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Скачать или смотреть mp land revenue code 1959 | मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता | MPPSC taxation assistant exam 2024

  • B R Academy Bhopal
  • 2024-02-16
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Описание к видео mp land revenue code 1959 | मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता | MPPSC taxation assistant exam 2024

मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 के सुसंगत प्रावधान

मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता में 19 अध्याय और 264 धाराएँ है।

मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता में 3 अनुसूचियाँ है।

इस संहिता को राष्ट्रपति की अनुमति 15 सितंबर 1959 को प्राप्त हुई थी जिसके बाद मध्यप्रदेश के असाधारण राजपत्र में इसे 21 सितंबर 1959 को प्रकाशित किया गया।

यह संहिता मध्यप्रदेश में राजस्व अधिकारियों को शक्तियाँ प्रदान करती है साथ ही राज्य सरकार से भूमि धारण करने वाले व्यक्तियों के अधिकार और दायित्व सुनिश्चित करती है।

इस संहिता की धारा-2 में दी गई परिभाषाओं के अनुसार यदि नगरीय क्षेत्र से 5 किमी से अधिक की दूरी पर कुक्कुट पालन, मछली पालन या पशुपालन के लिए भूमि का उपयोग किया जाता है तो इसे कृषि के रुप में परिभाषित किया जाएगा। धारा 2(1) (B) के अनुसार।

संहिता के अध्याय 2 की धारा 3 में राजस्व मंडल के गठन का प्रावधान था जिसके अनुसार राजस्व मंडल में एक अध्यक्ष और कम से कम दो या उससे अधिक सदस्य होंगे।

इस संहिता के अध्याय 3 की धारा 11 में राजस्व अधिकारियों का उल्लेख है जैसे- कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायाब तहसीलदार जैसे अधिकारियों का उल्लेख हमें इस धारा में मिलता है।

संहिता की धारा 13 के तहत राज्य सरकार नए संभाग, जिले या तहसीलों को सृजित कर सकती है। या उन्हे समाप्त कर सकती है। हाल ही में मध्यप्रदेश में तीन नए जिलों का गठन किया गया है यह गठन धारा 13 (2) में वर्णित शक्तियों के तहत ही किया गया है।

इस संहिता का अध्याय 4 राजस्व अधिकारियों और राजस्व न्यायालयों की प्रक्रिया से सम्बंधित है।

संहिता की धारा 57 के तहत समस्त भूमियों पर राज्य का अधिकार होगा अर्थात राज्य के अंतर्गत आने वाली पत्थर की खदाने, खनिज, वन, रुका हुआ एवं बहता हुआ जल पर राज्य का स्वामित्व होगा।

संहिता के अध्याय 9 में भू-अभिलेख के सम्बंध में प्रावधान है।
इस संहिता की धारा 126 के तहत यह स्पष्ट प्रावधान है कि सदोष कब्जा रखने वाले व्यक्ति की बेदखली की जा सकती है। (Ejectment of person in wrongfully in possession)

संहिता की धारा 147 के तहत तहसीलदार द्वारा बकाया की वसूली के लिए आदेश जारी किया जा सकता है। (तहसील कार्यालय से किसी सम्पत्ति के कुर्की के आदेश धारा 147 के प्रावधानों के तहत ही दिये जाते है)

संहिता के अध्याय 13 की धारा 181 के अनुसार जो व्यक्ति राज्य सरकार से भूमि धारण करता है उसे सरकारी पट्टेदार (government lessee) कहा जाता है। इसी धारा के तहत राज्य सरकार या कलेक्टर के द्वारा भूमि को दखल में लेने का अधिकार प्रदान किया गया है।

संहिता के अध्याय 17 में ग्राम अधिकारियों का उल्लेख है जिसमें पटेल और कोटवार नामक ग्राम अधिकारियों की नियुक्ति और कर्तव्यों का वर्णन किया गया है।

संहिता की धारा 237 में निस्तार भूमि (Nistar Land) से सम्बंधित कलेक्टर के अधिकारों का उल्लेख किया गया है जिसके अनुसार कलेक्टर बाजार, खाल निकालने के स्थान, पाठशाला, खेल मैदान, उद्यान, खलिहान, कब्रिस्तान, शमशान के प्रयोजन के लिए पृथक भूमि रख सकते है ऐसी भूमियों को निस्तार भूमि कहा जाता है।

इस संहिता की अनुसूची 1 में राजस्व अधिकारियों तथा राजस्व न्यायालयों की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है जैसे बकायदारो के कब्जे में की ऐसी जंगम सम्पत्ति ( Movable Property) की कुर्की जो कृषि उपज से भिन्न है।

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