नायिका विवेचन प्रस्तावना

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गाड़ी के जिस प्रकार से दो पहिए होते हैं उसी प्रकार कथावस्तु में नायक के साथ नायिका की स्थिति अत्यंत आवश्यक होती है, श्रृंगार रस का उसको आधार माना गया हैसंस्कृत साहित्य में साहित्यिक विवेचन ओं की अपेक्षा शास्त्रीय विवेचन में काव्यशास्त्र की रचनाओं में इनका विस्तृत विचार किया गया है, इनके प्रमुख भेद स्वकीया, परकीया एवं सामान्या होते हैं

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