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Скачать или смотреть बिहार जमीन सर्वे: आपकी खरीदी हुई जमीन का नाम रिकॉर्ड में क्यों नहीं है? सच्चाई जानें! Land Survey Bi

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  • 2025-09-12
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बिहार जमीन सर्वे: आपकी खरीदी हुई जमीन का नाम रिकॉर्ड में क्यों नहीं है? सच्चाई जानें! Land Survey Bi
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Описание к видео बिहार जमीन सर्वे: आपकी खरीदी हुई जमीन का नाम रिकॉर्ड में क्यों नहीं है? सच्चाई जानें! Land Survey Bi

बिहार में जमीन का महत्व केवल संपत्ति नहीं, बल्कि परिवार की विरासत और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा है। सरकार ने भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए 'बिहार जमीन सर्वे' अभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य हर जमीन का सही रिकॉर्ड बनाना, पुराने विवादों को सुलझाना और वास्तविक मालिक को उसका हक दिलाना है। हालांकि, कई लोगों, विशेषकर नए खरीदारों को, रजिस्ट्री के बाद भी सरकारी रिकॉर्ड में नाम अपडेट न होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उन्हें बैंक लोन या सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में दिक्कत आती है। यह लेख इन्हीं समस्याओं के कारणों, समाधानों और सर्वे की पूरी प्रक्रिया पर प्रकाश डालता है।

बिहार जमीन सर्वे क्या है?
बिहार जमीन सर्वे राज्य सरकार का एक महत्वाकांक्षी अभियान है, जिसमें पूरे राज्य की भूमि की माप, मालिकाना हक की जांच और रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। यह लगभग एक सदी बाद हो रहा सबसे बड़ा सर्वे है, जिसकी शुरुआत 20 अगस्त 2024 को हुई और अनुमानित समाप्ति जुलाई 2026 तक है। इसमें 45,000 से अधिक गांवों और सभी 38 जिलों को कवर किया जाएगा, जिसके लिए लगभग 10,000 अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:

सभी जमीनों के पुराने रिकॉर्ड को अपडेट करना।
जमीन के असली मालिक की पहचान करना।
डिजिटल नक्शे बनाना।
भूमि विवादों को कम करना।
सरकारी योजनाओं का उचित लाभ सुनिश्चित करना।

इससे जमीन खरीद-बिक्री में पारदर्शिता आएगी और धोखाधड़ी पर रोक लगेगी।

आपकी खरीदी हुई जमीन का नाम रिकॉर्ड में क्यों नहीं है?
अगर आपकी खरीदी हुई जमीन का नाम सरकारी रिकॉर्ड या बिहार जमीन सर्वे में नहीं दिख रहा है, तो इसके कई कारण हो सकते हैं:

रजिस्ट्री के बाद भी सरकारी रिकॉर्ड (जमाबंदी/खतियान) में नाम का अपडेट न होना।
खतियान में पुराने मालिक का नाम बने रहना, नए मालिक का नाम दर्ज न होना।
दस्तावेजों में त्रुटियां (जैसे नाम, खेसरा नंबर, या रकबा में गड़बड़ी)।
संबंधित गांव या क्षेत्र का सर्वे अभी पूरा न होना।
यदि पिछले मालिक ने लंबे समय से टैक्स भरा है, तो रिकॉर्ड में उन्हीं का नाम रह जाना।
तकनीकी कारणों से ऑनलाइन सिस्टम में डेटा का अपडेट न हो पाना।


बिहार जमीन सर्वे की पूरी प्रक्रिया
सरकार ने बिहार जमीन सर्वे को छह मुख्य चरणों में बांटा है:

जानकारी संग्रह और फॉर्म भरना: अमीन गांव-गांव जाकर हर जमीन मालिक से प्रपत्र-2 (Form-2) भरवाते हैं, जिसमें जमीन की पूरी जानकारी होती है।
नक्शा और सीमांकन: GPS, ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके हर प्लॉट का नक्शा और उसकी सीमाएं तय की जाती हैं।
दावा और सत्यापन: जमीन मालिक अपने-अपने भूखंड पर दावा प्रस्तुत करते हैं, जिसके बाद उनके दस्तावेजों की जांच की जाती है।
आपत्ति और समाधान: यदि कोई विवाद या गलती पाई जाती है, तो आपत्ति दर्ज की जाती है और उसका समाधान किया जाता है।
रिकॉर्ड प्रकाशन: जांच और समाधान के बाद भूमि रिकॉर्ड को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया जाता है ताकि कोई भी इसे देख सके।
फाइनल रिकॉर्ड: सभी आपत्तियों के समाधान के बाद, भूमि रजिस्टर को स्थायी रूप से अपडेट कर दिया जाता है।


जरूरी दस्तावेज कौन-कौन से हैं?
बिहार जमीन सर्वे के लिए निम्नलिखित दस्तावेज आवश्यक हैं:

जमीन की रजिस्ट्री या बैनामा
खतियान (पुराना मालिकाना दस्तावेज)
जमाबंदी रसीद (टैक्स रसीद)
जमीन का नक्शा
आधार कार्ड/वोटर आईडी
पासपोर्ट साइज फोटो
स्वघोषणा पत्र
मृतक प्रमाण पत्र (यदि मालिक नहीं रहे)
कोर्ट का आदेश (यदि कोई मामला कोर्ट में है)


आपकी खरीदी हुई जमीन का नाम रिकॉर्ड में लाने के लिए क्या करें?
यदि आपकी खरीदी हुई जमीन का नाम रिकॉर्ड में नहीं है, तो ये कदम उठाएं:

अपने क्षेत्र के अंचल कार्यालय (Circle Office) का दौरा करें और स्थिति की जानकारी लें।
रजिस्ट्री, खतियान, रसीद, आधार सहित सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करें।
नाम चढ़ाने के लिए लिखित आवेदन प्रस्तुत करें।
बिहार सरकार के ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करके शिकायत या आवेदन दर्ज करें।
सरकार द्वारा निर्धारित समय-सीमा में ही फॉर्म और दस्तावेज जमा करें।
अपने आवेदन की स्थिति का नियमित रूप से फॉलो-अप करते रहें।


बिहार जमीन सर्वे के फायदे

जमीन विवादों में भारी कमी आएगी।
असली मालिक को कानूनी अधिकार मिलेगा।
रिकॉर्ड डिजिटल होने से धोखाधड़ी पर रोक लगेगी।
सरकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचेगा।
जमीन का सही मूल्यांकन होगा।
बैंक लोन, जमीन खरीद-बिक्री, विरासत आदि में आसानी होगी।
सरकारी योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण में पारदर्शिता आएगी।


बिहार जमीन सर्वे से जुड़ी चुनौतियां

पुराने दस्तावेजों की कमी या गड़बड़ी।
भ्रष्टाचार की शिकायतें।
तकनीकी दिक्कतें (जैसे ऑनलाइन पोर्टल, डेटा एंट्री)।
ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी।
सर्वे टीम की कमी या प्रक्रिया में देरी।


बिहार जमीन सर्वे में ऑनलाइन प्रक्रिया का महत्व
सरकार ने इस बार बिहार जमीन सर्वे को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की है। इससे सभी रिकॉर्ड और नक्शे डिजिटल फॉर्म में उपलब्ध होंगे। नागरिक अपनी शिकायतें और आवेदन ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं, और सर्वे की स्थिति तथा रिकॉर्ड की जानकारी घर बैठे देख सकते हैं। यह फर्जी दस्तावेजों या दोहरी बिक्री पर रोक लगाने में भी सहायक होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q. क्या सर्वे के दौरान ऑनलाइन रसीद जरूरी है?A. यदि आपके पास ऑनलाइन रसीद है और जमीन पर कब्जा भी है, तो सर्वे के दौरान कोई दिक्कत नहीं होगी।
Q. खतियान में नाम बदलने में कितना समय लगता है?A. रजिस्ट्री के बाद खतियान अपडेट होने में कई बार महीनों का समय लग सकता है, क्योंकि यह प्रक्रिया सरकारी स्तर पर होती है।
Q. अगर दस्तावेजों में गलती है तो क्या करें?A. तुरंत अंचल कार्यालय में सुधार के लिए आवेदन दें और सही दस्तावेज जमा करें।
Q. सर्वे में नाम नहीं है तो क्या जमीन मेरी नहीं है?A. ऐसा नहीं है। यदि आपके पास सही दस

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