क्षत्रिय राजा से ब्रम्हऋषि विश्वामित्र कैसे बने? Raja Koushik se Vishwamitra banne ki kahani

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ऋषि विश्वामित्र वैदिक काल के विख्यात व श्रेष्ठ ऋषियों में से एक थे, वे परमप्रतापी, तपस्वी व एक साधक महापुरुष थे, जिन्हे चारों वेदों का ज्ञान था, थता वे ऐसे पहले ऋषि थे जिन्होंने गायत्री मंत्र को समझा था।

पुराणों व धर्म ग्रंथो में किए गए उल्लेख के अनुसार मात्र ऐसे 24 ऋषि हुवे जिन्होंने गायत्री मंत्र की शक्ति को समझा था और सिद्धि प्राप्त की थी, जिनमे सबसे पहला नाम ऋषि विश्वामित्र का आता है।

विश्वामित्र जन्म से एक क्षत्रिय थे, लेकिन अपनी इच्छा, हठ व घोर तपस्या से उन्होंने महर्षि की उपाधि प्राप्त की थी। उनका पूर्व नाम राजा कौशिक था जो की एक बलशाली व अपनी प्रजा के प्रिय राजा थे, और उस समय के ख्यातिप्राप्त राजाओं में उनका नाम शामिल था और वे सप्तऋषियों में से एक थे।

उन्होंने हजारों वर्षों तक सफलतापूर्वक राज किया जिसके बाद वे अपना राज-पाठ छोड़ कर क्षत्रियत्व से ब्रह्मत्वा की ओर चले गए और महर्षि बन गए।

तो चलिए जानते हैं, की ऐसा क्या हुवा जिसके कारण राजा कौशिक से महर्षि विश्वामित्र बनने तक का उनका सफर शुरू हुवा और साथ ही विश्वामित्र व महर्षि वशिष्ठ के बीच हुवे युद्ध थता मेनिका व Vishwamitra Ki Kahani के बारे में भी जानेंगे।

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