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Скачать или смотреть भगवद गीता का अध्याय 12, श्लोक 15: सुख-दुख में संतुलन

  • Verses Of Wisdom
  • 2025-01-21
  • 47
भगवद गीता का अध्याय 12, श्लोक 15: सुख-दुख में संतुलन
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Описание к видео भगवद गीता का अध्याय 12, श्लोक 15: सुख-दुख में संतुलन

इस वीडियो में हम भगवद गीता के अध्याय 12, श्लोक 15 के संदेश को समझेंगे, जिसमें जीवन के सुख-दुख में संतुलन बनाए रखने की शिक्षा दी गई है।

नमस्कार, दोस्तों! आज के इस वीडियो में हम भगवद गीता के अध्याय 12, श्लोक 15 के बारे में चर्चा करेंगे। यह श्लोक हमें सिखाता है कि कैसे एक सच्चा योगी हर परिस्थिति में सम रहता है। अगर आपको हमारा कंटेंट पसंद आए, तो कृपया 'Like' करें और हमारे चैनल को 'Subscribe' करें। चलिए, अब हम इस अद्भुत श्लोक के रहस्यों की ओर बढ़ते हैं।

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक साधू बाबा रहते थे। उनका नाम था बाबा रमेश। बाबा रमेश हमेशा अपने भक्तों को सिखाते थे कि जीवन में सुख-दुख दोनों ही आते हैं, लेकिन हमें हमेशा संतुलित रहना चाहिए।

गांव में एक किसान था, जिसका नाम था मोहन। मोहन ने बहुत मेहनत की थी, लेकिन एक साल बारिश नहीं हुई और उसकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। मोहन बहुत दुखी हुआ। उसने सोचा, 'मैंने सब कुछ खो दिया। अब मैं क्या करूँगा?'

मोहन ने बाबा रमेश के पास जाकर कहा, 'बाबा, मेरी फसल चली गई। मैं अब क्या करूँ?'

बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा, 'मोहन, क्या तुम जानते हो? जीवन में सुख-दुख आते-जाते रहते हैं। यदि तुम इस स्थिति में भी संतुलित रहोगे, तो तुम्हें आगे बढ़ने का रास्ता मिल जाएगा।'

मोहन ने सोचा, 'बाबा की बात तो सही है।' उसने अपने दुख को अपने मन में दबाने की बजाय, उसे समझने का निर्णय लिया।

कुछ समय बाद, मोहन ने फिर से मेहनत की और एक नया बिज़नेस शुरू किया। इस बार बारिश हुई, और उसकी फसल भी खूब हुई। मोहन ने समझा कि सुख और दुख दोनों ही जीवन का हिस्सा हैं, और हमें हमेशा संतुलित रहना चाहिए।

बाबा रमेश की शिक्षा ने मोहन को न केवल मुश्किल समय में सहारा दिया, बल्कि उसे जिंदगी के असली मतलब भी समझा दिए।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में सुख और दुख दोनों ही आते हैं, लेकिन हमें हमेशा संतुलित रहना चाहिए। तो दोस्तों, अगर आपको यह कहानी पसंद आई, तो कृपया 'Like' करें और हमारे चैनल को 'Subscribe' करें। हम और भी ऐसे ज्ञानवर्धक वीडियो लाते रहेंगे।

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