भगवान को सदा जीव के साथ क्यों रहना पड़ता है?

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'सुनहु साधक प्यारे'
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा
स्वरचित काव्य रचना की व्याख्या।
दिनांक 16 नवम्बर, 2002.

श्री महाराज जी के शब्दों में,
"भगवान से हमारा अनेक प्रकार का सम्बन्ध है, और भगवान हमारे लिये सम्बन्ध स्थापित किये हैं, हमारे सुख के लिये, हमारे काम के लिये।"

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