कामतानाथ परिक्रमा चित्रकूट|| कामतानाथ मंदिर चित्रकूट। कामदगिरि परिक्रमा चित्रकूट। कामदनाथ मंदिर||

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चित्रकूट, जहां वनवास के दौरान भगवान श्रीराम माता सीता और जानकी सहित 11 साल 7 महीने रहे। महर्षि वाल्मीकि के सुझाव पर उन्होंने चित्रकूट गिरि को वनवास काल बिताने के लिए चुना। जब राम यहां से जाने लगे तो उन्होंने चित्रकूट गिरि को कामदगिरि नाम दिया। साथ में यह वरदान भी कि यह मनुष्य मात्र की मनोकामनाओं को पूर्ण करेगा। कामदगिरि की परिक्रमा करनेवाला धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्राप्त करेगा। तब से आज तक कामदगिरि की परिक्रमा हो रही है और कोटि-कोटि जन इस परिक्रमा से अपनी इच्छाएं पूरी कर रहे हैं।
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कामदगिरि में तीन मुखरविंद और चार दिशाओं में चार द्वार हैं। प्रथम मुखारविंद में कामतानाथ kamadgiri is one of the most holy place of chitrakoot. we can see many temples at kamadgiri mountain.
कामतानाथ की परिक्रमा करने के लिए लाखों लोग प्रति वर्ष यहाँ आते हैं और कामतानाथ की परिक्रमा करते हैं। कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा 5 किलोमीटर की होती है। कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा करने पर हमें चार मुखारविंद दिखाई देते हैं। कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा करने पर हमें भगवान श्री राम के भरत जी से मिलाप होने वाला स्थान भी दिखाई देता है।चित्रकूट, जहां वनवास के दौरान भगवान श्रीराम माता सीता और जानकी सहित 11 साल 7 महीने रहे। महर्षि वाल्मीकि के सुझाव पर उन्होंने चित्रकूट गिरि को वनवास काल बिताने के लिए चुना। जब राम यहां से जाने लगे तो उन्होंने चित्रकूट गिरि को कामदगिरि नाम दिया। साथ में यह वरदान भी कि यह मनुष्य मात्र की मनोकामनाओं को
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कामदगिरि में तीन मुखरविंद और चार दिशाओं में चार द्वार हैं। प्रथम मुखारविंद में कामतानाथ स्वामी की आकर्षक प्रतिमा के साथ राम, सीता और लक्ष्मण की आकर्षक झांकी है। प्रमुख मुखारविंद में कामतनाथ की सबसे प्राचीन और स्वयम्भु प्रतिमा है। इनके मुख में सात शालिग्राम हैं। समीप ही पन्ना राजा द्वारा प्राण प्रतिष्ठित किया गया प्रभु राम का आकर्षक विग्रह भी है। तीसरे मुखारविंद की आकृति सबसे बड़ी है।
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इसी तरह प्रमुख मुखारविंद प्रथम द्वार, सुरगऊ धाम दूसरा द्वार, बरहा के हनुमान जी तीसरा द्वार और सरयू कुंड के पास चौथा द्वार है।
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भाद्रपद, कार्तिक की अमावस्या पर यहां परिक्रमा करने वालों का मेला लगता है। आस्था का महासागर हिलोरें लेता है। एकादशी और पूर्णिमा पर भी ऐसा ही उत्सव होता है।
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कहा जाता है कि भगवान श्रीराम यहां सदा निवास करते हैं।
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तो आइए, चित्रकूट धाम में स्थित कामदगिरि की परिक्रमा करते हैं।
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जय कामतानाथ स्वामी की।

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