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Скачать или смотреть भगवान् वेदव्यास - Lord Vedvyas : Mahabharata - महाभारत : Dharmik Gyan

  • Dharmik Gyan
  • 2024-06-16
  • 108
भगवान् वेदव्यास - Lord Vedvyas : Mahabharata - महाभारत : Dharmik Gyan
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Скачать भगवान् वेदव्यास - Lord Vedvyas : Mahabharata - महाभारत : Dharmik Gyan бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

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Описание к видео भगवान् वेदव्यास - Lord Vedvyas : Mahabharata - महाभारत : Dharmik Gyan

भगवान् वेदव्यास एक अलौकिक शक्ति सम्पन्न महापुरुष थे| इनके पिता का नाम महर्षि पराशर और माता का नाम सत्यवती था| इनका जन्म एक द्वीप के अन्दर हुआ था और वर्ण श्याम था, अत: इनका एक नाम कृष्णद्वैपायन भी है| वेदों का विस्तार करने के कारण ये वेदव्यास तथा बदरीवन में निवास करने कारण बादरायण भी कहे जाते हैं| इन्होंने वेदों के विस्तार के साथ महाभारत, अठारह महापुराणों तथा ब्रह्मसूत्र का भी प्रणयन किया| शास्त्रों की ऐसी मान्यता है कि भगवान् ने चौबीस अवतारो में की जाती है| व्यासस्मृति के नामसे इनके द्वारा प्रणीत एक स्मृतिग्रन्थ भी है| भारतीय वाड्मय एवं हिन्दू-संस्कृति व्यासजी की ऋणी है| संसार में जब तक हिन्दू-जाति एवं भारतीय संस्कृति जीवित है, तब तक व्यासजी का नाम अमर रहेगा|

महर्षि व्यास त्रिकालदर्शी थे| जब पाण्डव एकचक्रा नगरी में निवास कर रहे थे, तब व्यास जी उनसे मिलने आये| उन्होंने पाण्डवों को द्रौपदी के पूर्वजन्म का वृत्तान्त सुनाकर कहा कि 'यह कन्या विधाता के द्वारा तुम्हीं लोगों के लिये बनायी गयी है, अत: तुम लोगों को द्रौपदी-स्वयंवर में सम्मिलित होने के लिये अब पाञ्चालनगरी की ओर जाना चाहिये|' महाराज द्रुपद को भी इन्होंने द्रौपदी के पूर्वजन्म की बात बताकर उन्हें द्रौपदी का पाँचों पाण्डवों से विवाह करने की प्रेरणा दी थी|

महाराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के अवसरपर व्यास जी अपने शिष्यों के साथ इन्द्रप्रस्थ पधारे| वहाँ इन्होंने युधिष्ठिर को बताया कि - 'आज से तेरह वर्ष बाद क्षत्रियों का महासंहार होगा, उसमें दुर्योधन के विनाश में तुम्हीं निमित्त बनोगे|' पाण्डवों के वनवास काल में भी जब दुर्योधन दु:शासन तथा शकुनि की सलाह से उन्हें मार डालने की योजना बना रहा था, तब व्यास जी ने अपनी दिव्य दृष्टि से उसे जान लिया| इन्होंने तत्काल पहुँचकर कौरवों को इस दुष्कृत्य से निवृत्त किया| इन्होंने धृतराष्ट्र को समझाते हुए कहा - 'तुमने जुए में पाण्डवों का सर्वस्व छीनकर और उन्हें वन भेजकर अच्छा नहीं किया| दुरात्मा दुर्योधन पाण्डवों को मार डालना चाहता है| तुम अपने लाडले बेटे को इस काम से रोको, अन्यथा इसे पाण्डवों के हाथ से मरने से कोई नहीं बचा पायगा|'

भगवान् व्यास जी ने सञ्जय को दिव्य दृष्टि प्रदान की, जिससे युद्ध-दर्शन के साथ उनमें भगवान् के विश्वरूप एवं दिव्य चतुर्भुजरूप के दर्शन की भी योग्यता आ गयी| उन्होंने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में भगवान् श्री कृष्ण के मुखारविन्द से नि:सृत श्रीमभ्दगवद्रीता का श्रवण किया, जिसे अर्जुन के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं सुन पाया|

एक बार जब धृतराष्ट्र वनमें रहते थे, तब महाराज युधिष्ठिर अपने परिवारसहित उनसे मिलने गये| व्यास जी भी वहाँ आये| धृतराष्ट्र ने उनसे जानना चाहा कि महाभारत के युद्ध में मारे गये वीरों की क्या गति हुई? उन्होंने व्यास जी से एक बार अपने मरे हुए सम्बन्धियों का दर्शन कराने की प्रार्थना की| धृतराष्ट्र के प्रार्थना करने पर व्यास जी ने अपनी अलौकिक शक्ति के प्रभाव से गङ्गजी में खड़े होकर युद्ध में मरे हुए वीरों का आवाहन किया और युधिष्ठिर, कुन्ती तथा धृतराष्ट्र के सभी सम्बन्धियों का दर्शन कराया| वैशम्पायन के मुख से इस अद्भुत वृत्तान्त को सुनकर राजा जनमेजय के मनमें भी अपनी पिता महाराज परीक्षित् का दर्शन करने की लालसा पैदा हुई| व्यास जी वहाँ उपस्थित थे| उन्होंने महाराज परीक्षित् को वहाँ बुला दिया| जनमेजयने यज्ञान्त स्नान के समय अपने पिता को भी स्नान कराया| तदनन्तर महाराज परीक्षित् वहाँ से चले गये| अलौकिक शक्ति से सम्पन्न तथा महाभारत के रचयिता महर्षि व्यासके चरणों में शत-शत नमन है|

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