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Скачать или смотреть श्री शिव लिंगाष्टकम अर्थ सहित- परम शैव पं॰ मृत्युंजय हिरेमठ जी की मधुर आवाज मे स्तोत्रम्

  • Bhakti Sagar (जोड़ा मंदिर)
  • 2022-08-31
  • 2012
श्री शिव लिंगाष्टकम अर्थ सहित- परम शैव पं॰ मृत्युंजय हिरेमठ जी की मधुर आवाज मे स्तोत्रम्
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Описание к видео श्री शिव लिंगाष्टकम अर्थ सहित- परम शैव पं॰ मृत्युंजय हिरेमठ जी की मधुर आवाज मे स्तोत्रम्

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🚩🚩🚩जय महाकाल🚩🚩🚩🙏🏻🙏🏻🙏🏻

👏📿 🚩ॐ नमः शिवाय🚩📿👏

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@Bhakti Sagar (जोड़ा मंदिर)
लिंगाष्टकम भगवान भोलेनाथ के लिंगस्वरूप की स्तुति कर भोलेनाथ  करने का उत्तम अष्टक है, जो कोई भक्त पूर्ण आस्था तथा श्रृद्धा सहित भोले बाबा के लिंगाष्टकम का पाठ करेगा उसकी सभी मनोकामना तथा इच्छाओं की पूर्ति स्वयं शिव शंकर  करते हैं,  श्री शिव लिंगाष्टकम अर्थ सहित इस प्रकार है:-

   || श्री शिव लिंगाष्टकम ||
________________________________
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम्

निर्मलभासित शोभित लिंगम्।

जन्मज दुःख विनाशक लिंगम्

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥1॥

भावार्थः- जो ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवगणों के इष्टदेव हैं, जो परम पवित्र, निर्मल, तथा सभी जीवों की मनोकामना को पूर्ण करने वाले हैं और जो लिंग के रूप में चराचर जगत में स्थापित हुए हैं, जो संसार के संहारक है और जन्म और मृत्यु के दुखो का विनाश करते है ऐसे भगवान आशुतोष को नित्य निरंतर प्रणाम है |

देवमुनि प्रवरार्चित लिंगम्

कामदहन करुणाकर लिंगम्।

रावणदर्प विनाशन लिंगम्

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥2॥


भावार्थः- भगवान सदाशिव जो मुनियों और देवताओं के परम आराध्य देव हैं, तथा देवो और मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं, जो काम (वह कर्म जिसमे विषयासक्ति हो) का विनाश करते हैं, जो दया और करुना के सागर है तथा जिन्होंने लंकापति रावन के अहंकार का विनाश किया था, ऐसे परमपूज्य महादेव के लिंग रूप को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ |

सर्वसुगन्धि सुलेपित लिंगम्

बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम्।

सिद्ध सुरासुर वन्दित लिङ्गम्

 तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥3॥


भावार्थः- लिंगमय स्वरूप जो सभी तरह के सुगन्धित इत्रों से लेपित है, और जो बुद्धि तथा आत्मज्ञान में वृद्धि का कारण है, शिवलिंग जो सिद्ध मुनियों और देवताओं और दानवों सभी के द्वारा पूजा जाता है, ऐसे अविनाशी लिंग स्वरुप को प्रणाम है |

कनक महामणि भूषित लिंगम्

फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् ।

दक्ष सुयज्ञ विनाशन लिंगम्

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥4॥


भावार्थः- लिंगरुपी आशुतोष जो सोने तथा रत्नजडित आभूषणों से सुसज्जित है, जो चारों ओर से सर्पों से घिरे हुए है, तथा जिन्होंने प्रजापति दक्ष (माता सती के पिता) के यज्ञ का विध्वस किया था, ऐसे लिंगस्वरूप श्रीभोलेनाथ को बारम्बार प्रणाम |

कुंकुम चन्दन लेपित लिंगम् 

पंकज हार सुशोभित लिंगम् । 

सञ्चित पाप विनाशन लिंगम् 

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥5॥


भावार्थः- देवों के देव जिनका लिंगस्वरुप कुंकुम और चन्दन से सुलेपित है और कमल के सुंदर हार से शोभायमान है, तथा जो संचित पापकर्म का लेखा-जोखा मिटने में सक्षम है, ऐसे आदि-अन्नत भगवान शिव के लिंगस्वरूप को मैं नमन करता हूँ |

देवगणार्चित सेवित लिंगम्

भावैर्भक्तिभिरेव च लिंगम्।

दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगम् 

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥6॥


भावार्थः- जो सभी देवताओं तथा देवगणों द्वारा पूर्ण श्रृद्धा एवं भक्ति भाव से परिपूर्ण तथा पूजित है, जो हजारों सूर्य के समान तेजस्वी है, ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को प्रणाम है |

अष्टदलो परिवेष्टित लिंगम् 

सर्व समुद्भव कारण लिंगम्।

अष्टदरिद्र विनाशित लिंगम् 

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥7॥


भावार्थः- जो पुष्प के आठ दलों (कलियाँ) के मध्य में विराजमान है, जो सृष्टि में सभी घटनाओं (उचित-अनुचित) के रचियता हैं, और जो आठों प्रकार की दरिद्रता का हरण करने वाले ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूँ |

सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगम् 

सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम्।

परात्परं परमात्मक लिंगम् 

तत् प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥8॥


भावार्थः- जो देवताओं के गुरुजनों तथा सर्वश्रेष्ठ देवों द्वारा पूजनीय है, और जिनकी पूजा दिव्य-उद्यानों के पुष्पों से कि जाती है, तथा जो परमब्रह्म है जिनका न आदि है और न ही अंत है ऐसे अनंत अविनाशी लिंगस्वरूप भगवान भोलेनाथ को मैं सदैव अपने ह्रदय में स्थित कर प्रणाम करता हूँ |

लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥


भावार्थः- जो कोई भी इस लिंगाष्टकम को शिव या शिवलिंग के समीप श्रृद्धा सहित पाठ करेगा उसको शिवलोक प्राप्त होता है तथा भगवान भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है |

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