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Скачать или смотреть जीरा की खेती का उचित समय,

  • RVS Agriculture
  • 2025-12-03
  • 20
जीरा की खेती का उचित समय,
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Скачать जीरा की खेती का उचित समय, бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

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Описание к видео जीरा की खेती का उचित समय,

इस वीडियो में जीरा की खेती का उचित समय, बोने के तरीके, बीज की मात्रा, उन्नत किस्में, खेत की तैयारी, खाद, उर्वरक, सिंचाई, उत्पादन व बाजार भाव की सम्पूर्ण जानकारी सहज व सरल भाषा में दी गई है। उम्मीद है कि यह वीडियो आपके लिए काफी उपयोगी साबित होगा।

खेती की पूर्ण जानकारी
जीरा एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है, जो भारत में व्यापक रूप से उगाई जाती है। यहाँ जीरा की खेती के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी है:

मिट्टी और जलवायु
जीरा की खेती के लिए अच्छी तरह से जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। यह फसल उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगती है, जहाँ तापमान 15-30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।

बीजाई का समय
जीरा की बीजाई अक्टूबर-नवंबर या फरवरी-मार्च में की जा सकती है।

बीजाई की विधि
1. मिट्टी को अच्छी तरह से जोत लें।
2. बीजों को 1-2 सेमी की गहराई पर बोएं।
3. बीजों के बीच की दूरी 10-15 सेमी रखें।
4. मिट्टी को अच्छी तरह से पानी दें और नियमित रूप से पानी देते रहें।

सिंचाई
जीरा को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए सप्ताह में एक बार सिंचाई करें।

उर्वरक
जीरा के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम की आवश्यकता होती है। 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद या रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करें।

कटाई
जीरा की कटाई 120-150 दिनों के बाद की जा सकती है, जब फलियाँ पूरी तरह से पक जाएं।

जीरा की खेती में सावधानियां
जीरा की खेती में सावधानियां बरतना आवश्यक है ताकि फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके। यहाँ जीरा की खेती में सावधानियों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी है:

बीजाई से पहले सावधानियां
1. _बीजों की गुणवत्ता_: बीजों की गुणवत्ता की जांच करें और सुनिश्चित करें कि वे स्वस्थ और प्रमाणित हैं।
2. _मिट्टी की तैयारी_: मिट्टी को अच्छी तरह से जोत लें और सुनिश्चित करें कि वह समतल और जल निकासी वाली हो।

बीजाई के दौरान सावधानियां
1. _बीजों की गहराई_: बीजों को 1-2 सेमी की गहराई पर बोएं।
2. _बीजों के बीच की दूरी_: बीजों के बीच की दूरी 10-15 सेमी रखें।
3. _पानी की मात्रा_: बीजाई के बाद पानी की मात्रा को नियंत्रित करें ताकि मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहे।

फसल की देखभाल के दौरान सावधानियां
1. _नियमित सिंचाई_: फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है।
2. _नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम की मात्रा_: फसल को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम की मात्रा को नियंत्रित करना आवश्यक है।
3. _कीट और रोगों का नियंत्रण_: फसल को कीट और रोगों से बचाने के लिए नियमित रूप से निरीक्षण करें और आवश्यक उपाय करें।

कटाई के दौरान सावधानियां
1. _फसल की परिपक्वता_: फसल की परिपक्वता की जांच करें और सुनिश्चित करें कि वह पूरी तरह से पक गई है।
2. _कटाई की विधि_: फसल को सावधानी से काटें और सुनिश्चित करें कि वह खराब न हो।


✍️चैनल निर्माण के उद्देश्य:- 1. "ग्रीन राजस्थान" अभियान द्वारा आमजन में प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण के प्रति अभिरुचि उत्पन्न करना।
2.. अधिकतम वृक्षारोपण द्वारा वीरान मरुस्थल को हरित क्षेत्र में बदलना।
3. कृषि- वानिकी के नवाचारों को राजस्थान के मरुस्थलीय इलाकों में लागू करना।
4. मरुस्थलीय क्षेत्र में बागवानी कृषि अपनाने पर बल देना।
5 जल संरक्षण के अनुकूल अधुनातन सिंचाई प्रणालियां अपनाने पर बल देना।
6. राज्य के औषधीय महत्व के पेड़-पौधों व बहुमूल्य औषधियों से विश्व को परिचित कराना व मानव मात्र का कल्याण करना।
7. राज्य के अद्भुत पेड़-पौधों व वन्य जीव-जन्तुओं की जानकारी देकर वन व वन्यजीव संरक्षण के प्रति चेतना का विकास करना।
"Green Rajasthan

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