जीतू बगड़्वाल सम्पूर्ण लोक जागर गाथा- हमारी संस्कृति हमारी विरासत

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जीतू बगड़्वाल सम्पूर्ण लोक जागर गाथा- हमारी संस्कृति हमारी विरासत

स्वर: स्वर्गीय डॉक्टर उमाशंकर सतीश सती जी (ग्राम-महड काण्डई दशज्यूला रुद्रप्रयाग)

डॉक्टर स्वर्गीय श्री उमाशंकर सतीश जी का जीवन परिचय.....

डा० उमाशंकर सतीश पुत्र पं० श्री तारादत सती का जन्म 15 मई, 1937 को मोहननगर, महड़ दश्ज्यूला नागपुर ज़िला-चमोली वर्तमान रुद्रप्रयाग में हुआ | मा जमुना देवी एव पिता तारादत्त ज्योतिषी, बड़े भाई प. नारायणदत्त, ब्रह्मानंद, बहिन इंदु, छोटे बेटे को शिक्षा में बड़ा अच्छा देखता चाहते थे, जिससे सभी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ |

डा० सतीश जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के निकट ही कांडई, घिमतोली,एव तत्पश्चात जगाधरी, सहारनपुर एंव उच्च शिक्षा देहरादून, दिल्ली, आगरा विश्वविधालयों में संपन्न हुई| डाक्टर साहब ने दिल्ली में अमेरिकी संस्थान में भी दो वर्षों तक काम किया| वहाँ से नौकरी छोड़ने के पश्चात दिल्ली विश्वविद्यालय में पी.एच.डी करने के लिए प्रवेश लिया | यू. जी. सी फ़ेलोशिप प्राप्त किया और प्रो० पी०बी० पंडित के निर्देशन में जौनसारी भाषा पर शोध कार्य किया| चकरोता क्षेत्र के सवाई गाँव को अध्यन केंद्र चुना | इस दौरान चकराता व हिमाचल के तमाम गाँवो का भ्रमण किया| 1972 में शोध प्रबंध विश्वविद्यालय में परीक्षा हेतु जमा किया गया / 1973 में परीक्षा परिणाम मिला, व 1974 में उपाधि -पत्र प्राप्त किया |

डा० साहब ने शोध कार्य करते हुए समाज सेवा की दृष्टि से उत्तराखंड के सर्वांगीन विकास के लिए आयोजित समेलनो में भी सक्रिय भाग लिया| जौनसार -बाबर का जनजातीय क्षेत्र घोषित करवाने में भी भूमिका निभाई | चकराता -नागथात फलपेटी योजना स्थानीय जनता के विरोध पर इलइवाद हाइकोर्ट के आदेश पर योजना रद्द करवाने में भी भूमिका निभाई| गढ़वाल विश्वविद्यालय व उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भी सक्रिय रहे| केंद्रीय हिन्दी संस्थान में प्राध्यपकी 10 वर्षो तक की, परंतु चाटुकारिता पनपने पर संस्थान में सतीश साहब को पदोन्नति नही मिल पाई|

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