Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть आश्रम में यज्ञोपवीत संस्कार --२

  • Pt. Kedar Nath Mishra
  • 2022-06-15
  • 180
आश्रम में यज्ञोपवीत संस्कार --२
  • ok logo

Скачать आश्रम में यज्ञोपवीत संस्कार --२ бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно आश्रम में यज्ञोपवीत संस्कार --२ или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку आश्रम में यज्ञोपवीत संस्कार --२ бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео आश्रम में यज्ञोपवीत संस्कार --२

यज्ञोपवीत संस्कार कब करना चाहिए?
उपनयन संस्कार कितने वर्ष में होता है?
उपनयन संस्कार से आप क्या समझते हैं ?
ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य में 'यज्ञोपवित संस्कार' यानी जनेऊ की परंपरा है। बालक के दस से बारह वर्ष की आयु का होने पर उसकी यज्ञोपवित की जाती है। पूर्व काल में जनेऊ पहनने के पश्चात् ही बालक को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिलता था। जनेऊ एक विशिष्ट सूत्र को विशेष विधि से ग्रन्थित करके बनाया जाता है।
जनेऊ क्या है : जनेऊ को संस्कृत भाषा में 'यज्ञोपवीत' कहा जाता है। यह तीन धागों वाला सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात् इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे।
जनेऊ में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्ध, काम और मोक्ष का प्रतीक है। ये पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों के भी प्रतीक है। जनेऊ की लंबाई : जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है क्यूंकि जनेऊ धारण करने वाले को 64 कलाओं और 32 विद्याओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए।
: यह संस्कार कर्णछेदन संस्कार के बाद किया जाता है। शास्त्रानुसार यह संस्कार ब्राह्मण वर्ण के जातकों का आठवें वर्ष में, क्षत्रिय जातकों का ग्यारहवें और वैश्य जातकों का बारहवें वर्ष में किया जाता था
इस संस्कार के अनन्तर ही बालक के जीवन में भौतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस संस्कार में वेदारम्भ-संस्कार का भी समावेश है। इसी को यज्ञोपवीत-संस्कार भी कहते हैं। इस संस्कार में वटुक को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है।
जनेऊ का कोई तार टूट जाए या 6 माह से अधिक समय हो जाए तो इसे बदल देना चाहिए।
तीन सूत्रों वाले इस यज्ञोपवीत को गुरु दीक्षा के बाद हमेशा धारण किया जाता है। अपवित्र होने पर होने पर यज्ञोपवीत बदल लिया जाता है। नया जनेऊ पहनने से पहले स्नान के उपरांत शुद्ध कर लेने के पश्चात अपने दोनों हाथों में जनेऊ को पकड़ें। ॐ यज्ञोपवीतम् परमं पवित्रं प्रजा-पतेर्यत -सहजं पुरुस्तात।
आयुष्यमग्रं प्रतिमुर्ति शुद्ध यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेज: !!
जनेऊ का कोई तार टूट जाए या 6 माह से अधिक समय हो जाए तो इसे बदल देना चाहिए। जन्म-मरण के सूतक के बाद भी जनेऊ बदलने की परंपरा है। यज्ञोपवीत शरीर से बाहर नहीं निकाला जाता।
पं० केदारनाथ मिश्र
ज्योतिषाचार्य
9415773892
8081259107
[email protected]
पं० केदारनाथ मिश्र राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त ज्योतिषाचार्य एवं सात्विक अनुष्ठान विशेषज्ञ हैं! विभिन्न प्रान्तों में इन्हें गोल्ड मैडल सिल्वर मैडल व विशिष्ट उपाधियों से सम्मानित किया गया है! सम्प्रति यज्ञ अनुष्ठान, कुण्डली निर्माण श्रीमद्भागवत कथा, महामृत्युंजय आदि के लिए संपर्क करें !
पं० केदारनाथ मिश्र
. ज्योतिषाचार्य
9415773892
8081259107
[email protected]

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]