mai to girdhar ke ghar - मैं तो गिरधर के घर जाऊँ- मीरां

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कबीर, सूर, तुलसी की भाँति मीरां मूलतः भक्ति हैं।
उनके अराध्य श्रीकृष्ण हैं और उनकी भक्ति माधुर्य भाव की भक्ति है।
वे कृष्ण को प्रिय, पति, सखा और उद्धारक के रूप में चित्रित करती हैं।
कृष्ण भक्ति के मार्ग में उन्होंने अपना सर्वस्व त्याग दिया था और राजमहल छोड़कर गली-गली कृष्ण-भक्ति का प्रचार करती रहती थीं।
वे सामंती परिवार से थीं, स्वाभाविक रूप से संतों के बीच उनकी स्वच्छंदता को उनका परिवार पसंद नहीं करता था और उनको काफी संघर्ष करना पड़ा था।
मीरा के काव्य में स्त्री की आत्माभिव्यक्ति की तड़प सुनाई पड़ती है।
मीरां जितनी साहसी थी उतनी ही संवेदनशील भी थीं।

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