Aps 2023| UPSSSC STENO| AHC STENO HINDI साहित्यिक DICTATION 80WPM

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जैसे ही मनुष्य धार्मिक बनता है, उसके सारे झगड़ों का अंत हो जाना चाहिए। परंतु दुर्भाग्य से, संसार में हरेक जगह धर्म ही झगड़ोंका मुख्य स्रोत बन गया है। इसने अनगिनत लोगों की जान ली है और हजारों वर्षों से यह अधिकतम पीड़ा का कारण बना है। ऐसा केवल इसलिए है, क्योंकि लोग ऐसी चीजों में विश्वास करते हैं, जो दरअसल उनके अनुभव में नहीं है। कोई किसी चीज में विश्वास करता है, तो कोई दूसरा किसी अन्य चीज में विश्वास करता है, ऐसे में स्वाभाविक है कि टकराव को, झगड़े को टाला नहीं जा सकता। आज या कल वे झगड़ने ही वाले हैं। वे झगड़े को कुछ समय के लिए टाल सकते हैं, लेकिन किसी दिन वे झगड़ेंगे। जब तक आप यह मानते हैं कि सिर्फ आपका रास्ता सही है, और दूसरा मानता है कि उसका रास्ता सही है, तब तक आप लड़ने को बाध्य हैं।

हालांकि, सभी धर्म एक आंतरिक मार्ग के रूप में शुरू हुए, मगर समय के साथ वे विकृत होते गए और कोरी मान्यताओं का एक बंडल बन गए। यद्यपि सभी धर्मों ने मानव जीवन की महत्ता बताई है, उसी धर्म का वास्ता देकर आज आप एक-दूसरे की जान लेने को उतारू हो जाते हैं। दुर्भाग्य से, इसी कारण इस ग्रह (धरती) पर ज्यादा पीड़ा और संघर्ष का उदय हुआ है। मुझे लगता है कि इसकी मूल समस्या को सही तरीके से नहीं सुलझाया गया है। लोग हमेशा एक समूह और दूसरे समूह के बीच अस्थायी समाधान निकालते रहते हैं। लेकिन ये अस्थायी समाधान बहुत दिन नहीं टिकते और फिर संघर्ष उभर आता है।

इस लड़ाई का कारण सिर्फ इतना है कि लोग किसी खास मान्यता पर विश्वास करते हैं। किसी ऐसी मान्यता पर, जो उनके लिए वास्तविक ही नहीं है, फिर भी वे उसमें विश्वास करते हैं। अगर आप वास्तविकता को देखें, तो यह हर किसी के लिए एक समान है हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सबके लिए। जब आप धर्म को देखते हैं, तो हर धर्म की अपनी मान्यता है कि क्या सही है और क्या गलत। आपने जो बात देखी नहीं, महसूस नहीं की, आप उसको भी मान लेते हैं। कई मायने में यही सारे झगड़ों की जड़ बन गई है।

योग का मूल प्रयोजन हमेशा से धर्म को एक अनुभव, एक आंतरिक अनुभव के रूप में खोजने का रहा है, न कि विश्वास के रूप में। जो कुछ भी सच है, उसका अनुभव करें और आगे बढ़ें, एक विज्ञान की तरह उस तक पहुंचें, एक विश्वास की तरह नहीं। योग में हम सिर्फ यह देखते हैं कि मूलत एक मनुष्य अपने उच्चतम स्वरूप तक पहुंच सकता है या विकास कर सकता है। ऐसा वह अपने शरीर, मन, भावनाओं के माध्यम से या आंतरिक ऊर्जाओं से कर सकता है।


उस बच्चे को अपना पता देकर एलिस घर लौट आई थीं। मगर उनका मन लगातार उद्विग्न ही रहा। दो ही दिन बीते होंगे, अपने जैसे हतभागी दो अन्य बच्चों को साथ लेकर वह बालक एलिस के घर आ पहुंचा। उन तीनों की हालत देख वह द्रवित हो उठीं। सबसे पहले उन्होंने उन्हें भोजन कराया और फिर उनके ठहरने की व्यवस्था की। उनमें से एक बच्चे की हालत बेहद खराब थी। पिता के हाथों मां का कत्ल देखकर वह यूं पथराया था, जैसे उसकी आंखों पर खौफ ने स्थायी कब्जा कर लिया हो। देखते-देखते ऐसे पीड़ित, दुखी बच्चों की संख्या दस हो गई। एलिस ने एमजी रोड पर ‘उद्धवी करंगल’ नाम से एक एनजीओ की शुरुआत की। वह 1991 का साल था। एलिस के जीवन को अब एक मकसद मिल गया था। उन्होंने इन बेसहारा बच्चों के नाम अपनी जिंदगी समर्पित करने का फैसला किया। उनके खाने-पीने, रहने के साथ-साथ शिक्षा की जिम्मेदारी भी एलिस के कंधों पर आ पड़ी थी। उन्होंने इनके लिए प्राथमिक स्कूल की शुरुआत की, मगर मुकम्मल व्यवस्था के लिए अधिक संसाधनों की दरकार थी। अक्सर कहा जाता है, यह दुनिया नेकदिल लोगों की बदौलत ही चल रही है। एलिस का साथ देने कई लोग आगे आए। एनजीओ शुरू करने के तीन साल बाद ही उन्होंने दानवीरों की मदद से नोनानकप्पम गांव में जमीन का एक टुकड़ा खरीदा, ताकि इन बच्चों के लिए स्थायी छत की व्यवस्था हो सके।

एलिस के सद्प्रयासों को सरकार ने भी सराहा और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने लगा। शुरू-शुरू में वह इन बच्चों को 10वीं-12वीं तक की शिक्षा दिला पाती थीं, मगर कुछ समय बाद उन्हें महसूस हुआ कि इनमें से कई के पास अनूठी प्रतिभा है। उनकी प्रतिभा का लाभ समाज को भी मिलना चाहिए। नतीजतन, अब उनकी पनाहगाह के बच्चे बीटेक और बीएड जैसी ऊंची डिग्रियां हासिल कर रहे हैं। जिन बच्चों का पुरसाहाल कोई न था, ऐसे कई लावारिस एलिस थॉमस की निगहबानी में बीते तीन दशकों के बीच स्कूल के शिक्षक, प्रिंसिपल, अस्पतालों में नर्स और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में इंजीनियर के मुकाम पर हैं। एलिस का परिवार 150 बच्चों का हो चुका है।

जिस बच्चे को उसके माता-पिता, दोनों बुरी तरह पीटा करते थे, वह एलिस के संरक्षण में एक जिम्मेदार शहरी बन गया। ऑटो रिक्शा चलाकर अपनी आजीविका चलाते हुए उसने अपने बच्चों की बेहतरीन परवरिश की। उसके दो बेटे उदीयमान हॉकी खिलाड़ी हैं। भारतीय खेल प्राधिकरण उन्हें प्रशिक्षण मुहैया करा रहा है। एलिस ने कई आदिवासी बच्चियों का जीवन संवारा है। जब वह इन्हें कॉलेज के लिए तैयार होते देखती हैं, तो उन्हें इस बात का इत्मीनान होता है कि वह अदालतों में इंसाफ की जंग भले न लड़ पाईं, मगर इंसानियत की अदालत का मुश्किल मुकदमा जरूर फतह किया है।

एलिस ऐसे बच्चों को अपने शेल्टर होम में रखने को खास तवज्जो देती हैं, जिनके माता-पिता ड्रग्स या शराब के लती होते हैं। उन्हें इस बात का सुकून है कि वह कई जिंदगियों को उनका मकसद सौंपने में कामयाब रहीं। ये सभी बच्चे उन्हें मां कहकर पुकारते हैं।shorthand coaching nearest shorthand classes Rafi sir Tkd Thakurdwara shorthand shorthand classes hindi steno hub hindi shorthand dictation hindi steno dictation 80WPM 85WPM 90WPM 100WPM 120WPM Thakurdwara ki shorthand#education #learning #school #motivation #students #love #study #student #science #knowledge #teacher #children #college #india

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