही करते है। समय के प्रति कर्मवीर बडे सजग होते है। कर्मवीर जो काम सोचते है वह काम पूरा कर दिखाते है। जिस काम के बारे में उन्हाने ठान लिया है वह पूरा करके ही दम लेते है। बहुत बार लोग किसी को, किसी काम के बारे में समझाते है लेकिन कर्मवीर हमेशा सभी का कहना सुनते है लेकिन वे अपने उददेश्य के अनुरूप आगे बढने के लिए अपने मन की ही बात हमेशा सुन लेते है। कर्मवीर किसी काम के लिए किसी का मुंह नहीं ताकते है और ना ही किसी की मदद लेते है। कर्मवीर के लिए ऐसा कोई भी काम नही है, जिसे वह नही कर सकते हैं।

3 कर्मवीर अपने समय को कभी भी नष्ट नही करते हैं क्योंकि वे समय की महत्ता को जानते है। जहां काम करना है वहां काम ही करते है। बातें बनाकर वे काम को टालते नहीं है। काम करने की जगह वे बातें नही बनातें है। वे किसी काम के लिए आज करूंगा या कल करूंगा कहकर काम को नही टालते हैं और ना ही व्यर्थ में दिन नही गंवाते है। काम के लिए प्रयत्न करने में वे अपना जी नही चुराते हैं। ऐसी कौंन सी भी बात उनके लिए नही है जिसे वे कर नही पाते है। इसलिए कर्मवीर दूसरों के लिए मिसाल, उदाहरण या नमूना बन जाते है। जिसके आदर्श का अनुकरण सब लोग करते रहते है।
4 आकाश को छूनेवाले दुर्गम उंचे पहाडों के शिखर हो या फिर जंगल में आठों पहर अंधेरा रहता हो। ऐसे घने जंगल क्यों न हो। समुद्र में उर्जना करती पानी की उंची विशाल लहरें क्यों न हो। सारी दिशाओं में फैली आग की भयंकर लपटे क्यों न हो । ये सारे भयानक दृश्य हो या संकट हो । कर्मवीर के कलेजे को कदापि डरा नही सकते है। ऐसे स्थिति में भी कर्मवीर भूलकर भी नाकाम नहीं हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में भी वे हमेशा सफल ही होते हैं।
5 कर्मवीर की महानता है कि वे चिलचिलाती धूप को भी चांदनी की शीतलता महसूस करते है। आवश्यकता पडने पर वे शेर से भी सामना करते हैं। कविता में प्रतिकात्मक रूप में कहा गया है कि लोहे के चने को भी हंस हंसकर चबा लेते हैं अर्थात कठीन प्रसंगों का भी वे हंसकर मुकाबला करते है। उनमें इतनी उर्जा होती है कि कितने भी कोस चलने पर कर्मवीर थकते नही है। ऐसी कोई भी गांठ नही जिसे कर्मवीर नही खोल सकते है।
6 कर्मवीर की विशेषत होती है कि अगर वे चाहे तो किसी तुच्छ को भी अमूल्य बना देते है। जैसे ठीकरी को सोने की डली बना देते है। रेत को भी वे खली में परिवर्तित कर देते है। उसी प्रकार रेत से भी तेल निलाकने की क्षमता अर्थात असाधारण क्षमता कर्मवरीर में होती है। बबूल जैसे कंटीले वृक्ष को भी चंपे की कली के रूप में खिला देने की क्षमता कर्मवीर में होती है। काकली अर्थात मधुर और प्रिय ध्वनि निकालने की क्षमता तो कोकिल में होती है वहीं प्रिय ध्वनि कौए में से निकालने की क्षमता कर्मवीर में होती है। बंजर, अनुपजाऊ प्रदेश ऊसर भूमि क्यों न हो वहां कर्मवीर अनूठे कमल खिला देते है। उसी प्रकार शुष्क या सूखे पेड को भी जीवन प्रदान कर उनमें फल फूल खिलाने की शक्ति कर्मवीर में होती है।
7. कर्मवीर किसी काम को अधूरा नही छोडते है। कठीन कार्य का सामना करके ही वे उसे प्राप्त करते है। वे मन से संपन्न होते है। उन्ही के हाथों से कोयला भी हीरा बन जाता है। उसी प्रकार वे कांच को भी उज्ज्वल रत्न बना देते है।
8 कर्मवीर असाधारण शक्तिशाली होते है। उनमें कठीन से कठीन काम करने के लिए प्रचंड उत्साह होता है। वे पर्वतों को काटकर रस्ता बना देते हैं। वे मरूभूमि में सैकडों नदियां बहा देते हैं। जहां असंभव प्रतीत होता है वहां वे संभव बना देते है।
कवि आगे कहते हैं कि कर्मवीर नभ और तल के भेद अर्थात सारे ब्रहमांड से परिचित होते है। नभ और तल के भेद को वे बता सकते हैं। वे संसार की हर क्रिया को बारीकी से समझाते है।
9 कर्मवीर को कहीं का भी कार्य सौंपने पर वे उस कार्य को संपन्न कराने के लिए सदैव तैयार रहते है। वह कभी भी कार्यास्थल के बारे में पूछते नहीं है। वे असंभव को भी संभव कर दिखाते है। कार्य करते समय किसी भी उलझनें या कठिनाइयों में भी वे अपना उत्साह दिखाते हैं। वे नए उत्साह और जोश के साथ कार्य को पूरा करना जानते है। इस कार्य में विरोधी कितनी भी बाधाएं डालने पर या विघ्न डालने पर भी वे उस जगह को पूरा काम करने के बाद ही छोडते है। विरोध की सैंकडों अड़चने होने के बाद भी वे उस काम को टालते नहीं है।
10 कोई कर्मवीर के कार्य में पर्वत समान विशाल रूकावट खडा करता है तो कर्मवीर अपनी युक्तियों के माध्यम से उस विशाल पर्वत रूपी बाधा को तत्काल उड़ा देते है और अपना मार्ग प्रशस्त करते है। कर्मवीर में किसी काम को करने की एक अजब धून होती है। जिससे वे बाजीगर साबित होते है।
11 कर्मवीर कविता में कवि आगे कहते है कि आज जितने भी देश विकसित हुए है वहां बुध्दि, विद्या, धन, वैभव आदि से संपन्न देखा जा सकता है। उनके विकास का कारण है कि कर्मवीर जैसे सपूत उनके यहां पले है। देश के लोगों का जब कर्मवीर जैसा आचरण होगा तभी देश की भलाई होगी।

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