सांगलिया धूणी आरती लाइव।

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जय साहेब की
बरसी
श्री श्री 1008 श्री खीवांदास जी महाराज

अखिल भारतीय सांगलिया पीठ के संत परम्परा के पीठाधीश्वर संत रहे संत शिरोमणी बाबा खीवांदास जी महाराज की 23वीं बरसी पर आपका हार्दिक स्वागत है।

बाबा खीवांदास जी महाराज के जीवन परिचय और संत परम्परा के तहत मानव कल्याण व शिक्षा के उत्थान के लिए कार्यों का संक्षिप्त परिचय....

नागौर जिले के लाडनूं उपखण्ड क्षेत्र के बिठूड़ा गांव में सन् 1939 (भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा संवत् १९९६ ) को श्री खुमाराम और चौथी देवी के घर आपका जन्म हुआ। आपके पिताजी श्री खुमाराम सांगलिया धूणी से जुड़े हुए थे लिहाज़ा तात्कालिक संत लादूदास जी महाराज को अपनी प्रिय वस्तु भेंट करना चाहते थे और पुत्र से प्रिय पिता के लिए दूसरी चीज हो ही नहीं सकती थी लिहाज़ा अपने पुत्र को महाराज श्री के श्रीचरणों में भेंट कर दिया।

आपने संत परम्परा में तपस्या कर एक सिद्ध पुरुष के रूप में अखिल भारतीय सांगलिया पीठ को आसमानी ऊंचाईयां नसीब करवाई। आपकी विद्वता के पैमाने बहुत बड़े रहे लिहाज़ा आपने अपने प्रवचनों, भजनों और स्तुतियों के जरिए सामाजिक तानेबाने को संवारने का अभूतपूर्व कार्य किया।

बाबा खीवांदास जी महाराज ने बहुत सारे भजनों की रचना की और स्वयं ने ऊंची व सुरीली राग में गाकर जन-जन तक पहुंचाया। महाराज श्री के मुखारविंद से निकले एक एक शब्द का असर सामाजिक तानेबाने पर पड़ रहा था।

मानव जाति को समर्पित महाराज श्री का व्यक्तित्व कुछ इस तरह का रहा कि जाति-पाति, धर्म-सम्प्रदाय, वर्ग समूह के भेद से परे मानव कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और कर्मकाण्ड व पाखंडवाद का खंडन किया। आपके मुखारबिंद...

"जागो भारत के नर नारी रे
कुकर्मा न छोड़, शिक्षा लेवो गुरांरी रे।"

आपने अखिल भारतीय सांगलिया पीठ के सर्वंगी सम्प्रदाय की विचारधारा को बहुत गतिशीलता दी।आपने वैश्विक धर्म की कल्पना को साकार करने का मजबूत प्रयास किया। इस संदर्भ में आपके मुखारबिंद...

"हम सरभंगी,सबके संगी,मेट दिया जोड़ तमाम;
छुआछूत का भ्रम हटाया,कर दिया चक्का जाम।"

यानी सर्वंगी सम्प्रदाय सभी धर्मों और जातियों को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया जो भारतवर्ष में इकलौता ऐसा प्रयास था।

आपने सामाजिक तानेबाने को संवारने के लिए शिक्षा को आधार माना और इस संदर्भ में बहुत सारे स्कूल खोले। आपके आशीर्वाद व प्रयासों से ही बाबा खीवांदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय सांगलिया संचालित है जहां आज करीब 2000 विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं ।

आपकी समाजसेवा, शिक्षा, आध्यात्मिक विकास, नैतिकता के संदर्भ में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत के तात्कालिक राष्ट्रपति श्री के आर नारायणन के द्वारा अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।

मानवता को समर्पित महाराज श्री जन्माष्टमी के दिन 2001 को ब्रह्मलीन हो गये... आपके अमूल्य योगदान के लिए अखिल भारतीय सांगलिया पीठ के संत परम्परा के तहत जनसेवा करने वाले आपके अनुयायियों से लेकर आमजन नतमस्तक है।

हमारा प्रणाम स्वीकार करें महाराज श्री 🙏

जय खीवांदास जी महाराज की

जय धूणी माता की

जय साहेब की।

बरसी पर सांगलिया धूणी पर कार्यक्रम...

26 अगस्त 2024-(जन्माष्टमी)- विशाल भजन संध्या,सत्संग कीर्तन।

27 अगस्त 2024-समाधी पूजन और प्रसाद वितरण ।

श्री ओमदास जी महाराज
अखिल भारतीय सांगलिया पीठ




Note:- यह लाइव आज का नही है।

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