श्री राज जी का ईश्क का सागर श्री मेहेर सागर - नित्य पाठ, प्रणाम जी🙏🙏 | Sri Maher Sagar Nitya Path

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🙏💜🙏💜🙏💜
प्रणामजी

----:मोहोल मानिक
पहाड :----

कहे बारे हजार मोहोल फिरते,
माणिक पहाड में १२००० हवेलीयो कि की १२००० हारे धेरकर आयी है,
कही हुकमें तिनकी
बात।
धामधनी के आदेश से
मैने उनकी अद्बितीय
शोभा का बरनन कर दिया।
तिन हर मोहोलों बीच बीच मे,
बारे बारे हजार मोहोलात।।
इस प्रत्येक हवेलीयों
के बीच में १२०००-
१२००० महल आये
हैं।
(परिक्रमा -४४ चो-२०)






अटक रहे थे इतही,
मै इन महलो की शोभा को देखकर
खो सी (अटक सी)
गयी थी।
बीच आवने मोमिनों
दिल।
यह सारा बरनन तो मैने इसलिये किया
ताकि ब्रह्मसृष्टियों के
धामह्रदय में यह छबि
बस जाय।
इन अर्स रूहों वास्ते
एता कहया,
विचार करें सब मिल।।
सभी मिलाकर इसका
चिन्तन करे।
(परिक्रमा-४४ चो-२१)

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