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Скачать или смотреть आधुनिक काल। हिंदी साहित्य। भारतेन्दु युग। द्विवेदी युग। छायावाद युग। प्रगतिवादी युग। प्रयोगवादी युग

  • Princewood Education
  • 2022-02-14
  • 147360
आधुनिक काल। हिंदी साहित्य। भारतेन्दु युग। द्विवेदी युग। छायावाद युग। प्रगतिवादी युग। प्रयोगवादी युग
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आधुनिक काल। हिंदी साहित्य। भारतेन्दु युग। द्विवेदी युग। छायावाद युग। प्रगतिवादी युग। प्रयोगवादी युग। नई कविता (साठोत्तरी कविता)। Princewood Education

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00:00 आधुनिक काल
01:15 भारतेन्दु युग
01:35 द्विवेदी युग
02:27 छायावाद युग
03:42 प्रगतिवादी युग
05:13 प्रयोगवादी युग
06:31 नई कविता (साठोत्तरी कविता)
07:27 तार सप्तक

आधुनिक काल

आधुनिक काल को गद्य काल , पुनर्जागरण काल तथा नवीन विकास काल के नाम से पुकारा जाता है ।


आधुनिक काल को कितने अंगो में बाँटा गया है ?
1 ) भारतेन्दु युग ( 1850-1900 )
2 ) द्विवेदी युग ( 1900-1920 )
3 ) छायावाद युग ( 1920-1936 )
4 ) प्रगतिवादी युग ( 1936-1943 )
5 ) प्रयोगवादी युग ( 1943-1960 )
6 ) नई कविता ( 1960 से अबतक का युग )

आधुनिक काल की विशेषताएं -
1 ) लघुता के प्रति सजगता
2 ) स्वदेश - प्रेम
3 ) नारी के प्रति सही द्रष्टिकोण
4 ) यथार्थता
5 ) विभिन्न वादों की प्रधानता ।

आधुनिक काल आधनिक काल के दो प्रमुख कवियों के नाम - 1 ) मैथिलीशरण गुप्त
2 ) सूर्यकांत त्रिपाठी ' निराला '



भारतेन्दु युग ( 1850-1900 तक )

हिंदी साहित्य में सर्वप्रथम राष्ट्रीय भावना के दर्शन भारतेन्दु हरिशचन्द्र की रचनाओं में होते है।

भारतेन्दु युग की कविता की दो विशेषताए -
1 ) देशप्रेम
2 ) समाज सुधारक


द्विवेदी युग ( 1900-1920 तक )

द्विवेदी युग के साहित्य की विशेषताएं -
1 ) खड़ीबोली का प्रयोग
2 ) बौद्धिकता
3 ) नारी स्वातिक्य
4 ) मानवतावादी विचारधारा

द्विवेदी युग के प्रसिद्द कवि और उनके प्रबंद काव्यों का नाम -

मैथिलि शरण गुप्त - साकेत , यशोधरा , भारत - भारती । अयोध्या सिंह उपाध्याय - रसकलश , प्रिय प्रवास , वैदेही वनवास ।
श्रीधर पाठक - कश्मीर- सुषमा , गुणवंत


छायावाद युग ( 1920 से 1936 तक )

छायावाद का आधार स्तम्भ के चार कवियों के नाम जयशंकर प्रसाद , सुमित्रानंदन पंत , सूर्यकांत त्रिपाठी ' निराला ' तथा श्रीमती महादेवी वर्मा है । इनमे एकमात्र कवयित्री महादेवी वर्मा है ।

छायावाद की प्रमुख प्रवत्तिया -
1 ) वक्तिक अनुभूति की भावना ।
2 ) सौन्दर्य भावना ।
3 ) प्रकृति का मानवीकरण |
4 ) रहस्य भावना ।

छायावाद के चार प्रमुख कवि तथा उनकी रचनाए -
जयशंकर प्रसाद : आँसू झरना , लहर , कामायनी ( अपूर्ण ) , करुणालय
महादेवी वर्मा : नीरजा , रश्मि , नीहार , दीपशिखा
सुमित्रानंदन पंत : वीणा , पल्लव , गुंजन , लोकायतन , चिदंबरा
सूर्यकांत त्रिपाठी ' निराला ' : गीतिका , परिमल , अणिमा


प्रगतिवादी युग ( 1936-1943 तक )

प्रगतिवादी कवि के प्रमुख प्रवृत्तियाँ -
1 ) मानवतावादी प्रवृत्ति
2 ) प्राचीन रूढ़ियों और मान्यताओं का विरोध
3 ) शोषक वर्ग के प्रति घृणा और शोषितो से सहानुभूति
4 ) विद्रोह और क्रांति की भावना ।

प्रगतिवादी युग के प्रसिद्द कवि तथा उनकी रचनाये -
रामधारी सिंह ' दिनकर ' - हुंकार , रेणुका , रसवंती , द्वंदगीत , रश्मिरथी , उर्वशी , कुरुक्षेत्र , चक्रवाल ।
शिवमंगल सिंह ' सुमन ' - जीवन के गान , प्रलय , पर आखें भरी नहीं , विंध्य हिमालय ।
नागार्जुन - प्यासी , पथराई आंखें ।
सूर्यकांत त्रिपाठी ' निराला'- अनामिका , अणिमा , कुकुरमुत्ता , परिमल , बेला , आराधना , अर्चना ।



प्रयोगवाद युग ( 1943-1960 तक )

प्रयोगवाद का प्रारंभ कब हुआ ?
प्रयोगवाद का प्रारम्भ ' अज्ञेय द्वारा सम्पादित ' तारसप्तक संकलन से माना जाता है । ' तारसप्तक ' 1943 में प्रकाशित हुआ है इसमें सात कवि की रचनाए होती थी ।

कवि अज्ञेय का पूरा नाम - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय ।

प्रयागवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ -
1 ) घोर वैयक्तिकता ।
2 ) अति यथार्थवादी दृष्टिकोण
3 ) कुंठा और निराशा के स्वर
4 ) गंभीर बौद्धिकता

प्रयोगवाद के प्रमुख कवि तथा उनकी रचनाये -
1 ) भवानीप्रसाद मिश्र - गीत फरोश , खुशबू के शिलालेख ' 2 ) गिरिजाकुमार माथुर - धुप के धान , शिला पंख चमकीले 3 ) धर्मवीर भारती - ठंडा लोहा , कनुप्रिया
4 ) अज्ञेय - हरी घास पर क्षण भर , सुनहरे शैवाल , इंद्रा धनु रोंदे हुए से



नई कविता ( 1960 से अबतक )

नई कविताओं की विशेषताए -
1 ) अति यथार्थता
2 ) नए प्रतीकों के प्रयोग
3 ) बौद्धिकता की प्रधानता

नई कविता के कवि तथा रचनाए -
1 ) त्रिलोचन शस्त्री धरती , गुलाब और बुलबुल , दिगंत , - शब्द , चैती , मेरा घर , अमोला ।
2 ) अशोक बाजपायी त्पुरुष , विवक्षा , बहुरी अकेला , उम्मीद का दूसरा नाम , इबारत से गिरी मात्रा ।



तार सप्तक

तार सप्तक एक काव्य संग्रह है । अज्ञेय द्वारा 1943 ई ० में नयी कविता के प्रणयन हेतु सात कवियों का एक मण्डल बनाकर तार सप्तक का संकलन एवं संपादन किया गया तार सप्तक नयी कविता का प्रस्थान बिंदु माना जाता है इसी संकलन से हिन्दी काव्य साहित्य में प्रयोगवाद का आरम्भ होता है


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