गांवडा मीणा का एकदम नया कन्हैया दंगल | Kanhaiya dangal geet song #meenasamaj #kanhaiyadangal #gavdavlogs
कन्हैया गीत राजस्थान के पूर्वी भाग में विशेषकर मीणा, गुर्जर,माली समुदाय में प्रचलित सामूहिक गायन हैं जिसे नौबत, घेरा,मजीरा व ढोलक नामक वाद्य यंत्रो की मदद से गाया जाता हैं। पूर्वी भाग में ये लोगो के बीच आपसी भाईचारे और बंधुत्व को बढ़ाने में एक अनुकरणीय योगदान दे रहे है। कन्हैया गीतों के आयोजन जिसमे दो या दो से अधिक पार्टियो के बीच कन्हैया गीतों का मुकाबला होता हैं, कन्हैया दंगल कहलाता हैं। इसका आयोजन ज्यादातर पूरे गाँव के मध्य होता हैं। इसमें भाग लेने के लिए दो यादो से अधिक गाँवो को निमंत्रण भेजा जाता हैं जिसको कागज़भेजना कहा जाता है। अगर दूसरा गाँव भाग लेने पर सहमत हो जाता है तो उसे 'कागज लेना कहते हैं और अगर सहमत नहीं होता हैं तो कहा जाता हैं कि उस गाँव ने 'कागज़ झेलने' से मना कर दिया।
कन्हैया गीत क्या होते हैं:-
कन्हैया गीतों को एक निश्चित प्रारूप में बहुत सारे लोग एक घेराबनाकर गाते हैं, इनको निर्देश देने के लिए बीच में कुछ मुख्यकलाकार खड़े रहते हैं, जिनको मेडिया कहा जाता है। ये मुख्यकलाकार होते हैं जो गीत के बीच में बोल देते हैं और गीत के प्रवाह को तय करते हैं। सामान्यतः एक पार्टी में दो मेडिया होते हैं जो बारी-बारी से बोल उठाकर अपनी तरफ के लोगो को गीत के प्रवाह से जोड़ते हैं।
बोल:-
बोल गीत की वो कड़ी हैं जिसके माध्यम से मेडिया अपने गीत के प्रसंग को श्रोताओं को समझाता हैं। ये या तो पद्य खूप में बताये जाते हैं, या फिर साधारण बोलकर । इनके बिना गीत की दिशा को नही जाना जा सकता और इनको मेडिया द्वारा ही गाया जाता हैं। मेडिया इनके अलावा इन गीतों के आयोजन, गाने वालों को सिखाने, उनके एकत्रितीकरण का इंतज़ाम करता हैं, इस प्रकार उसकी भूमिका इनमें एक मार्गदर्शक के रू्प में उभरती है और वो सम्मान का हक़दार बन जाता है, इसलिए दूसरे कलाकार भी मेडिया बनने के लिए संघर्षरत रहते हैं। इनका चयन कलाकारों के द्वारा आपसी सहमति से किया जाता है।
इसमें भाग लेने वाले गाँवो को अलग-अलग वृत्तंतों पर गायनकरने में महारत हासिल है। हर एक गाँव के अपने-अलग गीत हैं,जिनको वे आपने रुचिकर प्रसंगो से तैयार करके दंगल के दौरान प्रस्तुत करते हैं। कुछ लोकप्रिय गाँव और उनके गीत यहाँ दिए गए हैं:-
1. गांवडा मीणा - राजा मोरध्वज...
2 मोहनपुर-गांवडी मीणा - गुरु वशिष्ठ बुलाय राम ने सिंहासन बैठाया,कई नाथ मेरे मन की लगन मिटा दे जीत लिए सब भूप यज्ञ मेरोअश्वमेघ यज्ञ करा दे गुरु वशिष्ठ- राम संवाद
3.परीता - विलोचन राजा को पेट तो बढ़े रात दिन दूजो...
4.ऐंडा - रूप बदल कर राजा बणग्यो, बढ़ता खागो जाडी को,मन को कांटों कढ़ गयो, धोखेबाज कबाड़ी को शनिदेव का राजाचंद्रदेव से संवाद
5.पीलोदा - राजा मोरध्वज...
6.शफीपुरा - कीचक वध
7.झाडौदा - हरदोल का भात
8.नादौती लव कुश कथा
9.ऐंडा- चौपड़ पर, भायली मोरू तालिया ने नीबू, नारंगी का फूलझुडग्या बगिया में ऊंखा एवं अनिरुद्र के बीच का संवाद
इन गीतों को सुनने के लिए दंगलों में कई गाँवो के लोगो के आने सेएक हुजूम जम जाता हैं। इस भीड़ का फायदा उठाने के लिए कई राजनेता भी इनका प्रयोग राजनीतिक लाभों के लिए करने लगे हैं।और इनमें शिरकत करके लोगो के बीच लोकप्रियता हासिल करते रहते हैं।
कन्हैया दंगल हमें हमारी संस्कृति से जोड़े रखने का कार्य करते हैं। कन्हैया दंगलों के माध्यम से संस्कृति जीवंत होती है, वहीं आपसी भाईचाराएवं समन्वय बढता है।
कन्हैया दंगल भारतीय संस्कृति को बचाने में सहायक हैं। इस प्रकारके आयोजनों से लोगों में भाईचारा, समाजवाद की भावना,सामाजिक सौहार्द्रता, एकता एवं धार्मिक भावना बढ़ती है। साथही लोगों को धर्मलाभ मिलने के साथ-साथ धार्मिक जानकारियां भी मिलती हैं।
इनका विस्तार सवाई मारधोपुर, दौसा, करौली , धौलपुर, भरतपुर,अलवर व बूंदी के गाँवो में देखा जा सकता हैं। खासकर सवाईमाधोपुर व करौली में इनका अधिक प्रचलन है। यहाँ गांवडा मीणा, झाडौदा,राणोली, नादौती, शफीपुरा, डिबसया, फुलवाड़ा, चकेरी, जड़ावता,ढेकवा, खंड़ीप आदि गाँवो में इनका अधिक प्रचलन हैं।
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