बड़हिया का सबसे बड़ा मंदिर 🙏🙏🧿 ll vlogs video ll

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बड़हिया का सबसे बड़ा मंदिर 🙏🙏🧿 ll vlogs video ll
बिहार के लखीसराय जिले के बड़हिया में एक पौराणिक सिद्धपीठ है, जिसको लोग मां बाला त्रिपुर सुंदरी के नाम से जानते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना जम्मू कश्मीर के कटरा में वैष्णो देवी के संस्थापक श्रीधर ओझा के द्वार ही की गई थी। यह मंदिर सिद्ध शक्तिपीठ है।

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लखीसराय: बिहार के लखीसराय जिले का बड़हिया क्षेत्र, जो दूसरी ओर इसकी ख्याति मां बाला त्रिपुर सुंदरी के मंदिर के कारण भी है। यहां श्रद्धालु सुख, शांति और समृद्धि की कामना लेकर आते हैं। कहा जाता है कि यहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। यह मंदिर बिहार के लखीसराय जिला के बड़हिया में है। यह मंदिर राजधानी पटना से करीब 116 किलो मीटर और लखीसराय जिला मुख्यालय से करीब 17 किलो मीटर है। मुंगेर से आने पर यह लगभग 70 किलो मीटर पर है और बरौनी से करीब 50 किलो मीटर पर स्थित है। गंगा किनारे अवस्थित इस मंदिर आने के लिए रेल और सड़क मार्ग का प्रयोग कर सकते हैं। रेल से यात्रा कर रहे हैं तो बड़हिया स्टेशन से उतरकर लगभग एक किलो मीटर पर यह मंदिर अवस्थित ह





यह मंदिर जमीन से 12 फीट उंचा है। मंदिर का गर्भगृह 151 फीट ऊंचे मंदिर का गुंबज कोसों दूर से नजर आता है। यहां मां गंगा के पावन मिट्टी से पिंड की नित्य दिन पूजा होती है। मंदिर का गर्भगृह जमीन से लगभग 12 फीट ऊंचा है। मंदिर के ऊपरी तल पर मां दुर्गा के नौ रूपों की स्थापित प्रतिमा श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। मां जगदंबा यहां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में पिंड स्वरूप में विराजी हैं। माता के दैनिक स्वरूप पुष्प श्रृंगार प्रातः और संध्या में, आरती का स्वरूप अलौकिक और अद्भुत होता है।




वैष्णो देवी के संस्थापक श्रीधर ओझा के द्वारा स्थापित है मंदिर

इस पौराणिक सिद्ध पीठ को मां बाला त्रिपुर सुंदरी के नाम से जान जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मंदिर जम्मू कश्मीर के कटरा में मां वैष्णो देवी के संस्थापक श्रीधर ओझा के द्वारा ही इनकी स्थापना की गई थी। यह सिद्धपीठ बिहार सहित राष्ट्रीय स्तर पर अपने पौराणिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है। सफेद संगमरमर से निर्मित 151 फीट ऊंचे मंदिर के गुंबद पर स्वर्ण कलश दूर से ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।


पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्रीधर ओझा ने इस बड़हिया ग्राम की मंदिर की स्थापना पाल वंश के काल में किया था। श्रीधर ओझा ने हिमालय की गुफा में तपस्या के बाद बड़हिया में मां जगदंबा को स्थापित किया था। उस वक्त बड़हिया गांव पूरब में गंगा और पश्चिम में हरुहर नदी से घिरा हुआ था। यह मंदिर सिद्ध शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि यहां स्वच्छ और पवित्र मन से मांगी गई हर मुरादें मां पूरी करती हैं। त्रिपुर सुंदरी मां दुर्गा का ही रूप हैं। ऐसी मान्यता है कि बाल स्वरूप में विराजने वाली मां सहज ही अपने भक्तों की पुकार को सुनकर मुराद पूरी करती हैं। इसी कारण दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन-पूजन को पहुंचते

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