Times Music Spiritual Present (रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र हिंदी) Shiv Tandav Stotra sung by Malini Awasthi and Kathak / Concept - Ms Teenu Sharma. The song Which describes Shiva's power and beauty.
Track - Shiv Tandav Stotra - हिंदी
Singer - Malini Awasthi
Language - Hindi
Lyricist - Suresh Yash
Music - Shailesh Dani
Kathak / Concept - Ms Teenu Sharma
Cinematographer - Rakesh Kumar
Assistant Cameraman - Akash
DOP - Vikas Prashar
Creative Director - Karan Prashar
Line production - Vip Motion Pictures
Sound - Kapeesh
Director - K.Ravi Shankar & Vikas Prashar
Make up - Shubham
Label - Times Music Spiritual
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शिव तांडव स्तोत्र हिंदी :-
जटा के जल से शीश, भाल, कंध सब तरल दिखे,
गले में सर्प माल और कण्ठ में गरल दिखे।
डमड डमड निनाद डमरु शंभू हाथ में करे,
निमग्न ताण्डव प्रभू कृपा करें बला हरे ।1 ।
कपाल भाल दिव्य गङ्गा धार शोभामान है,
जटा के गर्त में अनेक धारा वेगवान है।
ललाट शुभ्र अग्नि अर्ध चन्द्र विद्यमान है,
वो शिव ही मेरा लक्ष्य मेरी रुचि, आत्मा, प्राण है ।2।
वो जिनका मन समस्त जग के जीवों का निवास है,
वो जिनके वाम भाग माता पार्वती का वास है।
जो सर्वव्याप्त, जिनसे सारी आपदा का नाश है
उन्हीं त्रिलोक धारी शिव से मुझको सुख की आस है ।3।
वो दें अनोखा सुख, जो सारे जीवनों के त्राता हैं,
जो लाल भूरे मणि मयी सर्पों के अधिष्ठाता हैं।
दिशा की देवियों के मुख पे भिन्न रंग दाता हैं,
विशाल गज का चर्म जिनको वस्त्र सा सजाता है ।4।
करें हमें समृद्ध वो कि चंद्र जिनके भाल है
वो जिनका केश बांधे बैठा सिर पे नाग लाल है।
गहरा पुष्प रंग जिनके पाद का प्रक्षाल है।,
वो जिनकी महिमा इंद्र, ब्रह्मा, विष्णु से विशाल है ।5।
उलझ रही जटा से रिद्धि सिद्धियों की प्राप्ति है
कपाल अग्नि कण से कामदेव की समाप्ति है।
समस्त देवलोक स्वामियों के पूज्य, ख्याति है,
वो जिनके शीश अर्धचन्द्र की द्युती विभाति है ।6।
है मेरी रुचि उन्हीं में जो त्रिनेत्र हैं कामारी हैं,
मस्तक पे जिनके धगद धगद ध्वनियों की चिंगारी हैं।
माँ पार्वती के वक्ष पे करते जो कलाकारी हैं,
ऐसे हैं एकमात्र जो अधिकारी वो पुरारी हैं ।7।
है जिनके कंठ में नवीन मेघ जैसी कालिमा।
है जिनकी अंग कांति जैसे शुभ्र शीत चंद्रमा।
जो गज का चर्म पहने हैं जगत का जिनपे भार है,
वो सम्पदा बढ़ाएं जिनके शीश गंगा धार है ।8।
वो जिनका नीलकंठ नीलकमल के समान है,
मथा जिन्होंने कामदेव और त्रिपुर का मान है।
जो भव के, गज के, दक्ष के, अंधक के, यम के काल हैं,
भजते हैं हम उन्हें जो काल के भी महाकाल है ।9।
जो दंभ मान हीन पार्वती रमण पुरारी हैं,
जो पार्वती स्वरूप मंजरी के रस बिहारी हैं।
जो काम, त्रिपुर, भव, गज, अंधक का अंत करते हैं
उन पार्वती रमण को हम शीश झुका भजते हैं ।10।
ललाट पर कराल विषधरों के विष की आग है,
धधकता सा प्रतीत होता भाल का कुछ भाग है।
जो मंद सी मृदंग ध्वनि पे ताण्डव नर्तन करें।
हम उनकी जय जयकार करके उनके पग पे सर धरें ।11।
पत्थर में व पर्यंक में, सर्पों व मोती माल में,
मिट्टी में, रत्न में, शत्रु, मित्र, बक, मराल में।
तिनके में या कमल में, प्रजा में या भूपाल में,
समदृष्टि हो कब होंगे ध्यानस्थ महाकाल में ।12।
कर ध्यान भव्य भाल शिव का चक्षुओं में नीर भर,
एकाग्र करके मन को बैठ गंगा जी के तीर पर,
कब हाथ जोड़ शीश धर बुरे विचार त्याग कर ?
कब होंगे हम सुखी चंद्रशेखर का ध्यान धर ? ।13।
जो नित्य इस महा स्तोत्र का पठन, स्मरण करे,
जो श्रद्धा, भक्ति, स्नेह से वर्णन करे, श्रवण करे।
सदा रहे वो शुद्ध, शंभु भक्ति का वरण करे,
रहे अबाध, शंभु ध्यान, मोह का हनन करे ।14।
जो पूजा की समाप्ति पर, रावण रचित यह स्तोत्र।
पढ़ता शिव का ध्यान कर, पाता शिव का गोत्र
साधन वाहन सकल धन, सुख ऐश्वर्य महान
यश वैभव संपत्ति सहज, देते शिव भगवान ।।
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