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1:00 चुकंदर की खेती कैसे करें
2:00 चुकंदर की खेती के बारे में जानकारी
3:00 चुकंदर की खेती कैसे होती है
4:00 chukandar ki kheti ka time,
5:00 chukandar ki kheti kab kare,
6:00 चकुंदर की बुआई कब और कैंसे करें,
7:00 चुकंदर की उन्नत खेती ऐंसे करें
8:00 hybrid chukandar ki kheti
9:00 चकुंदर की खेती में दवाई कोनसी दे
10:00 चकुंदर की उन्नत किस्मे कोनसी है
11:00 चकुंदर की खेती में लागत
12:00 चकुंदर की खेती में मुनाफा
13:00 चकुंदर की खेती सम्पूर्ण जानकारी
चुकंदर की खेती में ध्यान रखने वाली जरूरी बातें
इसकी खेती के लिए खेत में हर समय नमी रहना आवश्यक होना जरूरी है। इसी कारण इसकी खेती ठंडे महीनों या नमी वाले क्षेत्र में अधिक की जाती है।
ठंडे तथा नमी वाले क्षेत्रों में उगाई गई चुकंदर की फसल में शक्कर की मात्रा काफी होती है।
इसकी खेती के लिए ज्यादा बारिश की जरूरत नहीं पड़ती है। इसकी खेती को बारिश प्रभावित नहीं करती है।
इसकी खेती के लिए अक्टूबर-नवंबर का महीना उचित माना गया है।
चुकंदर की फसल के लिए 20 डिग्री का तापमान इसकी फसल के लिए काफी होता है।
एक हेक्टेयर में 14-15 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है।
फसल की बुआई के लिए एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी करीब 15-20 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
पहली सिंचाई गर्मी के दिनों में आठ से 10 दिन में करनी चाहिए।
खेत में जल भराव की स्थिति नहीं होने देना चाहिए। अधिक पानी से इसके कंद सड़ जाते हैं। इसलिए इसकी आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।
खेत में बीज बोने के बाद, करीब 60 दिन में फसल तैयार होने लगती है। खेती का सही समय
देश की जलवायु के हिसाब से चुकंदर की खेती (chukandar ki kheti) का सबसे अच्छा समय अक्टूबर के पहले हफ्ते से लेकर जनवरी-फरवरी तक होता है। बुवाई का समय सम जलवायु में माना जाता है यानी ना तो ज्यादा गर्मी हो और ना ही ज्यादा सर्दी हो इसलिए सबसे अच्छा और लाभदायक समय अक्टूबर का महीना रहता है।
चुकंदर की उन्नत किस्में
चुकंदर की कई किस्में हैं जिनकी आप खेती कर सकते हैं।
डेट्रॉइट डार्क रेड
इस किस्म का चुकंदर आकार में गोल और गाढ़े लाल रंग का होता है। इसके पौधों की पत्तियां हरे रंग की एवं लंबी होती है। इस किस्म की खेती करने पर किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
क्रिमसन ग्लोब
यह किस्म भी सबसे अधिक पैदावार वाली है। इस पौधे में लगा हुआ चुकंदर चपटा और गहरे लाल रंग का होता है। इसके पत्ते हरे रंग के होते हैं जिनमें कहीं-कहीं मरून रंग का शेड भी होता है। क्रिमसन ग्लोब का अंदरूनी भाग भी गाढ़ा लाल होता है।
मिस्त्र की क्रॉस्बी
इस किस्म के फलों का रंग गहरा लाल से बैंगनी होता है। अर्ली वंडर की तरह इस किस्म को तैयार होने में भी 55 से 60 दिनों का समय लगता है। जब इसे हल्की गर्मी में उगाया जाता है तो इसके अंदरूनी हिस्से में हल्का सफेद रंग भी दिखाई देता है।
चुकंदर की खेती (chukandar ki kheti) में सिंचाई और उवर्रक प्रबंधन
चुकंदर को बहुत ज़्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यदि बरसात का मौसम है तो यह आवश्यकता और भी कम हो जाती है। फसल बोने के शुरुआती 15 दिनों में पहली सिंचाई और उसके 5 दिन बाद दूसरी बार सिंचाई कर दें। यदि बरसात नहीं हो रही है तो 8-10 दिन के अंतराल में सिंचाई करें।
रोग एवं कीट प्रबंधन कैसे करें
चुकंदर की फसल में खरपतवार पर नियंत्रण के लिए 25 से 30 दिनों बाद निराई-गुड़ाई ज़रूरी है। चुकंदर की फसल को रोग लग जाए तो उचित मात्रा में केमिकल का छिड़काव कर फसल को बचाया जा सकता है। रेड स्पाइडर, एफिड्स, फ्ली बीटल और लीफ खाने वाले जैसे कीटों को 2 मिली मैलाथियान 50 ईसी प्रति 1 लीटर पानी का छिड़काव करके नियंत्रित किया जा सकता है। रोपण से पहले बीजों का सही बेहतर परिणाम देता है और कीट प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है।
चुकंदर की खेती में लागत और कमाई
चुकंदर की खेती के बाद कम से कम 2-3 महीने में चुकन्दर की औसतन 30-40 क्विंटल प्रति हैक्टेयर जड़ों की प्राप्ति हो जाती है। किसानों को 20 रूपए से लेकर 50 रूपये प्रति किलो की दर से उनकी उपज की कीमत मिल जाती है। दिसम्बर में खेती वाले किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं क्योंकि उसके बाद के मार्च तक इसकी मांग रहती है। हालांकि अपने गुणों के कारण यह लगभग साल भर मांग में रहता है इसलिए उपयुक्त वातावरण तैयार कर कभी भी इसकी खेती की जा सकती है।
चुकंदर कौन से महीने में बोया जाता है?
इसकी खेती के लिए नवंबर-दिसम्बर का महीना उचित माना गया है। चुकंदर की फसल के लिए 20 डिग्री का तापमान इसकी फसल के लिए काफी होता है। एक हेक्टेयर में 14-15 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। ।
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