Sulphur 30 Homeopathic Medicine | Dr. Sunil Patidar

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जानिए इस video के माध्यम से Sulphur Homeopathic Medicine क्या है? इसके क्या लक्षण हैं? किन बातों का ध्यान रखें और इसका homeopathic treatment कैसे लें?
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आज हम बात करेंगे एक ऐसी मेडिसिन के बारे में जिसे "किंग ऑफ एंटी सॉरीक मेडिसिन" कहा जाता है। इस मेडिसिन की proving हमारे होम्योपैथिक के जनक, मास्टर हैनिमन ने स्वयं की है। दोस्तों सल्फर जिसे गंधक भी कहा जाता है।यह स्किन डिजीज की एक विशेष दवा होती है। इसकी सारी बीमारियां गर्मी से बढ़ जाती है, और ठंडे पानी के बाहरी प्रयोग से चाहे वह सर दर्द हो, पाइल्स हो या कोई चर्म रोग की खुजली, ठंडी चीजों के उपयोग से घट जाती है। सल्फर का जो मरीज होता है मींस वैसे लक्षण मिलने पर आपको सल्फर का प्रयोग करना है। इसके बारे में हम बात करेंगे। साथ ही साथ किन किन बीमारियों में सल्फर एक रामबाण दवा है। और किस पोटेंसी में यह दवा दी जानी चाहिए। इन सब विषयों पर हम डिटेल से बात करेंगे। दोस्तों आइए, सबसे पहले सल्फर के विशेष लक्षणों के बारे में जानते हैं। सल्फर का मरीज दिखने में दुबला पतला, जो थोड़ा झुक कर चलता हो। परंतु चलने में फास्ट हो। मेंटली शार्प होता है। गंदा रहना पसंद करता है। और जिन्हें अक्सर स्किन डिसीज हो जाया करती है। उन मरीजों पर सल्फर बहुत अच्छा फायदा करती है। एक तरफ तो यह मरीज ठंडा बहुत पसंद करते हैं, जैसे ठंडी हवा,पानी, पर यह लोग नहाना पसंद नहीं करते हैं। क्योंकि नहाने से उनकी स्किन की बीमारी अक्सर बढ़ जाया करती हैं। Dr. हैनीमैन कहते हैं कि किसी रोग में ठीक-ठाक दवा का प्रयोग करने के बाद भी लाभ नहीं मिल रहा हो तो उसको बीच-बीच में 1-2 खुराक सल्फर देने से उसकी बॉडी की रिएक्शन, एक्टिवेट हो जाती है। आइए जानते हैं कि आखिर किन परिस्थितियों में यह दवा काम करती है। दोस्तों यदि आपको कोई स्किन डिसीज है जिस पर आप कोई बाहरी दवा, या कोई मरहम का प्रयोग करते हैं। परंतु कुछ समय ठीक रहने के बाद आपकी स्किन प्रॉब्लम दोबारा से लौट आती है ऐसे में सल्फर के प्रयोग से आपकी समस्या हमेशा के लिए ठीक हो जाएगी।
दूसरा है जलन का रहना। इस दवा का एक और इंडिकेशन है। कि बॉडी के डिफरेंट पार्ट्स पर, जहां भी आपको बीमारी है। वहां उस पार्ट्स में जलन का अनुभव होना इसका एक विशेष लक्षण है। हाथ और पैरों के तलवे में जलन होती है।और इस कारण मरीज अपने पैर और हाथों को सोते समय चादर से बाहर की ओर निकाल लेता है।मरीज ठंडी जगह में हाथ और पैर रखना चाहता है। क्योंकि इससे उसे आराम मिलता है। और बिस्तर की गर्मी से सारे चर्म रोग की तकलीफ है बढ़ जाती हैं।
मरीज की अधिकतर तकलीफे रात 12:00 बजे के बाद बड़ी हुई लगती है। मलद्वार और पेशाब की जगह की खाल उधड़ कर रेडनेस आ जाती है। यह बवासीर की बहुत अच्छी दवा है, मलद्वार में जलन, रेडनेस और खुजली होती है।
गुप्तांगो में फुंसियां, जलन और खुजली रहती है।
खुजली चाहे सूखी हो या डिस्चार्ज वाली। बहुत ज्यादा इरिटेशन और इचिंग पैदा करती है।
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