Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र और ब्रह्मा के अहंकार का किया मान-मर्दन | Shri Krishna Jeevani

  • Tilak
  • 2025-08-31
  • 21263
श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र और ब्रह्मा के अहंकार का किया मान-मर्दन | Shri Krishna Jeevani
  • ok logo

Скачать श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र और ब्रह्मा के अहंकार का किया मान-मर्दन | Shri Krishna Jeevani бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र और ब्रह्मा के अहंकार का किया मान-मर्दन | Shri Krishna Jeevani или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र और ब्रह्मा के अहंकार का किया मान-मर्दन | Shri Krishna Jeevani бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र और ब्रह्मा के अहंकार का किया मान-मर्दन | Shri Krishna Jeevani

जब रंगशाला में नृत्य का आनंद ले रहे इंद्र को यह सूचना मिलती है कि कृष्ण के कहने पर गोकुलवासियों ने उनकी पूजा के स्थान पर गाय-बछड़ों और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे है, तो इंद्र तिलमिला उठता है और वह गोकुलवासियों को सबक सिखाने के लिए मेघों के नायक सावर्तक को गोकुल में प्रलय मचाने के लिए भेजता है तथा स्वयं भी ऐरावत पर बैठकर पीछे चल पड़ता है। सावर्तक के बादल गोकुल में प्रलय मचाने लगते है, आंधी-तूफान और वर्षा के तांडव से नर-नारी, पशु-पक्षी सभी भयभीत हो उठते है। सभी नंदराय के द्वार पर रक्षा की गुहार लगाने लगते है। श्रीकृष्ण अपनी दूर-दृष्टि से इंद्र को देख लेते है और उसको सबक सिखाने के लिए सभी गोकुलवासियों को उनके पशुओं के साथ गोवर्धन पर्वत निकट पहुँचते हैं और गोवर्धन पर्वत से प्रार्थना कर उनको अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठा कर छत्र बना लेते है। छत्र की शरण में सभी के आने के उपरांत श्रीकृष्ण सबका भय दूर करने के लिए मुरली बजाने लगते है। मुरली की धुन पर सभी नाचने लगते है, जिससे इंद्र का क्रोध और बढ़ जाता है और वह श्रीकृष्ण सहित सभी गोकुलवासियों को भस्म करने के लिए अपने वज्र को हाथ में उठा लेता है। लेकिन इससे पहले वह प्रहार करे, श्रीकृष्ण अपनी माया से इंद्र के हाथों को जड़वत कर देते है, जिससे इंद्र मूर्च्छित होकर गिर पड़ता है। तभी गुरु बृहस्पति प्रकट होते है और वह इंद्र को समझाते है कि आज उसका सामना उससे है जो परम शक्तिशाली है, इनसे युद्ध करने के बजाए इनकी शरण में जाए। गुरु के कहने पर इंद्र गुप्त स्तोत्र का पाठ करना प्रारम्भ कर देता है और स्तोत्र समाप्त होने पर त्राहिमाम-त्राहिमाम कहते हुए श्रीकृष्ण की शरण में पहुंच जाता है। श्रीकृष्ण इंद्र को फटकार लगाते हुए कहते है कि उसने अपने कर्तव्यों और धर्म का पालन नहीं किया। इंद्र अपनी इस भूल के लिए क्षमा माँगते है। तभी कामधेनु माता प्रकट होती है और वह भी श्रीकृष्ण से इंद्र को क्षमा करने की विनती करती है। उनकी विनती पर श्री कृष्ण इंद्र को क्षमा कर देते है। कृतज्ञ इंद्र श्रीकृष्ण से अपने पुत्र अर्जुन को अपनी शरण में लेने व सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध करता है। श्रीकृष्ण इंद्र को वचन देते है कि जबतक वह पृथ्वी पर रहेंगे, तब तक अर्जुन को कोई भी नहीं हरा पाएगा। कामधेनु माता के कहने पर इंद्र आकाश गंगा के जल से श्रीकृष्ण का अभिषेक कर, उनकी आरती उतारता है। इस क्षण का आनन्द पूरा ब्रह्माण्ड उठाता है।
इसी प्रकार एक बार श्रीकृष्ण ने ब्रह्मा जी का भी मान-मर्दन किया था। एक बार ब्रह्मा जी कृष्ण की परीक्षा लेने के लिए गोकुल आए, उस समय श्री कृष्ण अपने ग्वाल सखाओं के साथ भोजन कर रहे थे और उनके झूठे कौरो को खा रहे थे। ब्रह्मा जी को श्रीकृष्ण का यह आचरण पसंद नहीं आता है, इसलिए वह पहले घास चर रहे गाय-बछड़ों चुरा लेते है और फिर उनके सखाओं को अपने धरती से अदृश्य करके अपने ब्रह्मलोक में छिपा देते है। ब्रह्मा जी की चाल समझ में आने पर श्रीकृष्ण ने अपने आपको कई रूपों में विभक्त करके ग्वाल-बालों और गाय-बछड़ों का रूप धर लिया। यह देख ब्रह्मा जी चकित रह गए और सत्य जानने के लिए प्रभु श्री हरि की प्रार्थना करने लगे। उनकी यह दशा देख भगवान श्रीकृष्ण ने माया का पर्दा हटाकर ब्रह्मा जी दिखा दिया कि स्वयं चतुर्भुज भगवान ही ग्वाल-बाल और गाय-बछड़ो का रूप धारण किए हुए है। यह दृश्य देख ब्रह्मा जी श्रीकृष्ण के चरणों में त्राहिमाम-त्राहिमाम करते हुए गिर गए। श्रीकृष्ण ब्रह्मा जी से ऊँच-नीच का भेदभाव मिटा सबको एक दृष्टि से देखने के लिए कहते है, क्योंकि संसार के समस्त प्राणी उन्हीं का ही स्वरूप है।

सम्पूर्ण जगत में भगवान विष्णु के आठवें अवतार एवं सोलह कलाओं के स्वामी भगवान श्री कृष्ण काजीवन धर्म, भक्ति, प्रेम, और नीति का अद्भुत संगम है। वसुदेव और देवकी के पुत्र के रूप में कारागार में जन्म लेकर गोकुल की गलियों में यशोदा और नंदबाबा के यहाँ पलने वाले, अपनी लीलाओं, जैसे पूतना वध, माखन चोरी, राधा के संग प्रेम, गोपियों के साथ रासलीला और कालिया नाग के दमन के लिए प्रसिद्ध श्री कृष्ण ने युवावस्था में मथुरा कंस का वध करके जनमानस को उसके अत्याचार से मुक्त कराया एवं स्वयं के लिए द्वारका नगरी स्थापना भी की। उनका जीवन केवल लीलाओं तक सीमित नहीं था। उन्होंने समाज को धर्म और कर्म का गूढ़ संदेश देने के लिए महाभारत के युद्ध में पांडवों का मार्गदर्शन किया और अर्जुन के सारथी बनकर उसे "श्रीमद्भगवद्गीता" का उपदेश दिया, जो आज भी जीवन की समस्याओं का समाधान बताने वाला महान ग्रंथ माना जाता है। श्री कृष्ण का जीवन प्रेम, त्याग, और नीति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। आपका प्रिय चैनल "तिलक" श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ा यह विशेष संस्करण "श्री कृष्ण जीवनी" आपके समक्ष प्रस्तुत है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कथाओं का संकलन किया गया है। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिए और तिलक से जुड़े रहिए।

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]