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Скачать или смотреть क्यों माता पार्वती ने अपनी तपस्या का फल एक मगरमच्छ को दे दिया?

  • Devotional Tales
  • 2024-12-01
  • 14
क्यों माता पार्वती ने अपनी तपस्या का फल एक मगरमच्छ को दे दिया?
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Описание к видео क्यों माता पार्वती ने अपनी तपस्या का फल एक मगरमच्छ को दे दिया?

क्यों माता पार्वती ने अपनी तपस्या का फल एक मगरमच्छ को दे दिया?

भगवान शंकर को पति के रूप में पाने हेतु, माता पार्वती कठोर तपस्या कर रही थी। उनकी तपस्या पूर्ण होने में, अब कुछ ही इस समय शेष था। एक समय वे भगवान के चिंतन में ध्यान मग्न बैठी थी। उसी समय उन्हें एक बालक के डुबने की चीख सुनाई दी। माता तुरंत उठकर वहां पहुंची। उन्होंने देखा एक मगरमच्छ बालक को पानी के भीतर खींच रहा है।

बालक अपनी जान बचाने के लिए प्रयास कर रहा है, तथा मगरमच्छ उसे आहार बनाने का। करुणामयी मां को बालक पर दया आ गई। उन्होंने मगरमच्छ से निवेदन किया कि बालक को छोड़ दीजिए, इसे आहार न बनाएं। मगरमच्छ बोला माता यह मेरा आहार है, मुझे हर छठे दिन उदर पूर्ति हेतु जो पहले मिलता है, उसे मेरा आहार ब्रह्मा ने निश्चित किया है। माता ने फिर कहा, आप इसे छोड़ दे, इसके बदले, मैं अपनी तपस्या का फल दुंगी। मगरमच्छ ने कहा ठीक है। माता ने उसी समय संकल्प कर, अपनी पूरी तपस्या का पुण्य फल उस मगरमच्छ को दे दिया।

मगरमच्छ तपस्या के फल को प्राप्त कर, सूर्य की भांति चमक उठा। उसकी बुद्धि भी शुद्ध हो गई। उसने कहां माता आप अपना पुण्य वापस ले लें। मैं इस बालक को यू हीं छोड़ दुंगा। माता ने मना कर दिया, तथा बालक को गोद में लेकर ममतामयी माता दुलारने लगी। बालक को सुरक्षित लौटाकर, माता ने अपने स्थान पर वापस आकर तप शुरु कर दिया। भगवान शिव तुरंत ही वहां प्रकट हो गए, और बोले "पार्वती अब तुम्हें तप करने की आवश्यकता नहीं है। हर प्राणी में मेरा ही वास है, तुमने उस मगरमच्छ को तप का फल दिया वह मुझे ही प्राप्त हुआ।" तुम्हारा तप फल अनंत गुना हो गया। तुमने करुणावश द्रवित होकर किसी प्राणी की रक्षा की| मैं तुम पर प्रसन्न हूं तथा तुम्हें पत्नी रूप में स्वीकार करता हूं।

कथा का सारंश यही है कि जो परहित की कामना करता है। उस पर परमात्मा की असीम कृपा होती है। जो व्यक्ति असहायों की सहायता, दयालु प्रेमी करुणाकारी होता है। ईश्वर उसको स्वीकार करते हैं। यह कथा शिवपुराण में उल्लेखित है।".

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