दो आहुति अग्निहोत्र यज्ञ का जन्मदाता कौन??l Madhav ashram Bhopal lll

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अग्निहोत्र यज्ञ जो दो आहुतियों का है ये अभी 60 वर्ष ही पुराना है वैसे तो अदि काल से चला आ रहा है पर इस सदी में अग्निहोत्र ने जन्म लिए समय कम हुआ है ! यह वही अग्निहोत्र है जिसे राम किया करते थे, यह वही अग्निहोत्र है जिसे कृष्ण भगवान किया करते थे यह अग्निहोत्र हमारी वैदिक परंपरा का एक अंग था ! समय के रहते यह भुला दिया गया और अग्निहोत्र का अस्तितव मनुष्य के व्यवहार से पृथक हो गया ! अग्निहोत्र का मनुष्य जीवन से अलग हो जाना स्वयं मनुष्य की अनजाने में की गई भारी भूल थी ! ईश्वर प्रकृति को नष्ट होते हुए और मनुष्य को कष्टों में होते देख ब्रम्हा जी ने इस पृथ्वी पर अपने दूत भेजे जिनका नाम अक्कलकोट के श्री गजानन महाराज और दूसरे भोपाल के श्री माधवजी पोतदार साहब ! एक ने आदेश दिया और दूसरे ने उसको दुनिया में लाने के लिए अपने तपोबल से इस धरती के अणु रेणु में उपस्थित ज्ञान अग्निहोत्र को निकाला और मूल विधि विधान को प्रयोग कर उसे 22 फ़रवरी 1963 को जनता को सौप दिया ! इसमें माध्यम बना मध्यप्रदेश की राजधानी के उपनगर बैरागढ़ के पास स्थित माधव आश्रम ! आ0 नलिनी जी के ठोस योजनाएं और हज़ारो हाथ इस कार्य में लगे जिसमे प्रचार टूर ,प्रदर्शनिया , मीटिंग आदि के द्वारा जनता के समक्ष अग्निहोत्र समझाया इस दौरान कुछ ठोस कार्यकर्ता भी बने जिन्होंने अपने परिवार का पेट पालते हुए और अपने जीवन संघर्ष की लड़ाई लड़ते हुए अपना श्रम, धन और समय दिया ! एक एक रुपये जोड़कर अपने आप का बलियदान क्षण क्षण पर देते हुए आ० नलिनी जी ने सब लोगो के साथ मिलकर इस कार्य की नीव को साहब के निर्वाण के बाद और मज़बूत किया ! कष्टों की गिनती नहीं थी और पैसा हाथ में कुछ नहीं था फिर भी हिम्मत थी साहब का कार्य करने की ! आज आ० नलिनी जी के हज़ारो प्रयास,उनकी आत्मविश्वास से भरी और सटीक निर्णायक क्षमता और आश्रम से जुड़े लोग , इन सब का साथ और सहयोग से आज विश्व को अग्निहोत्र का परिचय हुआ ! इसलिए आज यह प्रश्न आता है की अग्निहोत्र को लेन वाला कौन ???
तो इसका उत्तर है सिर्फ एक
"महानुभाव श्री माधवजी पोतदार साहब" !!!

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